कज़ाख़़स्तान में छाया भारत का नाम

punjabkesari.in Thursday, Dec 01, 2016 - 05:59 PM (IST)

कजाखस्तान: कज़ाख़़स्तान में भारत के नाम की चर्चा रही। मौका था देश की आज़ादी के 25 सालों की समीक्षा के लिए बुलाए गए सम्मेलन का। सभा में कजाखस्तान के अलावा अमरीका, रूस और जर्मनी समेत कई देशों के प्रतिनिधि शरीक हुए और कज़ाख़़स्तान के विकास के लिए भारत को साथ लेने की हर तरफ वकालत हुई।

राजधानी अस्ताना में आयोजित ‘कज़ाख़़स्तान की आज़ादी के 25 साल: नतीजे, पूर्णता और भविष्य की योजना’ के विषय पर आयोजित सम्मेलन में भारत का कई बार जिक्र हुआ और इस बात पर हर्ष जताया गया कि जितना कजाखस्तान भारत को चाहता है, उतना ही भारत की तरफ से भी उन्हें सम्मान मिलता है।विचारकों का मानना था कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था है और भारत को भी इस बात का ख़याल है कि मध्य एशिया की सबसे मजबूत, स्थिर और व्यापक अर्थव्यवस्था को साथ लेकर चलना आवश्यक है।


कजाखस्तान और भारत के संबंध गहरे हैं- फ़्रेडरिक
अमरीका की जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय में मध्य एशिया विभाग के प्रमुख फ्रेडरिक स्टार ने कजाखस्तान और भारत के बीच बेहतर दोस्ती की वकालत की।अपने रिसर्च पेपर ‘कजाखस्तान 2041- अगले पच्चीस साल’ को प्रस्तुत करते हुए स्टार ने कजाखस्तान के भविष्य की चर्चा की।उन्होंने सामाजिक राजनीतिक और सामाजिक आर्थिक स्थितियों का आकलन पेश करते हुए जिक्र किया कि कजाखस्तान को क्षेत्रीय मित्रों के साथ संतुलित संबंध रखने होंगे।हमसे बातचीत में उन्होंने भारत- कजाखस्तान के संबंधों के बारे में कहा कि भारत उभरती हुई आर्थिक शक्ति है और दक्षिण एशिया का मजबूत देश है।उन्होंने भारत के साठवें गणतंत्र दिवस पर कजाखस्तान के राष्ट्रपति नूरसुल्तान नजरबायेव को मुख्य अतिथि बनाए जाने को महत्वपूर्ण घटना बताते हुए कहा कि चीन से दोगुनी जनसंख्या दक्षिण एशिया की है। भारत में जवानों की जनसंख्या का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि आने वाले दो दशक तक भारत ही नहीं बल्कि दक्षिण एशिया के देश पूरे यूरेशिया की अर्थव्यवस्था की जान होंगे।स्टार सुझाव देते हैं कि चीन और रूस की अर्थव्यवस्था के बराबर वाले भारत समेत पूरे दक्षिण एशिया पर कजाखस्तान को ध्यान देना चाहिए।स्टार लेंडलॉक्ड (समुद्री सीमा के बिना)देश को बाधा नहीं मानते और मानते हैं कि कजाखस्तान से एशिया में सड़क मार्ग से कहीं भी पहुंचा जा सकता है।वह भारत और पाकिस्तान और भारत और चीन के बीच सड़क मार्ग से व्यापार का जिक्र करते हुए कहते हैं कि मास्को और बीजिंग दूर हो सकते हैं,कजाखस्तान नहीं।कजाखस्तान के काबुल में व्यापार केंद्र का जिक्र करते हुए स्टार कहते हैं कि कजाखस्तान मानता है कि अफगानिस्तान महत्वपूर्ण क्षेत्र है और भारतीय उपमहाद्वीप तक अपनी पहुंच को व्यापक बनाना चाहता है।


भारत-कजाखस्तान भाई भाई-गनी कसीमोव
कजाखस्तान संसद की सीनेट के स्पीकर गनी कसीमोव भारत के साथ कजाखस्तान के संबंधों को लेकर मानते हैं कि एकदम शुरू में भारत हमें मान्यता देने वाले देशों में हैं। वह भारत जा चुके हैं और वह भारत को कजाखस्तान का भाई मानते हैं।हम व्यापार और अर्थव्यवस्था में सहयोग की नीति पर काम कर रहे हैं। हम औद्योगिक, हल्के औद्योगिक,रोजमर्रा की जरूरत की चीजें भारत से लेते हैं लेकिन आयात से ज्यादा महत्वपूर्ण हम भारत से विशेषज्ञता सिखाने में अधिक रूचि रखते हैं। हम व्यापार बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं।हम दक्षिण एशिया में भारत के अलावा पाकिस्तान और बांग्लादेश पर ही ध्यान नहीं दे रहे बल्कि अफगानिस्तान से हमें क्षेत्रीय पहुंच का फायदा मिलेगा।


भारत हमें दक्षिण एशिया में पहुंच दे सकता है- सुल्तान 
कजाखस्तान के राष्ट्रपति द्वारा स्थापित विश्व आर्थिक और राजनीतिक संस्थान के निदेशक सुल्तान एकिमबेकोव मानते हैं कि भारत क्षेत्र का सबसे बड़ा देश है और कजाखस्तान मध्य एशिया का महत्वपूर्ण देश है।चीन से यूरोप ही नहीं बल्कि दक्षिण से उत्तर जाने के लिए कजाखस्तान की हैसीयत खास हो जाती है।सड़क मार्ग के विकास के साथ ही कजाखस्तान का विशेष स्थान हो जाता है और भारत हमें दक्षिण एशिया में पहुंच दे सकता है।हमने पिछले 25 सालों में बहुत तरक्की की है और भारत ने बहुत संघर्ष के साथ आजादी हासिल की है। भारत हमें ढांचागत विकास में सिखा सकता है।

कजाखस्तान के विदेश मंत्री इरलान इदरिसोव ने इस कॉन्फ्रेंस में बताया कि देश ने अपनी आजादी के साथ ही काफी बाधाओं का सामना किया है लेकिन राष्ट्रपति नूरसुल्तान नजरबायेव की बहुआयामी विदेश नीति के बल पर हम आगे बढे।उन्होंने विश्व शांति में कजाखस्तान के योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि किस प्रकार देश ने अपने इन प्रयासों से सम्मान हासिल किया है।कजाखस्तान की संसद मजलिस के अध्यक्ष नूरलान निगमातुलिन ने कहा कि 25 सालों में राष्ट्रपति नूरसुल्तान नजरबायेव की अध्यक्षता में देश ने सोवियत संघ से अलग होने के बाद बहुत तरक्की की है। हम सोवियत संघ के कच्चा माल भेजने वाले प्रांत से एक पूर्ण देश की तरफ आगे बढ़े हैं। हमारा देश स्थानीय लीडर है,आधुनिक है,मजबूत अर्थव्यवस्था है और स्थाई समाज है।नूरलान ने नेशनल फंड स्थापित किए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि इसके बल पर हमने उत्पादक विकास दर, औद्योगिक उत्पादन, बेहतर वेतन ही नहीं बल्कि बीस लाख नौकरियां भी पैदा कीं।


मोदी ने मध्य एशिया तक पहुंचने की कोशिश की- मुसावी
भारत ने मध्य एशिया तक पहुंचने के लिए ईरान के बंदरगाह चाबहार को विकसित करने के बाद ईरान के शहर जरांज से अफगानिस्तान के सीमावर्ती शहर डेलाराम तक के सड़क मार्ग के विकास को धीमा कर दिया था लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ईरान यात्रा के बाद इस कार्य में तेजी आई है।चाबहार में बहार है और सड़क मार्ग पर भी कार्य किया जा रहा है।मुझे आशा है कि अब यह कार्य आसान हो जाएगा।सिर्फ चाबहार ही नहीं बल्कि ककोसस देश और उत्तर दक्षिण देशों तक पहुंच बनाने के लिए भारत और ईरान के समान हित हैं।यह हमारी अर्थव्यवस्था के लिए भी बेहतर है। ईरान के 15 देशों से सीमा लगती है और हम अपने हितों के लिए गंभीर हैं।


नूरसुल्तान ने बदल दी तस्वीर
आपको बता दें कि कजाखस्तान ने सोवियत रूस से 25 साल पहले आजाद हुआ था। कजाखस्तान में 70 प्रतिशत सुन्नी मुस्लिम रहते हैं और यह पूर्ण रूप से सेकूलर देश है।कजाखस्तान ने इन सालों में अपनी अर्थव्यवस्था को 16 गुना बढाया है। कजाखस्तान लघु, मध्यम और सूक्ष्म उद्योगों के आधार पर प्रगति करने वाला देश है जिसके तहत 7 लाख छोटे उद्योगों से 25 लाख लोगों को रोजगार मिलता है और देश की सकल घरेलू उत्पाद में इसका 30 प्रतिशत योगदान है।कजाखस्तान के लोग मानते हैं कि इतने कम समय में इतनी प्रगति के पीछे राष्ट्रपति नूरसुल्तान नजरबायेव की महान् नीतियां ही मुख्य कारण हैं।

-अख़लाक़ अहमद उस्मानी 

(ये लेखक के निजी विचार हैं)


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