नेपाल के बाद अब इस देश में भी सरकार के खिलाफ भड़की भारी हिंसा और विरोध की आग, प्रदर्शन में 3 लोगों की मौत
punjabkesari.in Thursday, Oct 02, 2025 - 11:01 PM (IST)

रबातः मोरक्को में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी बुधवार को लगातार पांचवीं रात सड़कों पर उतरे और सुरक्षाकर्मियों के साथ हुई झड़पों में तीन प्रदर्शनकारी मारे गए। मोरक्को में युवाओं नीत आंदोलन के उग्र होने और तीन प्रदर्शनकारियों के मारे जाने के एक दिन बाद बृहस्पतिवार को सरकार ने कहा कि वह उनकी शिकायतों का समाधान करेगी।
प्रधानमंत्री अजीज अखन्नौच ने कहा कि वे इन मौतों पर शोक व्यक्त करते हैं। उन्होंने कानून प्रवर्तन एजेंसियों की व्यवस्था बनाए रखने के प्रयासों के लिए प्रशंसा की तथा संकेत दिया कि सरकार बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों के प्रति सकारात्मक रुख अपनाने को तैयार है।
प्रधानमंत्री ने मंत्रिपरिषद को संबोधित करते हुए कहा कि वह ‘‘संस्थाओं और सार्वजनिक स्थानों के भीतर संवाद और बहस के लिए तैयार हैं।'' हालांकि, उन्होंने चर्चा का विवरण नहीं दिया। अखन्नौच ने कहा, ‘‘हमारे देश के सामने आने वाली विभिन्न समस्याओं से निपटने के लिए बातचीत पर आधारित दृष्टिकोण ही एकमात्र रास्ता है।'' अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को इस सप्ताह के दंगों में मरने वालों की संख्या तीन बताई और कहा कि सशस्त्र दंगाइयों ने सार्वजनिक भवनों पर हमला किया और कानून व्यवस्था को बाधित किया। वहीं, युवाओं के नेतृत्व में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के समाप्त होने के आसार नहीं दिख रहे हैं।
अधिकारियों ने बताया कि तटीय शहर अगादिर के बाहरी इलाके में स्थित एक छोटे से कस्बे लेकलिया में बुधवार को सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई। मोरक्को के गृह मंत्रालय ने कहा कि पुलिस के हथियार छीनने की कोशिश के दौरान तीनों को गोली लगी। हालांकि कोई भी गवाह इस खबर की पुष्टि नहीं कर सका।
मंत्रालय ने बताया कि 354 लोग जिनमें ज्यादातर कानून प्रवर्तन अधिकारी हैं घायल हुए हैं। उसने बताया कि देश के 23 प्रांतों में सैकड़ों कारों के साथ-साथ बैंकों, दुकानों और सार्वजनिक इमारतों को भी नुकसान पहुंचा है।
मंत्रालय के अनुमान के अनुसार, पूरे देश में लगभग 70 प्रतिशत प्रदर्शनकारी नाबालिग हैं। तथाकथित जेन-जेड विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लेने वाले व्यापक भ्रष्टाचार का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने नारों और पोस्टरों के माध्यम से 2030 के विश्व कप की तैयारी के लिए अरबों डॉलर के निवेश की तुलना में कई विद्यालयों और अस्पतालों के पास धन की कमी और उनकी दयनीय स्थिति को रेखांकित किया।