Saudi Arabia Defence: सऊदी अरब पर हमला हुआ तो खड़ा हो जाएगा दुनिया का ये शक्तिशाली देश, जानें क्या है सीक्रेट डील?
punjabkesari.in Friday, Sep 26, 2025 - 03:30 PM (IST)

नेशनल डेस्क। सऊदी अरब ने हाल ही में पाकिस्तान के साथ एक ऐतिहासिक रक्षा समझौता किया है जिसके तहत एक देश पर हमला होने पर दोनों देश मिलकर जवाब देंगे। यह कदम दोनों देशों के सैन्य और रणनीतिक सहयोग को मजबूत करता है लेकिन इस बीच एक ऐसा शक्तिशाली देश है जो एक पुराने और गहरे समझौते के कारण किसी भी हमले की स्थिति में पाकिस्तान से भी पहले सऊदी अरब के साथ खड़ा होगा और वह देश है संयुक्त राज्य अमेरिका (USA)।
सऊदी-पाकिस्तान का नया रक्षा समझौता
सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हुए नए समझौते का मुख्य उद्देश्य सैन्य और रणनीतिक सहयोग को बढ़ाना है।
संयुक्त रक्षा: समझौते में यह स्पष्ट है कि किसी भी देश पर हमला दोनों देशों पर हमला माना जाएगा।
रणनीतिक सहयोग: इसमें खुफिया जानकारी साझा करने और संयुक्त सैन्य अभ्यास शामिल हैं जो क्षेत्रीय शांति और दोनों देशों की रणनीतिक स्थिति को मजबूत करेंगे।
हमले की स्थिति में अमेरिका की भूमिका क्यों महत्वपूर्ण?
सऊदी अरब की सुरक्षा के मामले में संयुक्त राज्य अमेरिका का समझौता सबसे अहम है।
दशकों पुराना समझौता: अमेरिका ने दशकों से सऊदी अरब के साथ-साथ बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर और यूएई जैसे छह खाड़ी देशों के साथ एक व्यापक रक्षा समझौता किया हुआ है।
सुरक्षा गारंटी: इस समझौते के तहत अमेरिका तेल और गैस जैसे महत्वपूर्ण ऊर्जा संसाधनों तक अपनी पहुंच बनाए रखने के बदले में इन खाड़ी देशों को सुरक्षा की गारंटी देता है।
रणनीतिक दायित्व: इसका सीधा मतलब यह है कि सऊदी अरब पर किसी भी हमले की स्थिति में अमेरिका अपने लंबे समय से चले आ रहे रणनीतिक और आर्थिक दायित्वों के कारण पाकिस्तान से पहले सक्रिय रूप से हस्तक्षेप कर सकता है।
पाकिस्तान के लिए इस समझौते के फायदे
सऊदी अरब के साथ इस समझौते से पाकिस्तान की क्षेत्रीय भूमिका मजबूत होती है।
यह भी पढ़ें: सोशल मीडिया पर मचेगा तहलका: Meta ने लॉन्च किया नया AI प्लेटफॉर्म Vibes, अब चुटकियों में बनेंगे AI वीडियो
रणनीतिक संबंध: यह समझौता पाकिस्तान को क्षेत्र में एक प्रमुख सुरक्षा भागीदार के रूप में स्थापित करता है।
अमेरिकी सहयोग: सऊदी अरब और पाकिस्तान दोनों ही अमेरिकी सेंट्रल कमांड के परिचालन क्षेत्र में अमेरिका के रणनीतिक भागीदार हैं। उनका आपसी सहयोग क्षेत्रीय स्थिरता और महत्वपूर्ण एनर्जी कॉरिडोर की सुरक्षा जैसे अमेरिकी सुरक्षा उद्देश्यों के साथ मेल खाता है।
संक्षेप में सऊदी अरब पर किसी भी खतरे की स्थिति में अमेरिका अपने दशकों पुराने सुरक्षा दायित्वों के कारण तुरंत कार्रवाई कर सकता है जबकि पाकिस्तान का नया समझौता लंबी अवधि के सैन्य और रणनीतिक सहयोग को और अधिक मजबूत करता है।