बांग्लादेश में महिलाओं पर हिंसा के भयावह आंकड़े, 9 महीनों में 663 बलात्कार ! HRSS ने कहा-सच और भी खतरनाक
punjabkesari.in Tuesday, Nov 25, 2025 - 06:45 PM (IST)
International Desk: अंतरराष्ट्रीय समुदाय जहां मंगलवार को ‘महिलाओं के खिलाफ हिंसा उन्मूलन अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ मना रहा है, वहीं बांग्लादेश से सामने आए नए आँकड़े देश की गंभीर हकीकत उजागर करते हैं। 2025 के पहले नौ महीनों में 663 महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ यानी हर दिन औसतन दो से तीन महिलाएँ हिंसा का शिकार बनीं। यह डेटा ढाका स्थित ह्यूमन राइट्स सपोर्ट सोसायटी (HRSS) ने जारी किया, जिसमें बताया गया कि महिलाओं पर हिंसा का यह बढ़ता ग्राफ दण्डहीनता, गिरती कानून-व्यवस्था और मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की नाकामी को दर्शाता है जो अंतर्राष्ट्रीय महिला अधिकार संधियों और बीजिंग डिक्लेरेशन के तहत अपनी जिम्मेदारियाँ पूरी करने में असफल रही है।
मानवाधिकार कार्यकर्ता सुल्ताना कमाल ने ढाका ट्रिब्यून से कहा कि मीडिया में आने वाले मामले केवल “हिमशैल का ऊपरी हिस्सा” हैं। उनके मुताबिक अधिकतर मामले केवल हत्या या अत्यधिक क्रूरता के बाद सामने आते हैं। देशभर में रोज़मर्रा की हिंसा का बड़ा हिस्सा कभी सामने ही नहीं आता।उन्होंने कहा:“एक स्वतंत्र देश में, जहाँ हम संस्कृति और इतिहास पर गर्व करते हैं, केवल नौ महीनों में 600 से अधिक महिलाएँ बलात्कार का शिकार हुईं यह बताता है कि परिवार, समाज और राज्य तीनों महिलाओं के प्रति असफल रहे हैं।”
सुल्ताना कमाल ने कहा कि पहले अपराधियों को सज़ा का डर होता था पर अब यह डर खत्म हो चुका है। उनके शब्दों में:“दण्डहीनता ने बलात्कारियों को और साहसी बनाया है। जब महिलाओं पर अत्याचार होता है और कोई परिणाम नहीं होता, तो हिंसा रुकती नहीं औरत की देह पर हमला जारी रहता है।” बांग्लादेश महिला परिषद की अध्यक्ष फौजिया मोसलेम ने चेतावनी दी कि लड़कियों पर हिंसा तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि कई महीनों में कम उम्र की लड़कियाँ महिलाओं से ज्यादा प्रताड़ित हुईं। यह समाज की “अत्यंत क्रूर मानसिकता” की ओर इशारा करता है। यूनुस सरकार की कमजोरी से अपराधियों के हौसले बढ़े हैं।
उनका कहना है -“पिछले 10 महीनों में ‘एंटी-वूमन प्रोपेगेंडा’ बहुत बढ़ गया है। समाज, शिक्षा और संस्कृति में बड़े बदलाव के बिना हिंसा रोकी नहीं जा सकती।” विशेषज्ञों के अनुसार, राजनीतिक अस्थिरता, पुलिस प्रशासन की ढील, अपराधियों को बचाने वाली संरचनाएँ आदि ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा को भयावह स्तर तक पहुँचा दिया है। मुहम्मद यूनुस की कार्यवाहक सरकार पर आरोप है कि उसने न तो कड़े कानून लागू किए और न ही अपराधियों पर कार्रवाई की, जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं पर हमले चाहे वे नेता हों या आम नागरिक लगातार बढ़ते गए हैं।
