युद्ध की आहट? पाकिस्तानी कश्मीर में राशन जमा करने के आदेश से मची हलचल
punjabkesari.in Friday, May 02, 2025 - 02:31 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: भारत और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर हालात गंभीर होते जा रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव तेज़ हो गया है। इस बीच पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में हालात सामान्य नहीं हैं। वहां की स्थानीय सरकार ने नियंत्रण रेखा (LoC) के पास बसे इलाकों में लोगों को दो महीने का राशन और ज़रूरी सामान इकट्ठा करने का निर्देश दिया है।
13 सीमावर्ती क्षेत्रों को निर्देश: स्टॉक कर लें खाना-पानी
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के प्रधानमंत्री चौधरी अनवर उल हक ने विधानसभा में कहा कि नियंत्रण रेखा के करीब बसे 13 विधानसभा क्षेत्रों को निर्देश दिया गया है कि वे दो महीने का खाद्य भंडारण करें। इसके अलावा, सरकार ने एक अरब पाकिस्तानी रुपये का आपातकालीन फंड भी जारी किया है। इस फंड का उद्देश्य भोजन, दवाओं और अन्य जरूरी सुविधाओं की सप्लाई को सुनिश्चित करना है ताकि अगर किसी प्रकार की अप्रत्याशित स्थिति उत्पन्न हो तो आम लोगों को मुश्किल का सामना न करना पड़े।
सड़कों की निगरानी और तैयारी शुरू
मुज़फ़्फराबाद में दिए गए बयान में अनवर उल हक ने बताया कि सरकारी और निजी मशीनरी को एलओसी के आस-पास सड़कों की निगरानी और मरम्मत में लगाया गया है। इसका उद्देश्य किसी भी संभावित आपात स्थिति से पहले आवाजाही के रास्तों को ठीक रखना है।
नीलम घाटी में पसरा सन्नाटा
नीलम घाटी, जो LoC से सिर्फ 3 किलोमीटर दूर है, इन दिनों भय और सन्नाटे का केंद्र बनी हुई है। गर्मियों में यहां सैलानियों की भीड़ लगी रहती थी। अप्रैल से जून के बीच लगभग 3 लाख पर्यटक यहां आते थे। लेकिन इस बार हालात अलग हैं। स्थानीय होटल मालिक रफ़कत हुसैन बताते हैं कि पहलगाम हमले के बाद ज्यादातर पर्यटक घाटी से लौट चुके हैं। टूरिज्म बुरी तरह से प्रभावित हुआ है और होटल लगभग खाली पड़े हैं।
मदरसे बंद और बाजार सुनसान
हालांकि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में अभी तक सरकार ने टूरिस्ट स्पॉट्स को बंद करने का कोई आदेश नहीं दिया है, लेकिन 1000 से ज्यादा मदरसों को 10 दिनों के लिए बंद कर दिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि भारत की संभावित सैन्य कार्रवाई के डर से यह कदम उठाया गया है। वहीं चकोथी कस्बे जैसे LoC के नज़दीक बसे बाजार खुले ज़रूर हैं, लेकिन उनमें पहले जैसी चहल-पहल नहीं है। दुकानदार बशीर मुगल ने समाचार एजेंसी एपी से कहा, "हम अमन चाहते हैं क्योंकि जंग की पहली मार आम आदमी पर ही पड़ती है। लेकिन अगर संघर्ष हुआ तो हम अपनी फौज के साथ खड़े होंगे।"
घरों में बने बंकर, जनता तैयार
स्थानीय लोगों में आशंका है कि हालात 2019 जैसे हो सकते हैं। जब पुलवामा हमले के बाद दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात बन गए थे। कुछ लोग बताते हैं कि उन्होंने घरों में बंकर तक बनवा रखे हैं, जहां वे जंग की स्थिति में परिवार सहित छिप सकते हैं।
भारत ने ठहराया पाकिस्तान को जिम्मेदार
भारतीय कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को पर्यटकों पर हुए हमले में 26 आम नागरिकों की मौत हुई थी। भारत ने इसे आतंकी हमला बताते हुए इसकी सीधी जिम्मेदारी पाकिस्तान पर डाली है। हमले के बाद भारत सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने चेतावनी दी है कि हमले के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। भारतीय मीडिया के अनुसार, सरकार ने सेना को जरूरत के अनुसार कार्रवाई की पूरी छूट दे दी है।
पुरानी संधियां निलंबित, सेना सतर्क
स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सिंधु जल समझौता और शिमला समझौता जैसी पुरानी द्विपक्षीय संधियों को भी फिलहाल निलंबित कर दिया गया है। सीमा पर दोनों देशों की सेनाएं सतर्क हैं और सैन्य मौजूदगी बढ़ाई जा रही है। इससे यह संकेत मिल रहा है कि भारत सैन्य कार्रवाई कर सकता है और पाकिस्तान की ओर से भी जवाबी तैयारी की जा रही है।
आम जनता की चिंता: "हम भागेंगे नहीं"
नियंत्रण रेखा के पास रहने वाली सैकिया नाम की महिला ने बताया कि उनका परिवार किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार है। "अगर युद्ध हुआ तो हम यहीं रहेंगे। हम भागेंगे नहीं।" ये शब्द उस स्थिति की गंभीरता को बयां करते हैं जो सीमा पर रहने वाले लोगों के मन में है।