ऊर्जा संकट से कैसे निपटेंगे जर्मन

punjabkesari.in Wednesday, Aug 17, 2022 - 03:17 PM (IST)

जर्मनी में सर्दियों से पहले ही लोगों ने ऊर्जा बचाने के उपायों पर अमल शुरू कर दिया है. सरकार भी उनके साथ है. एक तरफ कोलोन डोम जैसी इमारतों की रोशनी छिन रही है तो दूसरी तरफ लोगों का नहाना और खाना कम हो रहा है.जर्मन शहर कोलोन में रात के वक्त आकाश की एक जानी पहचानी तस्वीर अब नहीं दिख रही है. शहर का कथीड्रल जो यहां आने वाले सैलानियों को सबसे ज्यादा लुभाता है अब रात को रोशन नहीं होता है. यूक्रेन पर हमले के बाद रूस से जर्मनी आने वाली सप्लाई में कटौती के कारण पैदा ऊर्जा संकट की यह सबसे बड़ी निशानी है. कोलोन में ऊर्जा संकट से निबटने के लिये बनाई गई ईटीम की प्रमुख आंद्रेया ब्लोमे कहती हैं, "फिलहाल घबराने की कोई वजह नहीं है लेकिन हमें आपातकालीन स्थिति के लिए भी तैयार रहना होगा. निश्चित रूप से हम बिजली बचा रहे हैं क्योंकि अभी गर्मियों के मौसम में हीटिंग की जरूरत नहीं है. ऐसे में हम लाइटिंग पर ध्यान दे रहे हैं, इसमें फुटबॉल के स्टेडियम, कथीड्रल, ऐतिहासिक सिटी हॉल और राइन ब्रिज शामिल है. शाम को 11 बजे के बाद सारी बत्तियां बंद कर दी जाती हैं." यह भी पढ़ेंः ऊर्जा संकट के बीच जर्मनी को सौर ऊर्जा का मिला उपहार रात के वक्त शहर की 130 से ज्यादा इमारतों की बत्ती बंद कर दी जाती है. 11 बजे के बाद सड़कों की बत्ती भी मद्धिम कर दी जा रही है. कोलोन में इस कटौती के जरिये 15 फीसदी ऊर्जा बचाने की कोशिश हो रही है. यूरोपीय संघ ने सभी सदस्य देशों के लिये फिलहाल यही लक्ष्य तय किया है. खाना बनाना और नहाने में कमी सोमवार को जर्मन उपभोक्ताओं को जानकारी मिली कि सर्दियों के महीने में उन्हें गैस के लिये कितना अधिक पैसा देना होगा. अक्टूबर के महीने से गैस पर अधिभार लगाया गया है जो घरों और कारोबार पर लागू होगा. इसकी वजह से हर परिवार को करीब 500 यूरो की रकम अतिरिक्त देनी पड़ेगी. दो महीने पहले जर्मनी के वित्त मंत्री रॉबर्ट हाबेक ने चेतावनी दी थी कि जर्मनी को पतझड़ और सर्दियों के मौसम में कठिनाई का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने लोगों से कम नहाने और एयरकंडीशनर का इस्तेमाल घटाने की अपील की थी. यह भी कहा गया था कि शॉवर का इस्तेमाल पांच मिनट से ज्यादा ना करें. यह भी पढ़ेंः बिजली बचाने पर कर्मचारियों को बोनस देगी जर्मन रेल कंपनी जर्मनी में बाथरूम फिटिंग बनाने वाली कंपनी ग्रोहे के प्रबंध निदेशक आलेक्जांडर त्सीह ने डीडब्ल्यू को बताया कि पानी बचाने वाले उपकरणों की मांग हाल के हफ्तों में काफी ज्यादा बढ़ गई है. खासतौर से शॉवर हेड और सिंक की. सर्वेक्षणों से पता चला है कि जर्मन लोगों ने सरकार के संदेश को समझ लिया है. यूक्रेन के साथ भाईचारा दिखाने के साथ ही उन्हें अपनी जेब का भी ध्यान रखना है. पूरे देश में लोग पहले ही शॉवर में कम नहा रहे हैं और ठंडे पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके साथ ही कंप्यूटर और फोन का इस्तेमाल घटाया जा रहा है और रात के खाने में गर्म भोजन की बजाय ठंडे स्नैक से काम चलाया जा रहा है. ऊर्जा सलाहकारों की मांग बढ़ी इस समय जर्मनी में सबसे ज्यादा ऊर्जा सलाहकारों को लोग ढूंढ रहे हैं. सेलिया शुत्से देश की 13,000 ऊर्जा सलाहकारों में से एक हैं. 10 साल पहले उन्होंने बॉन एनर्जी एजेंसी शुरू की थी और आज वो उसकी प्रबंध निदेशक हैं. सेलिया का कहना है कि 2022 की पहली तिमाही में एजेंसी के पास आम समय की तुलना में 70 फीसदी ज्यादा इंक्वायरी के अनुरोध आये उसके बाद से उन्होंने इसकी गणना बंद कर दी. लंबे समय से उन्होंने एक एक कर सलाह देने की बजाय लोगों को समूह में बुला कर सलाह देने की शुरूआत कर दी है. इन मुलाकातों मे वो लोगों को फोटोवोल्टाइक की बुनियादी जानकारी, इमारतों के इंसुलेशन और हीट पंपों के बारे में सबकुछ बताती हैं. फिलहाल ऐसे सलहाकारों का अपॉइंटमेंट लेने के लिये आम तौर पर दो महीने इंतजार करना पड़ रहा है. यह भी पढ़ेंः जर्मनी में गैस की कमी देख लकड़ी जमा करने लगे हैं लोग शुत्से ने बताया, "थोड़ी बहुत असहाय होने की भावना लोगों में है, बहुत से लोगों को यही नहीं पता कि उनका सबसे बड़ा खर्च क्या है. वो ये नहीं जानते कि कहां से शुरू करना है. निश्चित रूप से बहुत से लोगों को लगता था कि उनके यहां गैस हीटिंग काफी आधुनिक और कुशल है. हालांकि यह बिल्कुल सच नहीं है क्योंकि हर गैस हीटिंग सिस्टम जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल करता है." हर घर में ऊर्जा बचाने के मौके कुछ दिनों पहले एक कार्टून आया था जिसमें बहुत से लोग एक दरवाजे के बाहर खड़े हैं और ऐसा लग रहा है कि कोई वीआईपी या सेलेब्रिटी आने वाला है लेकिन आखिरकार वहां ऊर्जा सलाहकार प्रकट होता है जिसके पास अपॉइंटमेंट मौजूद है. शुत्से इस कार्टून पर हंसती हैं, हालांकि यह व्यंग्य मामले की गंभीरता दिखाता है. हर मोर्चे पर ऊर्जा सलाहकारों की कमी है. शुत्से की आमलोगों को अपने आसपास देख कर ऐसी चीजें खोजने की सलाह है जो ज्यादा ऊर्जा का इस्तेमाल करते हैं. उनकी अगली सलाह है, "छोटे छोटे कदम उठायें जैसे कि हीटिंग को एक डिग्री कम पर इस्तेमाल करना जो ऊर्जा में 6 फीसदी की बचत करता है." यह भी पढ़ेंः जलवायु लक्ष्यों पर भारी पड़ता रोटी, तेल का संकट क्लाइमेट न्यूट्रलिटी लंबे समय के लिये सेलिया शुत्से की सलाह है कि क्लाइमेट न्यूट्रलिटी. दूसरे शहरों की तरह बॉन ने 2035 तक कार्बन न्यूट्रल होने का लक्ष्य तय किया है. दूसरे शब्दों में इसका मतलब है कोयला, तेल और गैस से छुटकारा पाना. क्या जर्मनी के सारे लोग यह कर सकते हैं. यह पूछने पर कि कोयले को धीरे धीरे खत्म करने के बाद दोबारा उस पर लौटने के बारे में सेलिया ऊर्जा मंत्री रॉबर्ट हाबेक से क्या कहेंगी? सेलिया का जवाब था, "मैं इंसुलेशन और ऊर्जा कुशलता पर ज्यादा ध्यान दिया जाना देखना चाहूंगी. दुर्भाग्य से इमारतों की मरम्मत के लिये मिलने वाली फंडिंग की स्थिति अभी बेहद खराब है, यह दुखद है. आखिरकार इमारतों की मरम्मत एक अच्छा मौका है हीट पंप को इंस्टॉल करने का. इस तरह की सलाह देने वाली एजेंसियों को भी मदद देने की जरूरत है. अब यह चाहे रीजनल एनर्जी एजेंसी हो या फिर कस्टमर सेंटर.

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