#WorldEnvironmentDay: जानिए स्विट्जरलैंड को क्यों कहते हैं जन्नत

punjabkesari.in Wednesday, Jun 05, 2019 - 03:56 PM (IST)

नेशनल डेस्कः एन्वायरनमैंट परफॉर्मैंस इंडैक्स की पिछले साल जारी हुई रैंकिंग में स्विट्जरलैंड पहले नंबर पर रहा था। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा कोलंबिया यूनिवर्सिटी और येल यूनिवर्सिटी द्वारा संयुक्त रूप से वैश्विक स्तर पर कई मानकों के आधार पर तैयार की गई 180 देशों की रैंकिंग में भारत 177वें नंबर पर था। इस रैंकिंग को तैयार करने के लिए हवा की गुणवत्ता के साथ-साथ वाटर एंड सैनीटेशन, हैवी मैटल्स, बायो डाइवर्सिटी एंड हैबीटेट, फॉरैस्ट, फिशरीज, क्लाइमेट एंड एनर्जी, वायु प्रदूषण, वाटर रिसोर्स और कृषि क्षेत्र में हो रहे काम को आधार बनाया गया। पर्यावरण को बचाने के लिए स्विट्जरलैंड में प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के लिए नागरिकों को जिम्मेदार बनाने के साथ-साथ उत्सर्जन के सख्त नियम और किसानों को ट्रेनिंग से लेकर नदियों का पानी साफ रखने के लिए वाटर ट्रीटमैंट प्लांट तक के कदम उठाए जा रहे हैं। आइए जानते हैं किन तौर-तरीकों और कानूनों को लागू करने के कारण स्विट्जरलैंड इस रैंकिंग में नंबर वन बना है।
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प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए नागरिक जिम्मेदार
बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ-साथ बढ़ती उपभोक्ता क्षमता और आॢथक विकास ही प्राकृतिक संसाधनों के दोहन का बड़ा कारण हैं। प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए स्विट्जरलैंड ने पर्यावरण नीति बनाई है जो अपने नागरिकों को प्राकृतिक संसाधनों के सीमित दोहन के लिए प्रेरित करती है। इस नीति के तहत रिन्यूएबल एनर्जी को इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा ग्रीन इकोनॉमी को प्रोत्साहित करने के लिए उत्पादों को रिसाइकल करके दोबारा इस्तेमाल करने के लिए भी नीति बनाई गई है।

पानी की क्वालिटी बनाए रखना राष्ट्रीय जिम्मेदारी
यूरोप के वाटर टावर कहे जाते स्विट्जरलैंड में कई झीलें और नदियां हैं। रहीन और राहोन नदियां स्विट्जरलैंड से ही निकलती हैं। इन नदियों और झीलों के पानी को साफ रखने के लिए 1960 और 1970 के दशक में ही स्विट्जरलैंड में वाटर प्यूरिफिकेशन स्टेशन बनाए गए थे लेकिन कृषि कार्यों में फसलों की बीमारी रोकने के लिए इस्तेमाल होने वाली दवाओं द्वारा प्रदूषित होने वाले पानी को साफ करने और माइक्रो पॉल्यूटेंट्स को रोकने के लिए करीब सौ वाटर ट्रीटमैंट प्लांट लगाए गए हैं। इनसे स्विट्जरलैंड का पानी पूरी तरह से स्वच्छ हो जाएगा।

जैव विविधता को बचाने के लिए नियम
स्विट्जरलैंड की मिट्टी और स्वच्छ वातावरण के कारण इस देश में जीवों की 50 हजार के करीब प्रजातियां निवास करती हैं लेकिन शहरीकरण और विकास के चलते इनमें से कई प्रजातियों पर खतरा उत्पन्न हो गया था। एक सर्वे में यह बात सामने आई कि स्विट्जरलैंड की 30 फीसदी जीव प्रजातियां खतरे में हैंऔर इस रिपोर्ट को देखते हुए 2012 में केंद्रीय मंत्रालय ने देश की जैविक विविधता को बचाने के लिए नियमों की घोषणा की। इन नियमों के तहत संरक्षित जोन को दोबारा परिभाषित किया गया है और जैविक विविधता को बचाने के लिए प्रतिबद्धता दोहराई गई है।

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ऑटो इंडस्ट्री के लिए सख्त सीओटू एमिशन नियम
हालांकि स्विट्जरलैंड में हवा की क्वालिटी काफी साफ है और पिछले 25 साल में हवा की क्वालिटी में 50 फीसदी तक का सुधार भी हुआ है लेकिन इसके बावजूद स्विट्जरलैंड ने हवा को प्रदूषित होने से रोकने के तमाम तरीके अपनाए हैं। ऑटो सैक्टर सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले सैक्टर्स में से एक है। इस सैक्टर से वायु प्रदूषण को रोकने के लिए स्विट्जरलैंड में सीओटू एमिशन के सख्त नियम लागू किए हैं। इन नियमों के तहत इंडस्ट्री पर वाहनों पर उच्च क्वालिटी के फिल्टर लगाना अनिवार्य है ताकि वाहनों से प्रदूषण न हो सके।

कंक्रीट के जंगल पर लगाम के लिए कानून
दुनिया भर में शहरीकरण की बढ़ती रफ्तार पर्यावरण के लिए चुनौती है, इसके लिए स्विट्जरलैंड ने 2013 में खास तौर पर कानून पास किया है। इस कानून के तहत शहरों में मौजूद भूमि का पूरा और सही इस्तेमाल सुनिश्चित करने के साथ-साथ इमारतों के बेतहाशा विस्तार पर ब्रेक लगाने का भी प्रावधान है। इस कानून के चलते कृषि योग्य भूमि पर खड़े होने वाले कंक्रीट के जंगल पर लगाम लगी है।

कार्बन उत्सर्जन रोकने के लिए टैक्स
स्विट्जरलैंड में वाहनों के इस्तेमाल और निर्माण गतिविधियों से बढऩे वाले तापमान को 2 डिग्री तक कम करने के लिए कदम उठाए गए हैं। कार्बन का उत्सर्जन रोकने के लिए स्विट्जरलैंड में 2014 में कानून बना कर वाहनों और निर्माण गतिविधियों से होने वाले कार्बन उत्सर्जन पर कर को बढ़ा दिया गया है। इस कानून के बाद कार्बन उत्सर्जन को रोकने में मदद मिली है।

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कृषि योग्य भूमि बचाने के लिए किसानों को ट्रेनिंग
प्राकृतिक वर्षा और भूमिगत जल के संरक्षण में किसी भी स्थान की मिट्टी की अहम भूमिका रहती है लेकिन शहरीकरण और कम होते जंगलों के कारण कृषि योग्य उपजाऊ भूमि की कमी हो रही है। इसे रोकने के लिए स्विट्जरलैंड सरकार द्वारा किसानों को इस तरीके से ट्रेनिंग दी जा रही है कि वे अपनी कृषि योग्य भूमि पर मिट्टी का कम से कम स्थायी नुक्सान करें। इसके अलावा ऐसे प्रोफैशनल्स तैयार किए जा रहे हैं जो निर्माण गतिविधियों से जुड़े लोगों को पर्यावरण और मिट्टी के रक्षा की ट्रेनिंग देते हैं।

1972 में हुई विश्व पर्यावरण दिवस की शुरूआत
दुनिया भर में फैल रहे प्रदूषण की चिंता में संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1972 में वैश्विक स्तर पर विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की नींव रखी थी। इसकी शुरूआत स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुई। यहां दुनिया में पहली बार विश्व पर्यावरण सम्मेलन आयोजित हुआ। इसमें 119 देशों ने भाग लिया था। इसी सम्मेलन के दौरान एक ही पृथ्वी का सिद्धांत दिया गया। तब से हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। भारत में पर्यावरण संरक्षण के लिए पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 19 नवम्बर, 1986 को लागू हुआ था। इस साल विश्व पर्यावरण दिवस चीन में मनाया जा रहा है। इस साल की पर्यावरण दिवस की थीम एयर पॉल्यूशन को लेकर है। इस थीम का नाम बीट एयर पॉल्यूशन रखा गया है।

इस तरह से कम कर सकते हैं वायु प्रदूषण

  • आवाजाही के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट, शेयर्ड कार अथवा साइकिल का इस्तेमाल करें।
  • डीजल अथवा पैट्रोल कार की जगह हाइब्रिड और इलैक्ट्रिक वाहन का प्रयोग करें।
  • जरूरत न हो तो कार का इंजन बंद कर दें।
  • मीथेन गैस को कम करने के लिए मीट अथवा डेयरी प्रोडक्ट का सेवन कम करें।
  • आर्गैनिक फूड को कम्पोस्ट करें और नॉन-आर्गैनिक वस्तुओं को दोबारा इस्तेमाल करें।
  • होम हीटिंग सिस्टम अच्छी क्वालिटी का लें।
  • जरूरत न हो तो घर की लाइटें अथवा इलैक्ट्रॉनिक सामान स्विच ऑफ कर दें।
  • नॉन-टॉक्सिक पेंट अथवा फर्निशिंग का इस्तेमाल करें।

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Seema Sharma

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