भूकंप के झटकों से फिर दहला अफगानिस्तान, अब तक 1400 से अधिक मौतें, भयानक त्रासदी का असली कारण आया सामने
punjabkesari.in Tuesday, Sep 02, 2025 - 07:04 PM (IST)

International Desk: पूर्वोत्तर अफगानिस्तान में फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए जिसकी तीव्रता 5.2 मापी गई है। यह झटके उस भूकंप के ठीक बाद आए, जिसने रविवार रात को क्षेत्र को हिला दिया था और 1,400 से अधिक लोगों की मौत हो गई । कुनर प्रांत में पहले आए 6.0 तीव्रता वाले भूकंप में 3,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं। अधिकांश प्रभावित लोग ग्रामीण इलाके में रहते हैं, जहां मकान कच्ची ईंट और लकड़ी के बने थे।मृतकों और घायल लोगों की संख्या बढ़ने के बीच बचाव दल लगातार जीवित बचे लोगों की तलाश कर रहे हैं। प्रभावित इलाके में घर ढह गए हैं और सड़कें भूस्खलन के कारण बंद हो गई हैं, जिससे राहत कार्य में कठिनाई आ रही है।
अफगानिस्तान में हाल ही में आए भूकंप ने एक बार फिर इस क्षेत्र की भूकंपीय असुरक्षा और कमजोर निर्माण व्यवस्था को उजागर कर दिया है। तालिबान-प्रशासित स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, अब तक 1,400 से अधिक लोग मारे गए और करीब 2,000 लोग घायल हुए हैं। भूकंप रविवार रात आधी रात से पहले आया, जिसकी तीव्रता 6.0 थी। हालांकि यह तीव्रता बहुत बड़ी नहीं मानी जाती, लेकिन इसका केंद्र सिर्फ 8 किलोमीटर की गहराई पर था, जिसके कारण ज़मीन पर झटके बहुत तेज़ महसूस किए गए। अधिकांश लोग अपने घरों में सो रहे थे, जब उनके कच्चे मकान धराशायी हो गए। यह क्षेत्र हिमालय और हिंदूकुश पर्वतमालाओं के पास स्थित है, जो दुनिया के सबसे भूकंपीय सक्रिय इलाकों में से एक है।
यहां भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों की टक्कर लगातार विनाशकारी झटके पैदा करती है। 2022 और 2023 में भी इसी इलाके में आए भूकंपों ने क्रमशः1000 और 1500 से अधिक लोगों की जान ली थी। विशेषज्ञों के अनुसार, असल मौतों की वजह कमजोर और बिना डिज़ाइन वाली इमारतें हैं। अफगानिस्तान के ग्रामीण समुदाय मजबूरी में मिट्टी, पत्थर और लकड़ी से घर बनाते हैं, जिनमें भवन सुरक्षा मानक या इंजीनियरिंग डिज़ाइन नहीं अपनाए जाते। परिणामस्वरूप, झटकों के दौरान पूरी इमारतें ढह जाती हैं और लोग मलबे में दब जाते हैं। तुलनात्मक रूप से, 2011 में न्यूज़ीलैंड के क्राइस्टचर्च में इसी तीव्रता का भूकंप आया था, लेकिन वहां केवल 185 मौतें हुईं क्योंकि भवन निर्माण सुरक्षित थे।
नेपाल में2015 के भूकंप के बाद वहां राष्ट्रीय भवन कोड लागू हुआ, जिससे ग्रामीण इलाकों में भी भूकंप-रोधी निर्माण को बढ़ावा मिला। भारत में भूकंप इंजीनियर आनंद आर्य ने कम लागत में सुरक्षित तकनीकें विकसित कीं, जैसे दीवारों में निरंतर बैंड, कोनों और दरवाज़ों पर सुदृढ़ीकरण, पारंपरिक निर्माण में अतिरिक्त मजबूती। ये उपाय इमारतों को पूरी तरह भूकंप-रोधी तो नहीं बनाते, लेकिन जान बचाने लायक समय और सुरक्षा जरूर देते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह भूकंप अफगानिस्तान के लिए एक चेतावनी और अवसर दोनों है। यदि पुनर्निर्माण में रणनीतिक सोच और तकनीकी सहयोग अपनाया जाए, तो भविष्य में ऐसे हादसों से होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।