20 करोड़ साल पहले टूटा महाद्वीप मिला

punjabkesari.in Wednesday, Feb 01, 2017 - 05:23 PM (IST)

जोहानिसबर्गः हिंद महासागरीय द्वीप मारीशस के नीचे एक ‘खोये हुए महाद्वीप’ की मौजूदगी की वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है जो सुपर महाद्वीप गोंडवाना के टूटने के बाद संभवत वहां बचा रह गया था। टूटने की यह प्रक्रिया करीब 20 करोड़ साल पहले शुरू हुई थी। इस द्वीपीय टुकड़े को बाद में द्वीप पर हुए ज्वालामुखी विस्फोटों से निकले लावा ने ढक लिया और जान पड़ता है कि यह उस प्राचीन महाद्वीप का छोटा हिस्सा है जो मैडागास्कर द्वीप से टूट कर बना होगा।

यह घटना उस समय की बताई जाती है जब अफ्रीका, भारत, आस्ट्रेलिया और अंटार्कटिका अलग हुए और हिंद महासागर बना। दक्षिण अफ्रीका में यूनिवर्सिटी आफ विटवाटर्सरेंड के प्रोफेसर लेविस ऐशवाल ने बताया कि हम महाद्वीपों के टूटने की प्रक्रिया का अध्ययन कर रहे हैं ताकि ग्रह के भूगर्भीय इतिहास को समझ सके। ज्वालामुखी विस्फोटों से निकले लावे से बनी चट्टानों में मिले खनिज जिरकन का अध्ययन करते हुए ऐशवाल और उनके सहयोगियों ने पाया कि इस खनिज के अवशेष मारीशस के द्वीप से भी पुराने हैं।

उन्होंने बताया कि धरती 2 हिस्सों से बनी है महाद्वीप जो कि पुराने हैं और महासागर जो कि ‘नए’ हैं। महाद्वीपों पर आज ऐसी चट्टानें पाते हैं जो चार अरब साल से अधिक पुरानी हैं लेकिन आपको महासागरों में ऐसा कुछ नहीं मिलता क्योंकि यह ऐसी जगह है जहां नई चट्टानें बनीं। उन्होंने बताया कि मारीशस एक द्वीप है और इस पर कोई भी चट्टान 90 लाख साल से अधिक पुरानी नहीं है।

लेकिन द्वीप की चट्टानों के अध्ययन से हमने पाया कि जिरकन तीन अरब साल पुराना है। जिरकन ऐसे खनिज हैं जो महाद्वीपों में ग्रेनाइट में मिलते हैं। इनमें यूरेनियम, थोरियम और सीसा के कण पाए जाते हैं और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि वे भूगर्भीय प्रक्रियाओं में अपना अस्तित्व बनाए रख सकें इससे पता चलता है कि वे अपने भीतर भूगर्भीय प्रक्रियाओं का समृद्ध रिकार्ड समेटे हुए हैं और बेहद सटीक तरीके से इनके समय का पता लगाया जा सकता है।


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