उइगरों पर अत्याचार के बारे में कवरेज करने वाले पत्रकारों के परिवारों को धमका रहा चीन

punjabkesari.in Saturday, Mar 20, 2021 - 04:46 PM (IST)

 

इंटरनेशनल डेस्कः चीन के शिजियांग में एक लाख उइगरों पर अत्याचार के बारे में रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों को डराने के लिए उनके परिवारों पर अत्याचार किए जा रहे हैं। रेडियो फ्री एशिया (RFA) ने कई स्थानीय अधिकारियों के साक्षात्कार के बाद इस महीने की शुरुआत में इसकी पुष्टि की । Voice of America (VOA) को इसेत सुलेमान ने बताया कि उसके पांच चचेरे भाई-बहन जो शिनजियांग के डिटेंशन कैंपों के बारे में कवरेज कर रहे थे, अचानक लापता हो गए । उन्होंने कहा कि उसके पत्रकार भाईयों को इन शिविरों में हिरासत में लिया गया था। हालांकि स्थानीय पुलिस और सरकारी अधिकारियों ने यह बताने से इंकार कर दिया कि उन्हें कहाँ रखा जा रहा है ।

 

सुलेमान ने VOA को बताया कि 2016 में चीनी पुलिस ने कई बार उसके घर गई और उसकी मां को चेतावनी दी कि अगर वह उइगरों के बारे में रिपोर्ट करना जारी रखते हैं तो इसका अंजाम परिवार का भुगतना पड़ेगा। सुलेमान ने अपने लापता भाई-बहनों की बरामदगी की गुहार लगाते हुए चीन सरकार के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उधर,  चीन के शिनजियांग प्रांत में रहने वाले उइगर मुस्लिमों पर सरकारी अत्याचार के विरोध में दुनियाभर में रहने वाले उइगरों ने अमेरिका से गुहार लगाई है। निर्वासित उइगरों ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन को पत्र लिखकर शिनजियांग के यातना कैंपों को बंद कराने की अपील की है। यह अपील ऐसे समय में की गई है, जब अलास्का में दोनों देशों के शीर्ष अधिकारियों की दो दिवसीय वार्ता हो रही है। इसमें अमेरिका की तरफ से विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन शामिल हुए हैं।

 

उइगरों के मामले में पहले ही विदेश मंत्री ब्लिंकन चीन को चेतावनी दे चुके हैं। व‌र्ल्ड उइगर कांग्रेस के अध्यक्ष डोल्कन ईसा ने कहा कि वार्ता में चीन को सबसे पहले नरसंहार और यातना कैंपों को बंद करने के लिए कहना चाहिए। उल्लेखनीय है कि चीन के शिनजियांग प्रांत में लगभग दस लाख उइगर मुस्लिम यातना कैंपों में हैं। इन पर तरह-तरह से अत्याचार किए जा रहे हैं। महिलाओं का भी यौन शोषण हो रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में रहने वाले तिब्बती, उइगर और हांगकांग मूल के लोगों ने व्हाइट हाउस के सामने प्रदर्शन किया। उनकी मांग थी कि अमेरिका के जो बाइडन प्रशासन के साथ पहली बार चीन की अलास्का में चल रही आमने-सामने की वार्ता में इन तीनों स्थानों के मुद्दों को मजबूती के साथ उठाया जाए।

 

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि चीन को इस बात के लिए मजबूर किया जाए कि वह अपने यहां मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता को हर हाल में बहाल करे। प्रदर्शन करने वालों में तमाम लोग ऐसे भी थे, जो हांगकांग के लोकतंत्र समर्थक आंदोलन का हिस्सा व शिनजियांग और तिब्बत में अत्याचारों के पीडि़त रहे हैं। इसके अलावा मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार चीन ने उइगर परिवारों से उनके छोटे बच्चों को जबरन अलग कर सरकारी अनाथालयों में भेज दिया है। अपनी एक ताज़ा रिपोर्ट में एमनेस्टी ने चीन से अनुरोध किया है कि परिवारों की सहमति के बिना अनाथालयों में रखे गए सभी उइगर बच्चों को तुरंत रिहा करे।

 


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Content Writer

Tanuja

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