चीनी अर्थव्यवस्था की टूटी कमर, ड्रैगन ने बड़े वैश्विक प्रोजैक्ट्स से खींचा हाथ

punjabkesari.in Sunday, Jul 01, 2018 - 11:00 AM (IST)

बीजिंगः अमरीका के साथ ट्रेड वॉर के चलते वर्तमान में चीन की अर्थव्यवस्था की कमर टूटनी शुरू हो गई है। इसी वजह के चलते चीन कोे घरेलू कर्ज की समस्या का भी सामना करना पड़ रहा है। बड़ा वैश्विक प्रभाव बनाने के लिए चीन ने पिछले 5 वर्षों में एशिया, पूर्वी यूरोप और अफ्रीका में कई बड़े प्रॉजेक्ट में अरबों डॉलर खर्च कर दिए लेकिन अब  ड्रैगन ने  इन  प्रॉजेक्टस से हाथ खींचने शुरू कर दिए हैं।

चीनी कंपनियों द्वारा किया गया सौदा उसकी बड़ी वैश्विक योजना 'बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव' के तहत है। चीनी कंपनियों ने कॉशन नोट जारी करके कहा है कि चीन के संस्थानों को कर्ज देने से पहले सावधान रहना चाहिए और पता लगा लेना चाहिए कि कर्ज वापस मिल पाएगा या नहीं। एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बैंक ऑफ चाइना की चेयरपर्सन हु जियाओलियान ने कहा कि वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय स्थिति में बहुत अस्थिरता है और इसमें घाटे की आशंका के साथ ब्याज की दरों में भी तेजी से बदलाव हो रहा है।

उन्होंने कहा कि चीन की कंपनियों और बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। चीन ने एजेंसियों से पता करने को कहा है कि कितनी डील हुई हैं, किस देश के साथ हुई है और किस फाइनैंशल टर्म पर की गई हैं। अमरीका और यूरोप बहुत पहले से चिंतित है कि बेल्ट एंड रोड चीन द्वारा आर्थिक शक्ति हथियाने के लिए बनाई गई योजना है। इसमें चीन की सरकार बड़ा धन खर्च कर रही है। 

इस इनिशिएटिव के तहत चीन सरकार के नियंत्रण वाले कर्जदाता दूसरे देशों को हाइवे, रेल और पावर प्लांट जैसे प्रॉजेक्ट बनाने के लिए कर्ज देते हैं। यह कर्ज इस शर्त पर दिया जाता है कि योजना और निर्माण के कार्य में चीन की कंपनियों को काम दिया जाएगा। इस तरह ये कंपनियां बिजनैस करती हैं। अब ज्यादातर गतिविधियां बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत होंगी। ज्यादा कर्ज देना कई देशों के साथ रिश्ते खराब भी कर सकता है। मलेशिया और श्री लंका की नई सरकारों ने पूछा भी है कि चीन से इतना ज्यादा कर्ज क्यों लिया जा रहा है। 

चीन के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक बेल्ट एंड रोड ऐक्टिविटी ज्यादा सफल है। 2018 में चीन की कंपनियों ने 36.2 अरब डॉलर के कॉन्ट्रैक्ट साइन किए हैं। बेल्ड एंड रोड की गति धीमी होने की वजह यह भी हो सकती है कि कई कंपनियों के प्रॉजेक्ट पूरे हो रहे हैं और नई डील साइन की जा रही हैं। कई संस्थानों ने बेल्ट ऐंड रोड प्रॉजेक्ट को संदेह की नजर से देखते हुए कहा कि विकासशील देशों को ज्यादा कर्ज न दिया जाए। 


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Tanuja

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