नेपाल में संसद भंग करने के खिलाफ पूर्व प्रधानमंत्रियों का धरना शुरू, छात्रों ने ओली का पुतला फूंका
punjabkesari.in Monday, Feb 01, 2021 - 12:59 PM (IST)
इंटरनेशनल डेस्कः नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के लिए संसद भंग करने का फैसला अब भारी पड़ता नजर आ रहा है। ओली के इस फैसले के बाद नेपाल में राजनीतिक संकट गहरा गया है। पहले ओली को सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी से निष्कासित कर दिया गया और अब देश के तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड, माधव कुमार नेपाल और झलनाथ खनल संसद भंग करने के खिलाफ रविवार को काठमांडू में मैत्रीघर के सामने सड़क पर अपने समर्थकों के साथ धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। पूर्व प्रधानमंत्री नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के एक गुट का नेतृत्व कर रहे हैं। इससे पहले सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के एक प्रतिद्वंद्वी गुट के छात्रसंघ ने दोनों के नेतृत्व में शनिवार को संसद को भंग करने के कदम के विरोध में कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का पुतला जलाया।
Kathmandu: Two former Prime Ministers of Nepal Pushpa Kamal Dahal & Madhav Kumar Nepal stage a sit-in protest against the dissolution of the lower house of the parliament. They also hold chairmanship of Nepal Communist Party splinter group. pic.twitter.com/QepQytmPvD
— ANI (@ANI) January 31, 2021
बता दें कि पिछले साल 20 दिसंबर को तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने संसद के निचले सदन को भंग कर दिया था। इसके बाद से देश में उनके खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है। फैसले को सु्प्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई है। गौरतलब है कि पार्टी की केन्द्रीय समिति ने विरोधी गुट के नेताओं की बार-बार धमकियों के बीच ओली को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। इन नेताओं ने नेपाल की संसद भंग करने के मुद्दे पर उनकी सदस्यता समाप्त करने की धमकी दी थी। विरोधी गुट के प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ ने ओली के निष्कासन के बाद उनके खिलाफ आगे की कार्रवाई की बात की है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ओली और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड के बीच सत्ता को लेकर संघर्ष चल रहा है। ओली ने 20 दिसम्बर 2020 को अचानक संसद भंग करने की सिफारिश की थी। इसके बाद नेपाल में राजनीतिक संकट पैदा हो गया है। नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने प्रधानमंत्री की सिफारिश स्वीकार कर ली और अब तीस अप्रैल तथा दस मई को संसदीय चुनाव कराए जाएंगे।