Corona virus की नहीं मिल रही कोई दवा, 2,000 साल पुराने तरीके से इलाज कर रहे हैं डॉक्टर

punjabkesari.in Tuesday, Feb 18, 2020 - 11:13 AM (IST)

पेइचिंग: दुनियाभर में और खासकर चीन में तांडव मचा रहा कोरोना वायरस थमने का नाम नहीं ले रहा। इसके चलते चीन में रोजाना सैंकड़ों जानें जा रही हैं। ताजा आंकड़े की बात करें तो पिछले 24 घंटों में मरने वालों की संख्या 98 हो गई और इस बीमारी से अब तक वहां 1868 लोगों की मौत हुई है। वहीं चीन में स्वास्थ्य अधिकारी घातक कोरोना वायरस से पीड़ित रोगियों पर अब प्राचीन पारंपरिक उपचार का इस्तेमाल कर रहे हैं। वुहान में इस बीमारी के प्रकोप के खिलाफ  चिकित्सक पारंपरिक चीनी चिकित्सा का उपयोग पश्चिमी दवाओं के साथ मिलकर कर रहे हैं। डेली मेल की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में दुनिया भर के वैज्ञानिक कोरोना वायरस (कोविड-19) का टीका बनाने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है। वैज्ञानिक यह जांच भी कर रहे हैं कि क्या एच.आई.वी. और इबोला की दवाएं कोरोना वायरस के लक्षणों के उपचार में प्रभावी हो सकती हैं।

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क्या है यह पारंपरिक इलाज
चीन के डॉक्टर कोरोना वायरस के संक्रमण के लिए अब हजारों साल पुरानी पारंपरिक चिकित्सा का इस्तेमाल कर रहे हैं। चीन में बायोमैडीकल अध्ययन का एक डाटाबेस, जिसे ‘द चाइनीज क्लिनिकल ट्रायल रजिस्ट्री’ कहा जाता है, में चल रहे नियंत्रित परीक्षणों के साथ-साथ पारंपरिक दवाओं को भी सूचीबद्ध किया गया है। पारंपरिक उपचारों में से एक ‘शुआंगहुआंग्लियन’ है। यह एक चीनी हर्बल दवा है जिसमें ‘लियान क्यूओ’ का अर्क होता है। कहा जाता है कि इस सूखे फल का उपयोग 2,000 से अधिक वर्षों पहले संक्रमण के इलाज के लिए किया गया था। इस परीक्षण में लगभग 400 मरीजों को शामिल किया गया है। 

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क्या है ‘लियान क्यूओ’ 
एक्यूपैंचरटुडे के अनुसार, इसे ‘फोरसाइथिया’ के नाम से भी जाना जाता है, जो एक प्रकार का पौधा है और पूरी दुनिया में पाया जाता है और इसे इसके फूलों के आकार और रंग के कारण ‘गोल्डन बेल’ के रूप में भी जाना जाता है। चीन में यह पौधा शांक्सी, हेनान, शानक्सी और गांसु प्रांतों में पाया जाता है। इस पौधे के फल का औषधीय रूप से उपयोग किया जाता है। हर्बल उपचार में इस्तेमाल करने से पहले इसके फलों से बीजों को निकाल दिया जाता है और फलों को धूप में सुखाया जाता है। पारंपरिक चीनी चिकित्सा में इसका इस्तेमाल दिल, फेफड़े और पित्ताशय से जुड़े रोगों के इलाज में किया जाता है। इसके अलावा इसका उपयोग शरीर की गंदगी साफ  करने और बुखार व सिरदर्द जैसे लक्षणों से राहत पाने के लिए भी किया जाता है। कहां मिलता है यह फल और इसका कितनी मात्रा में करना चाहिए सेवन इसकी खुराक 6 से 15 ग्राम सूखे फल के बीच होती है जिसका काढ़ा बनाकर सेवन किया जा सकता है। कुछ चिकित्सक 10 ग्राम की दैनिक खुराक की सलाह भी देते हैं। कुछ एशियाई बाजारों में इसके सूखे फल मिल सकते हैं। इसके अलावा पाऊडर और कैप्सूल के रूप में भी हर्बल दुकानों और विशेष दुकानों पर उपलब्ध होता है। 

 

इस बात का रखें ध्यान
इस फल का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें। उन रोगियों को इसका सेवन करने से बचना चाहिए, जो खून की कमी से पीड़ित हैं। इसे गर्भावस्था के दौरान नहीं लिया जाना चाहिए।


 


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Edited By

Anil dev

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