जानिए मरते वक्त क्या थे स्टीव जॉब्स के आखिरी शब्द, इसलिए हुई थी मौत

punjabkesari.in Saturday, Oct 05, 2019 - 11:18 AM (IST)

वॉशिंगटन:  कुछ लोग अपने कारनामों से इतिहास में जगह बनाते हैं, लेकिन कुछ ऐसे होते हैं, जिनकी उपलब्धियों से इतिहास की दिशा बदल जाती है। दुनियाभर में कंप्यूटर और मोबाइल फोन के क्षेत्र में अग्रणी एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स एक ऐसे ही व्यक्ति थे, जिन्होंने आसमान की बुलंदियां हासिल कीं और अपने दृढ़निश्चय और नवाचार से अपने उत्पादों के जरिए बाजार को एक नयी दिशा दी। 5 अक्टूबर 2011 की तारीख उस महान विभूति की पुण्यतिथि के रूप में इतिहास में दर्ज है। जॉब्स पैन्क्रिएटिक कैंसर से जूझ रहे थे। जिंदगीभर लोगों के लिए प्रेरणा बने जॉब्स के आखिरी शब्द भी काफी प्ररेणादायक थे।

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अपने आखिरी वक्त में जॉब्स ने दुनिया को जीने का अलग नजरिया दिखाया।  उन्होंने कहा था कि मैं बिजनेस वर्ल्ड में सफलता की चोटी पर पहुंच चुका हूं।  वहीं दूसरों की नजर में मेरी लाइफ सफलता का दूसरा नाम है, लेकिन काम को छोड़कर अगर मैं मेरी लाइफ के बारे में बात करता हूं तो मुझे यही समझ आया कि पैसा जीवन का सिर्फ एक पार्ट है और मैं इसमें अभ्यस्त हो चुका हूं। आज इस बेड पर पड़े रहकर अगर मैं अपनी पूरी लाइफ को रिकॉल करता हूं तो मुझे लगता है कि जिंदगी में मुझे जो नाम और पैसा मिला है वो मौत के समय किसी काम का नहीं है। 

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स्टीव जॉब्स ने आगे कहा था कि अभी अंधेरे में मैं लाइफ सपोर्टिंग मशीन की हरी लाइट को देख रहा हूं। मैं मौत को अपने और करीब आते देख रहा हूं। मुझे अब मालूम चला, कि जब हम जीवन बिताने जितनी धन-दौलत कमा लेते हैं, तब हमें वो काम करने चाहिए जो ज्यादा जरूरी हों, जिससे रूह को सुकून मिलता हो। जैसे रिश्ते, कला, बचपन के सपने। स्टीव जॉब्स ने “Sick bed” को दुनिया का सबसे महंगा बेड बताया था। उनका कहना था कि आप अपने लिए ड्राइवर हायर कर सकते हो लेकिन कितना भी पैसा होने पर आप किसी को अपनी बीमारी के लिए हायर नहीं कर सकते। अगर पैसे के पीछे भागना बंद नहीं करेंगे तो कुछ हासिल नहीं होगा और मेरे जैसे बन जाएंगे। भगवान ने हमें प्यार समझने और करने की शक्ति दी है।


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स्टीव जॉब्स की बेटी लीज़ा ब्रेनन जॉब्स ने पिता के साथ अपने रिश्तों को लेकर 'स्मॉल फ्राई' नाम से किताब लिखी है। लीज़ा के मुताबिक, उनके पिता ने उन्हें पहले नहीं अपनाया था। स्टीव जॉब्स ने एक बार लीज़ा से कहा था कि उनमें से टॉयलेट सी बदबू आती है।

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'द टेलीग्राफ' की खबर के मुताबिक, लीज़ा ब्रेनन जॉब्स (40) ने 'वैनिटी फेयर' मैग्ज़ीन को दिए गए इंटरव्यू में अपनी किताब के कुछ हिस्सों को लेकर बात की है। स्टीव जॉब्स की बेटी लीज़ा ब्रेनन ने अपने किताब में बताया है कि कैसे उनके पिता ने कई सालों तक उन्हें नहीं अपनाया। आखिरी वक्त में स्टीव ने जब उन्हें स्वीकार किया, तब भी पूरी तरह से बेटी से जुड़ नहीं पाए। बाप-बेटी के बीच हमेशा एक फासला बना रहा।

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फार्म हाउस में हुआ जन्म
लीज़ा ने बताया कि उनका जन्म एक फार्म हाउस में हुआ था। उनकी मां क्रिशन बैनन स्टीव और पिता जॉब्स उस वक्त 23 साल के थे। हालांकि, पहले मां ने कभी किसी को स्टीव जॉब्स के बारे में नहीं बताया था। लीज़ा के मुताबिक, स्टीव जॉब्स मां की मदद नहीं करते थे। इसलिए घर के खर्च चलाने के लिए उनकी मां घरों में बर्तन धोने का काम करती थीं। सोशल बेनिफिट्स स्कीम से भी कुछ फायदा मिल जाता था।

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डीएनए टेस्ट के बाद माना बेटी
लीज़ा आगे कहती हैं, '1980 में कैलिफोर्निया की कोर्ट ने मेरे पिता को हमें गुजारा भत्ता देने को कहा, तब उन्होंने एफिडेविट में झूठ बोला कि वो मेरे पिता नहीं है। उन्होंने तो यहां तक कह दिया था कि वो कभी पिता बन ही नहीं सकते। हालांकि, डीएनए टेस्ट में स्टीव के लीसा ब्रेनन का पिता होने की पुष्टि हुई। फिर अदालत ने उन्हें 500 डॉलर प्रति महीने के गुजारा भत्ते के अलावा सोशल इंश्योंरेंस का खर्च उठाने के लिए भी कहा। लीज़ा बताती हैं, 'कोर्ट में ये केस 8 दिसंबर 1980 को खत्म हुआ। इसके चार दिन 8 दिसंबर को 'एपल' पब्लिक कंपनी बन गई। एक साल बाद मेरे पिता की प्रॉपर्टी 20 करोड़ डॉलर से ज्यादा हो गई।'

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दोस्तों को पिता के बारे में बताया था
अपने बचपन के दिनों का ज़िक्र करते हुए लीज़ा कहती हैं, 'स्कूल में मैंने गर्व से सबको बताया कि मेरे पिता स्टीव जॉब्स हैं। मेरे दोस्तों ने पूछा कि वो कौन हैं? तब मैंने कहा था, 'वो बहुत मशहूर हैं उन्होंने पर्सनल कंप्यूटर बनाया है। मेरे पिता एक आलीशान घर में रहते हैं। बड़ी सी गाड़ी चलाते हैं। जब भी उनकी गाड़ी पर कोई खरोंच आती है तो वो नई गाड़ी खरीद लेते हैं।'

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तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा
लीसा ने अपनी मां से सुना था कि उनके पिता अपनी पोर्श कारें खरोंच लगने के बाद ही बदल लेते हैं। लीसा के मुताबिक, "किसी समय मैं हफ्ते में एक दिन जॉब्स के घर पर रुकती थी क्योंकि मां को सैन फ्रांसिस्को के कॉलेज जाना होता था। एक दिन मैंने जॉब्स से कहा कि जब पोर्श उनके किसी काम की नहीं रहेगी तो मैं ले सकती हूं। उन्होंने कहा, बिलकुल नहीं। तुम्हें कुछ भी नहीं मिलेगा, कुछ भी नहीं। उनकी आवाज में कड़वाहट थी। मेरे पिता बिल्कुल भी दरियादिल नहीं थे। न पैसों, न खाने और न ही शब्दों के मामले में।''


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Edited By

Anil dev

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