ऑस्ट्रेलिया बॉन्डी बीच नरसंहार पर अंतर्राष्ट्रीय बहस तेज: हिंसा की चिंगारी कहां से भड़की? IDF ने कहा- हमले से हैरान नहीं...
punjabkesari.in Monday, Dec 15, 2025 - 12:15 PM (IST)
International Desk:ऑस्ट्रेलिया के बॉन्डी बीच पर हुए भयावह गोलीकांड के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह बहस तेज हो गई है कि आखिर इस हिंसा की पृष्ठभूमि क्या थी। इस मुद्दे पर पूर्व इज़राइली रक्षा बल (IDF) के प्रवक्ता जोनाथन कॉनरिकस और अमेरिकी पत्रकार माइकल ट्रेसी के बीच हुई चर्चा ने अलग-अलग दृष्टिकोण सामने रखे हैं। कॉनरिकस का कहना है कि वह इस हमले से हैरान नहीं थे। उनके अनुसार, यह वर्षों से चले आ रहे “ग्लोबलाइज द इंतिफादा” जैसे नारों, यहूदी-विरोधी प्रदर्शनों और ऑस्ट्रेलियाई नेतृत्व की कथित नरमी का परिणाम है। उन्होंने आरोप लगाया कि 7 अक्टूबर के बाद सिडनी में यहूदियों के खिलाफ आपत्तिजनक नारे लगे, आराधनालयों पर हमले हुए, लेकिन किसी भी आरोपी को सज़ा नहीं मिली।
🇦🇺 BONDI BEACH BLOODBATH: WHAT LIT THE FUSE?
— Mario Nawfal (@MarioNawfal) December 15, 2025
Netanyahu blamed Australia’s recognition of the State of Palestine
Some Arab journalists blamed the war on Gaza
Other Israeli journalists pointed at Iran
Conspiracy theorists claimed it’s an Israeli false flag attack
Today I have… https://t.co/Y1Q7cSO8Ms pic.twitter.com/IiEpCLKfXg
उनके अनुसार, इससे यहूदी समुदाय ने खुद को “राजनीतिक रूप से उपेक्षित और सुरक्षा के लिहाज से असुरक्षित” महसूस किया। वहीं पत्रकार माइकल ट्रेसी ने इस तर्क को चुनौती दी। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि फिलिस्तीन को मान्यता देना ही हिंसा की वजह है, तो अमेरिका जैसे देशों में जहां फिलिस्तीन को मान्यता नहीं दी गई यहूदी-विरोधी घटनाएं क्यों हो रही हैं। ट्रेसी के अनुसार, गाज़ा युद्ध की भयावह तस्वीरों और वैश्विक आक्रोश ने दुनिया भर में नफरत और ध्रुवीकरण को बढ़ाया है। ट्रेसी ने यह भी कहा कि भड़काऊ नारे कई देशों में अभिव्यक्ति की आज़ादी के दायरे में आते हैं, भले ही वे नैतिक रूप से निंदनीय हों। उनका तर्क था कि अत्यधिक सख्ती से नागरिक स्वतंत्रताओं को नुकसान पहुंच सकता है।
दोनों पक्ष इस बात पर सहमत दिखे कि सोशल मीडिया, दुष्प्रचार और झूठी खबरों ने हालात को और गंभीर बनाया है। जहां कॉनरिकस को डर है कि सख्त कार्रवाई के बिना हिंसा बढ़ सकती है, वहीं ट्रेसी चेतावनी देते हैं कि अति-प्रतिक्रिया लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर कर सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि बॉन्डी बीच की घटना केवल एक आतंकी हमला नहीं, बल्कि यह संकेत है कि विदेश नीति, युद्ध और घरेलू सामाजिक तनाव किस तरह एक-दूसरे से जुड़ते जा रहे हैं। यह बहस अब ऑस्ट्रेलिया तक सीमित नहीं रही, बल्कि वैश्विक नेतृत्व के लिए एक चेतावनी बन गई है।
