चीन को लेकर अंधेरे में भारत, सच वो नहीं !

punjabkesari.in Monday, Jul 24, 2017 - 12:07 PM (IST)

बीजिंगः डोकलाम विवाद को लेकर भारत और चीन के बीच सीमा पर पिछले 5 हफ़्तों से ज़्यादा समय से तनाव जारी है। दुनिया भर के कई विश्लेषक चिंता जता रहे हैं कि इस गतिरोध से युद्ध की आशंका गहरा रही है। रविवार को द चारहार इंस्टिट्यूट के रिसर्च फेलो और चाइना वेस्ट नॉर्मल यूनिवर्सिटी में सैंटर फोर इंडियन स्टडीज के निदेशक लोंग शिन्चुन का चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स में भारत-चीन तनाव पर एक विश्लेषण छपा है।
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इस विश्लेषण में लोंग ने लिखा है कि चीन युद्ध नहीं चाहता है। उन्होंने लिखा, ''भारतीय मीडिया और विश्लेषक इस गतिरोध के लिए चीन को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं। ये बता रहे हैं कि चीन भारत को उकसा रहा है ताकि वह अपनी आंतरिक समस्याओं से ध्यान हटा सके। यहां तक की भारतीय मीडिया में इस तनाव को कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ चाइना की 19वीं कांग्रेस से भी जोड़ा जा रहा है। इन विश्लेषणों से साबित होता है कि भारतीय मीडिया और वहां के विश्लेषकों का चीन का बारे में ज्ञान कितना अधूरा है।''

लोंग ने लिखा है, ''जहां तक मैं जानता हूं उसके मुताबिक भारत में 200 से ज़्यादा चीनी मामलों के विशेषज्ञ नहीं हैं। इममें से महज 10 फ़ीसदी लोग मंदारिन पढ़ या बोल सकते हैं। इनमें से ज़्यादातर विशेषज्ञ चीन को लेकर अमरीका और यूरोप से प्रकाशित होने वाली सामग्री इंग्लिश में पढ़ते हैं। दुख की बात है इस स्थिति में भी वो दावा करते हैं कि चीन के बारे में सब कुछ जानते हैं।'

लोंग ने लिखा है, ''चीन में मौजूद भारतीय रिपोर्टर शायद ही चीनी भाषा समझते हैं।यहां तक की इनमें से कुछ लोग जब अपने पड़ोसी को 'कम्युनिस्ट चाइना' के रूप में व्याख्या करते हैं तो ऐसा लगता है कि यह टर्म 40 साल पहले का है। दुखद यह है कि ये लोग भारत की समझ को आकार देते हैं और चीन पर अपना फ़ैसला सुनाते हैं।''


 


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