सदी के अंत तक यूरोप में बरपेगा कहर, खतरनाक है वजह !

punjabkesari.in Saturday, Aug 05, 2017 - 12:47 PM (IST)

लंदनः जलवायु परिवर्तन के कारण प्रतिकूल मौसम से यूरोप में इस सदी के अंत तक एेसा कहर बरपेगा कि लोगों की मौतों का आंकड़ा बढ़ कर 50 गुना ज्यादा हो जाएगा और यह  संख्या 150,000 से अधिक होगी। वैज्ञानिकों ने शोधों के निष्कर्ष के आधार पर यह अनुमान व्यक्त किया है। लैंसेंट प्लेनेटरी हेल्थ जर्नल में वैज्ञानिकों ने अपने शोधों के आधार पर कहा है कि अगर जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए गंभीर उपाय नहीं किए गए तो प्रतिकूल मौसम से  होने वाली मौतों से समाज पर अधिक बोझ बढेगा और इससे यूरोप के हर दो लोग प्रभावित होंगें।

सबसे ज्यादा खतरा ग्रीन हाऊस गैसों और अन्य मौसमी बीमारियों से होगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर इस समय जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपाय नहीं किए गए तो बेहद गर्म और ठंडे मौसम, आग लगने की घटनाओं, सूखा और अकाल, तटीय क्षेत्रों में पानी का जल स्तर बढ़ने के कारण लोगों की मौतों का आंकड़ा बढेगा।वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि वर्ष 1981 से 2010 तक यूरोप में मौसम संबंधी बीमारियों से तीन हजार लोगों की मौत हो गई थी और वर्ष 2071 से 2100 तक यह आंकड़ा बढ़ कर 152,000 हो जाएगा।

इस शोध की अगुवाई करने वाले वैज्ञानिक गियोवान्नी  फोरजिएरी ने बताया कि जलवायु परिवर्तन 21 वीं सदी में मानव सेहत के लिए सबसे बड़ा खतरा बन कर उभरेगा और यहीं लोगों की मौतों का कारण भी बनेगा। यदि इससे निपटनें के लिए अभी गंभीर उपाय नहीं किए गए तो इस सदी के अंत तक यूरोप में प्रतिवर्ष साढे तीन करोड़ लोग मौसमी दशाओं के खतरनाक प्रभावों से पीड़ित होंगे। इस शोध पर टिप्पणी करते हुए लंदन स्कूल आफ हाइजिन एंड ट्रापिकल मेडिसिन के प्रोफेसर पाल विलकिंसन ने कहा कि ये आंकड़े काफी डरावने है और इस दिशा में अभी से ही कुछ ठोस कदम उठाए जाने जरूरी हैं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News