ड्रैगन और यूएस में तेज हुई सैमीकंडक्टर ट्रेड वार: चीन ने दुर्लभ धातुओं की सप्लाई रोकी, चिप इंडस्ट्री में हाहाकार

punjabkesari.in Wednesday, Jul 05, 2023 - 02:13 PM (IST)

बिजनेस डेस्क: पश्चिमी देशों से बढ़ते प्रेशर के बीच चीन अब आर-पार की लड़ाई के मूड में आता जा रहा है और चीन ने अमेरिका और यूरोप के साथ टेक्नोलॉजी पर 'जैसे को तैसा' व्यापार युद्ध को आगे बढ़ाते हुए दो धातुओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। चीन ने जिन धातुओं पर प्रतिबंध लगाया है, उन धातुओं का सेमीकंडक्टर निर्माण, टेलीकम्युनिकेशन और इलेक्ट्रिक-वाहन के निर्माण में अहम इस्तेमाल होता है और उन धातुओं के बिना इनका निर्माण ही नहीं हो सकता है।

चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान में कहा है, कि गैलियम और जर्मेनियम के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और एक अगस्त से ये दोनो धातु, चीनी राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए निर्यात नियंत्रण के अधीन होंगे। बयान में कहा गया है, कि दोनों धातुओं के निर्यातकों को अगर वे देश से बाहर भेजना शुरू करना चाहते हैं या जारी रखना चाहते हैं तो उन्हें वाणिज्य मंत्रालय से लाइसेंस के लिए आवेदन करना होगा और उन्हें विदेशी खरीदारों और उनके आवेदनों का विवरण देना होगा। यानि, सरकारी आदेश के बाद ही इन दो धातुओं का निर्यात हो सकता है, अन्यथा नहीं।

अमेरिका ने चीन को टैक्नोलॉजिकल मदद देनी की बंद
चीन क्वांटम कंप्यूटिंग से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और चिप निर्माण तक.. हर चीज में तकनीकी प्रभुत्व के लिए संघर्ष कर रहा है। चीन को बढ़त हासिल करने से रोकने के लिए अमेरिका ने तेजी से आक्रामक कदम उठाए हैं और यूरोप और एशिया में सहयोगियों से भी ऐसा करने का आह्वान किया है, जिसमें कुछ सफलता भी मिली है। अमेरिका ने चीन को टेक्नोलॉजिकल मदद देनी बंद कर दी है, जिससे चीन का चिप उत्पादन ही डगमगा गया है, जिसके बाद चीन बौखलाया हुआ है।

चीन की दुर्लभ धातुओं को लेकर निर्यात सीमाएं ऐसे समय में आ रही हैं, जब दुनिया भर के देश अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं को विदेशी उपकरणों पर निर्भरता से मुक्त करने के लिए काम कर रहे हैं। चीन, गैलियम और जर्मेनियम, जो दुर्लभ धातुओं हैं, उनका प्रमुख वैश्विक उत्पादक है, जिसका उपयोग इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं, रक्षा उद्योग और डिस्प्ले के लिए किया जाता है। गैलियम और जर्मेनियम कई यौगिक अर्धचालकों के उत्पादन में भूमिका निभाते हैं, जो ट्रांसमिशन गति और टेक्नोलॉजी में सुधार के लिए कई तत्वों को जोड़ते हैं।

भारत-अमेरिका डील का मकसद चीन के बढ़ते कदम को रोकना
चीन का ये कदम उस वक्त आया है, जब पिछले महीने भारत और अमेरिका के बीच चिप उत्पादन को लेकर एक अहम डील की गई है, जिसके तहत भारत में चिप का उत्पादन किया जाएगा। बाइडेन प्रशासन ने अमेरिका की दिग्गज चिप उत्पादक कंपनी माइक्रोन टेक्नोलॉजी को भारत में निवेश करने की इजाजत दी है। भारत और अमेरिका के बीच हुए इस डील का मकसद ही, चिप उत्पादन में चीन के बढ़ते कदम को रोकना है, जिसके बाद माना जा रहा है, कि चीन आने वाले वक्त में भारत को चिप उत्पादक देश बनने से रोकने के लिए कई कदम और उठा सकता है।
 


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Content Editor

rajesh kumar

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