आखिर क्यों दुश्मन बन गए सऊदी अरब और UAE, जानें जंग के बारे में सब कुछ

punjabkesari.in Tuesday, Dec 30, 2025 - 08:54 PM (IST)

नेशनल डेस्क: अरब दुनिया में लंबे समय से घनिष्ठ मित्र माने जाने वाले सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के रिश्तों में अब खुली दरार दिखाई देने लगी है। हालात इतने तनावपूर्ण हो गए हैं कि सऊदी अरब ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को “रेड लाइन” बताते हुए सख्त संदेश दे दिया है। यमन के मुकल्ला बंदरगाह पर हुए हमले ने इस टकराव को और गहरा कर दिया है।

मुकल्ला पोर्ट पर हमला और सऊदी का दावा

सऊदी अरब का कहना है कि उसने यमन के मुकल्ला बंदरगाह पर हमला तब किया, जब वहां UAE से जुड़े जहाज हथियारों की अनलोडिंग कर रहे थे। सऊदी ने वीडियो फुटेज जारी कर दावा किया कि इन जहाजों से भारी मात्रा में हथियार और बख्तरबंद वाहन उतारे जा रहे थे। सऊदी नैरेटिव के मुताबिक, ये हथियार उन गुटों के लिए थे जो सऊदी अरब के दुश्मन हैं।

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फुजैराह से रवाना जहाज, ट्रैकिंग सिस्टम बंद!

सऊदी अरब के अनुसार ये जहाज UAE के फुजैराह बंदरगाह से रवाना हुए थे और इनका ट्रैकिंग सिस्टम बंद था। सऊदी का आरोप है कि हथियार यमन के अलगाववादी संगठन सदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (STC) के लिए थे, जिसे कथित तौर पर UAE का समर्थन हासिल है।

भाईचारे पर सवाल, सऊदी की खुली नाराज़गी

सऊदी अरब ने UAE जैसे “भाईचारे वाले देश” पर आरोप लगाया है कि वह सऊदी की दक्षिणी सीमा के पास STC की सेनाओं पर सैन्य दबाव बनवा रहा है। सऊदी ने इसे अपनी सुरक्षा के लिए सीधा खतरा बताते हुए कड़ी निंदा की है। रॉयटर्स के मुताबिक, सऊदी अरब ने यमन में मौजूद UAE के सैनिकों को 24 घंटे के भीतर देश छोड़ने का अल्टीमेटम दिया है।

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‘सीमित कार्रवाई’, लेकिन भारी नुकसान

सऊदी विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि यह कार्रवाई क्षेत्रीय शांति को खतरे से बचाने के लिए की गई और संपत्ति का नुकसान न्यूनतम रखने की कोशिश की गई। हमले में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है, लेकिन मुकल्ला पोर्ट को भारी क्षति पहुंची है। वहीं STC ने हमले को “आक्रामकता” बताते हुए UAE से सैन्य मदद की मांग की है।

यमन की सत्ता में उथल-पुथल

इसके जवाब में सऊदी समर्थित यमन की प्रेसिडेंशियल लीडरशिप काउंसिल ने UAE के साथ संयुक्त रक्षा समझौता रद्द कर दिया है और 72 घंटे के लिए सीमाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। परिषद के प्रमुख रशाद अल-अलीमी ने इसे सुरक्षा के लिहाज से जरूरी कदम बताया।

यमन में तीन गुट, तीन समर्थक

गृह युद्ध में फंसे यमन में फिलहाल तीन प्रमुख गुट सक्रिय हैं-

  • हूती विद्रोही, जिन्हें ईरान का समर्थन प्राप्त है
  • सदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (STC), जिसे UAE का समर्थन बताया जाता है
  • प्रेसिडेंशियल लीडरशिप काउंसिल, जिसे सऊदी अरब का समर्थन हासिल है
  • तीनों गुट यमन के अलग-अलग हिस्सों पर नियंत्रण बनाए हुए हैं।

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कैसे बिगड़ते गए सऊदी-UAE रिश्ते?

अल जजीरा के मुताबिक, हमद बिन खलीफा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सुल्तान बराकत कहते हैं कि UAE 2014 में हूती विद्रोहियों के खिलाफ सऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल हुआ था, लेकिन समय के साथ दोनों देशों के हित अलग-अलग होते चले गए। UAE ने सऊदी से बिना पूछे यमन में स्वतंत्र फैसले लेने शुरू किए, जिससे दक्षिणी अलगाववादियों की स्थिति मजबूत हुई।

यमन का पुराना बंटवारा, नई लड़ाई

1990 से पहले यमन उत्तर और दक्षिण- दो देशों में बंटा हुआ था। राजधानी सना पर हूतियों के कब्जे के बाद दक्षिण में अलगाववादी आंदोलन को फिर से हवा मिली। सऊदी यमन को एकजुट रखना चाहता है, जबकि UAE समर्थित STC दक्षिण यमन को अलग देश बनाने की मांग करता है।


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News Editor

Parveen Kumar

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