Iran-Israel Tension: 1979 में शुरू हुई थी इजराइल-ईरान के बीच दुश्मनी, सामने आई टकराव की पूरी कहानी

punjabkesari.in Sunday, Apr 14, 2024 - 07:36 AM (IST)

नेशनल डेस्क:  इस्राइल और ईरान के बीच ताजा तनाव उस समय पैदा हुआ जब  1 अप्रैल को युद्धक विमानों से सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर हमला कर दिया गया था। हमले में ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) के अल-कुद्स बल के एक वरिष्ठ कमांडर सहित कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई। ये सभी दमिश्क दूतावास परिसर में एक बैठक में भाग ले रहे थे। हमले का आरोप इस्राइल पर लगाया गया, जिसने अभी तक इसकी जिम्मेदारी नहीं ली। 

रिपोर्ट के मुताबिक, अगले 48 घंटे काफी अहम हैं। मिडिल ईस्ट के इन दोनों देश के बीच लंबे समय से टकराव रहा है। करीब चार दशकों से दोनों देशों के बीच छद्म युद्ध चल रहा है। दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विवाद चल रहा है।  

ईरान और इज़राइल कैसे बन गए दुश्मन?
ईरान ने अपने सीरिया वाणिज्य दूतावास पर हमले के लिए इज़राइल को दोषी ठहराया है, और जवाबी कार्रवाई करने की कसम खाई है। ईरान की 1979 की इस्लामी क्रांति ने ईरान और इज़राइल के बीच पहले के सौहार्दपूर्ण संबंधों को भयंकर शत्रुता में बदल दिया। 

इजराइल और ईरान के बीच दुश्मनी की शुरुआत 1979 में हुई। ईरान की क्रांति के दौरान इजराइल के सहयोगी कहे जाने वाले ईरान के शाह को गद्दी से बेदखल कर दिया गया। ईरान के शाह को बेदखल किए जाने के बाद देश में इस्लामिक गणराज्य की स्थापना हुई। इसके बाद अयातुल्ला रूहुल्लाह खुमैनी को ईरान के सर्वोच्च नेता की गद्दी सौंपी गई।  अयातुल्ला रूहोल्लाह के समय से ही ईरान का रुख इजराइल विरोधी होने लगा था। दोनों देशों के बीच अक्सर तनाव देखने को मिलने लगा, यहीं से दोनों देशों के बीच में तनाव की शुरुआत हुई।

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यहां से हुई तनाव की शुरूआत
1979 में ईरान के सर्वोच्च नेता बनने से पहले रूहुल्लाह खुमैनी इज़राइल के आलोचक थे। उन्होंने इज़राइल के साथ पहलवी राजवंश के संबंधों की आलोचना की, इज़राइल को पहलवी शासन के समर्थक के रूप में देखा।  1979 की ईरानी क्रांति के बाद, खुमैनी की नई सरकार ने इज़राइल के प्रति शत्रुता की नीति अपनाई। नई ईरानी सरकार ने इज़राइल को एक औपनिवेशिक चौकी के रूप में देखा।  ईरान ने एक राज्य के रूप में इज़राइल की मान्यता वापस ले ली, और इज़राइल के साथ सभी राजनयिक, वाणिज्यिक और अन्य संबंधों को तोड़ दिया और अपनी सरकार को "ज़ायोनी शासन" के रूप में संदर्भित किया। और इज़राइल को "कब्जे वाले फ़िलिस्तीन" के रूप में संदर्भित किया।

इसके बाद दोनों देशों के बीच यह तनाव करीब 1990 तक जारी रहा। करीब 11 साल तक दोनों देशों की ओर से एक दूसरे को कमजोर करने और नुकसान पहुंचाने की कई कोशिशें करते रहे। इसके बाद 1991 में खाड़ी युद्ध के दौरान भी दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा।  इसका असर मिडिल ईस्ट के बाकी देशों पर भी पड़ा। 2006 के लेबनान युद्ध में ईरान ने उसका समर्थन किया जबकि इजराइल उसके विरोध में था। हाल के कुछ सालों में ईरान ने इराक, पाकिस्तान, सीरिया समेत अपने गुट के कई देशों को पिछले दरवाजे से समर्थन देता रहा जिसकी वजह से इजराइल और उसके बीच में तनाव और गहरा होता चला गया।

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 1 अप्रैल को फिर से भड़की दुश्मनी
अब हाल ही में 1 अप्रैल को युद्धक विमानों से सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर हमला किया गया। हमले में ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) के अल-कुद्स बल के एक वरिष्ठ कमांडर सहित कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई।  हमले का आरोप इस्राइल पर लगाया गया, हालांकि अभी तक इस्राइल ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली। इस बीच  बीती रात ईरान ने करीब 100 से अधिक मिसाईल ड्रोन से इज़राईल पर सीधा हमला किया। जिसके जवाबी कार्रवाई की चेतावनी मिलने के बाद  इस्राइल सरकार ने कहा है कि अगर ईरान सीधी सैन्य कार्रवाई करता है तो वे उसके क्षेत्र पर अपने हमलों से जवाब देंगे। बीते दिनों इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा, 'जो कोई हमें नुकसान पहुंचाएगा, हम उसे नुकसान पहुंचाएंगे। हम इस्राइल की सभी सुरक्षा जरूरतों को रक्षात्मक और आक्रामक दोनों तरह से पूरा करने के लिए तैयार हैं।'

बैलिस्टिक मिसाइलें लॉन्च
ईरान का कहना है कि उसने अपने हमले के तहत इज़राइल को निशाना बनाकर बैलिस्टिक मिसाइलें लॉन्च की हैं। समाचार एजेंसी एपी की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य संचालित आईआरएनए समाचार एजेंसी ने एक अज्ञात अधिकारी के हवाले से कहा कि तेहरान ने इज़राइल के अंदर लक्ष्यों पर बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं।


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ईरान-ईजराइल हमले की अपडेट:
-इजरायल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान के साथ शत्रुता पर चर्चा करने के लिए इजरायल के युद्ध कैबिनेट और सुरक्षा कैबिनेट की बैठकों के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन से बात की।

- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इसराइल पर ईरान के अभूतपूर्व ड्रोन और मिसाइल हमले पर रविवार को एक आपातकालीन बैठक करेगी, संस्था के अध्यक्ष ने कहा।

-माल्टा के एक प्रवक्ता, जो इस महीने घूर्णनशील राष्ट्रपति पद संभाल रहे हैं, ने कहा कि सुरक्षा परिषद इज़राइल के अनुरोध पर शाम 4:00 बजे (2000 GMT) बैठक आयोजित करने का लक्ष्य बना रही है।

-संयुक्त राष्ट्र में इज़राइल के राजदूत गिलाद एर्दान ने इज़राइल पर ईरान के हालिया हमले के बाद तत्काल कदमों की घोषणा करने के लिए एक्स (पूर्व में ट्विटर) का सहारा लिया है। देर रात पोस्ट किए गए एक ट्वीट में, एर्दान ने खुलासा किया कि उन्होंने सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष को एक तत्काल पत्र भेजा था, जिसमें परिषद की तत्काल बैठक बुलाने का आह्वान किया गया था। एर्दान के पत्र में इज़राइल पर ईरान के हमले की स्पष्ट निंदा की मांग की गई है और सुरक्षा परिषद से ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स को आतंकवादी संगठन के रूप में नामित करने का आग्रह किया गया है।

-एर्दान ने कहा, "ईरान का हमला विश्व शांति और सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा है और मैं उम्मीद करता हूं कि सुरक्षा परिषद हर तरह से ईरान के खिलाफ कार्रवाई करेगी।"

-संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने ईरान द्वारा इजराइल पर बड़े पैमाने पर किए गए हमले की निंदा की और कहा, "मैं विनाशकारी क्षेत्र-व्यापी वृद्धि के वास्तविक खतरे के बारे में गहराई से चिंतित हूं। मैं सभी पक्षों से आग्रह करता हूं कि वे किसी भी ऐसी कार्रवाई से बचने के लिए अधिकतम संयम बरतें जिससे बड़ी घटना हो सकती है।"  
 


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Content Writer

Anu Malhotra

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