विनाशकारी भूस्खलन में लगभग 200 बच्चों ने गंवाई अपनी जान, बचाव कार्य अब भी जारी
punjabkesari.in Saturday, Sep 06, 2025 - 06:18 AM (IST)

काहिराः सूडान के पश्चिमी क्षेत्र दारफुर में गत रविवार को हुए भूस्खलन में लगभग 200 बच्चों की जान चली गई और क्षेत्र में बचाव अभियान अब भी जारी है। एक प्रमुख सहायता समूह ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। मर्राह पर्वतों के तरासिन गांव में हुए इस भूस्खलन में 1,000 से अधिक लोगों के मारे जाने की आशंका है।
‘सेव द चिल्ड्रन' संस्था ने बताया कि 40 बच्चों समेत 150 लोगों को बचाया गया है और उनका उपचार किया जा रहा है। ‘सूडान लिबरेशन मूवमेंट आर्मी' के प्रवक्ता मोहम्मद अब्देल-रहमान अल-नायर ने बताया कि भूस्खलन में एक हजार से अधिक लोग मारे गए हैं।
घटना की विस्तार से जानकारी:
यह विनाशकारी भूस्खलन 31 अगस्त 2025 को Marrah Mountains में स्थित Tarsin गांव में हुआ। भारी बारिश के बाद पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा गांव के ऊपर धस गया, जिससे मैंच्यूर, स्वास्थ्य केंद्र और स्कूल सहित पूरी बस्ती मिट्टी और मलबे में समा गई। प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, यह भूस्खलन 800 से 1,000 तक लोगों की मौत का कारण बना। अब तक 375 शव बरामद कर दफनाया जा चुका है।
बचाव और राहत कार्य:
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Save the Children की टीम ने आरामदायक मार्ग नहीं होने और खराब सड़कों के चलते ताशिन गांव तक पहुंचने के लिए गधों का इस्तेमाल किया। वहां 150 लोग बचाए गए, जिनमें 40 बच्चे शामिल हैं उन्हें इलाज मुहैया कराया जा रहा है।
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ग्रामीणों और बचावकर्मियों ने बताया कि भूस्खलन दो लहरों में आया,पहली दोपहर में और कुछ घंटे बाद दूसरी जिसने पहले मदद करने आए लोगों को अपनी चपेट में ले लिया।
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अधिकांश गांव दूर, मोबाइल नेटवर्क से कटे क्षेत्र में है जिससे राहत कार्य और स्थिति का आकलन मुश्किल हो रहा है।
संकट और सम्बंधित चुनौतियां:
सुंडान में पहले से चल रहा गृह युद्ध, जिसमें 40,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 12 मिलियन लोग विस्थापित हो चुके हैं, इस प्राकृतिक आपदा को और गहराई से प्रभावित कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र समेत अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इस भूस्खलन को सुदान के इतिहास की सबसे गंभीर प्राकृतिक त्रासदियों में से एक बताया है।
लिए गए कदम:
एनडीओसीएचए और अन्य एजेंसियाँ प्रभावितों के लिए मोबाइल क्लीनिक, भोजन, दवाइयां और आपातकालीन सहायता भेज रही हैं। स्थानीय प्रशासन और मानवतावादी समूह अन्य भवनों और किसानों की मदद में जुटे हुए हैं।