आखिर क्या खिचड़ी पक रही है, असीम मुनीर के बाद पाकिस्तान वायु सेना प्रमुख पहुंचे अमेरिका, जानें क्यों
punjabkesari.in Thursday, Jul 03, 2025 - 07:21 PM (IST)

International Desk : भारत के हाथों सैन्य मोर्चे पर लगातार झटके खाने के बाद पाकिस्तान के शीर्ष सैन्य अधिकारी अब अमेरिका की ओर रुख कर रहे हैं। सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के बाद अब वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर सिद्धू भी अमेरिका पहुंच चुके हैं। ऐसे समय में जब भारत की सैन्य कार्रवाई से चीन निर्मित हथियारों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हुए हैं, पाकिस्तान का वाशिंगटन की दहलीज़ पर दस्तक देना कई संकेत दे रहा है।
अमेरिका करेगा पाकिस्तान से रक्षा सहयोग?
भारत के साथ हालिया सैन्य टकरावों में बार-बार शिकस्त खाने के बाद अब पाकिस्तान के शीर्ष सैन्य अधिकारी अमेरिका की ओर रुख कर रहे हैं। पहले सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर और अब वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर सिद्धू की अमेरिका यात्रा इसी सिलसिले की अगली कड़ी मानी जा रही है। जानकारों का मानना है कि भारत द्वारा की गई स्ट्राइक्स के बाद चीन से मिले हथियारों की गुणवत्ता पर सवाल उठे हैं, जिससे पाकिस्तान की रणनीति हिल गई है और उसे अब एक बार फिर अमेरिका की शरण में जाना पड़ा है।
पिछले दस वर्षों में पहला दौरा
पाकिस्तानी वायुसेना की ओर से जारी बयान के अनुसार, यह पिछले दस वर्षों में पहली बार है जब किसी सेवारत वायुसेना प्रमुख ने अमेरिका का दौरा किया है। इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ाना और परस्पर हितों को मजबूत करना है। अमेरिका में सिद्धू ने कई महत्वपूर्ण सैन्य और राजनीतिक नेताओं से मुलाकात की, जिनमें अमेरिकी वायुसेना प्रमुख जनरल डेविड डब्ल्यू एलोन और अंतरराष्ट्रीय मामलों की उपमंत्री केली एल सेबोल्ट भी शामिल हैं।
कई मुद्दों पर हुई चर्चा
इन बैठकों में द्विपक्षीय सैन्य संबंधों, संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रमों और रक्षा प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान को लेकर गंभीर चर्चा हुई। दोनों पक्षों ने भविष्य में रक्षा साझेदारी को और गहरा करने पर भी सहमति जताई। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब कुछ सप्ताह पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर को लंच के लिए आमंत्रित किया था, जो यह संकेत देता है कि वाशिंगटन और इस्लामाबाद के बीच सैन्य रिश्तों में फिर से गर्माहट आ सकती है। कुल मिलाकर, पाकिस्तान की यह कूटनीतिक कवायद भारत की सैन्य बढ़त और चीन पर उसकी घटती निर्भरता के जवाब में एक वैकल्पिक रणनीतिक साझेदारी की तलाश को दर्शाती है।