अमेरिका को पछाड़ चीन के हाथ लगा ''सफेद खजाना'', 60 हजार साल तक नहीं होगी बिजली की कमी !
punjabkesari.in Sunday, Mar 02, 2025 - 06:26 PM (IST)
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बीजिंग: जहां अमेरिका यूक्रेन में छिपे दुर्लभ खनिजों की तलाश में जुटा है, वहीं चीन ने एक ऐसी खोज का दावा किया है जो किसी खजाने से कम नहीं। चीनी भूवैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने इनर मंगोलिया के बैयन ओबो खनन क्षेत्र में थोरियम नामक एक रेडियोएक्टिव तत्व का विशाल भंडार खोजा है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, यह स्रोत चीन की ऊर्जा जरूरतों को अगले 60,000 साल तक पूरा कर सकता है। थोरियम एक चांदी जैसी चमकदार धातु है, जो यूरेनियम की तुलना में 200 गुना अधिक ऊर्जा उत्पन्न करने में सक्षम है।
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थोरियम का उपयोग मोल्टन-सॉल्ट रिएक्टर (पिघले हुए नमक रिएक्टर) में किया जा सकता है, जो एक उन्नत प्रकार का परमाणु ऊर्जा संयंत्र है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि बैयन ओबो खनन क्षेत्र से 10 लाख टन थोरियम निकाला जा सकता है। एक डिक्लासीफाइड रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में किए गए सर्वे में इस विशाल भंडार की पुष्टि हुई थी। पहले से ही चीन को थोरियम का सबसे बड़ा भंडार रखने वाला देश माना जाता है, और अब यह खोज उसकी ऊर्जा सुरक्षा को और मजबूत कर सकती है। शोधकर्ताओं का दावा है कि चीन के खनन कचरे में ही इतना थोरियम मौजूद है कि यदि उसका सही तरीके से दोहन किया जाए, तो दुनिया की जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता पूरी तरह समाप्त हो सकती है।
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इनर मंगोलिया की एक आयरन ओर साइट से पिछले पांच साल में निकले कचरे में इतनी बड़ी मात्रा में थोरियम है कि इससे अमेरिका की 1000 साल की ऊर्जा जरूरतें पूरी हो सकती हैं। यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब चीन, रूस और अमेरिका परमाणु तकनीक के विस्तार और न्यूक्लियर एनर्जी को भविष्य का ऊर्जा स्रोत बनाने में लगे हैं। देशभर में 233 थोरियम-समृद्ध स्थलों की पहचान की गई है, जिससे संकेत मिलता है कि चीन के थोरियम भंडार अब तक के अनुमानों से कहीं अधिक हो सकते हैं। पारंपरिक परमाणु रिएक्टरों में यूरेनियम-232 का उपयोग किया जाता है, जबकि थोरियम इससे 500 गुना अधिक प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। परमाणु रिएक्टर रेडियोएक्टिव तत्वों के विखंडन से ऊर्जा उत्पन्न करते हैं।
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इस प्रक्रिया में तत्व छोटे, अधिक स्थिर कणों में टूटकर गर्मी पैदा करता है, जिसका उपयोग भाप टरबाइन चलाने में किया जाता है। हालांकि थोरियम स्वयं विखंडनीय नहीं होता, लेकिन यह यूरेनियम-233 में परिवर्तित हो सकता है, जो ऊर्जा उत्पादन के लिए आदर्श है। चीन पहले ही दुनिया का पहला थोरियम मोल्टन-सॉल्ट न्यूक्लियर पावर स्टेशन बनाने की प्रक्रिया में है, जिसके 2029 तक तैयार होने की उम्मीद है। यह परियोजना दुनिया की ऊर्जा प्रणाली में बड़ा बदलाव ला सकती है और चीन को ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों से आगे कर सकती है।