Review: रिश्तों में छिपे बनावटी चेहरों को उजागर करती है फिल्म ''कालीधर लापता'', अभिषेक बच्चन ने जीता दिल
punjabkesari.in Friday, Jul 04, 2025 - 09:09 AM (IST)

फिल्म: कालीधर लापता (kaalidhar laapata)
निर्देशक: मधुमिता सुंदररमण (Madhumita Sundararaman)
स्टारकास्ट: अभिषेक बच्चनAbhishek bachchan, दैविक बाघेला (Daivik Baghela), जीशान अय्यूब (Zeeshan Ayyub), निम्रत कौर (Nimrat Kaur) आदि।
ओटीटी प्लेटफार्म: जी5 (Zee 5)
रेटिंग: 3.5*
kaalidhar laapata: बॉलीवुड एक्टर अभिषेक बच्चन की फिल्म 'कालीधर लापता' ओटीटी प्लेटफार्म जी5 पर 4 जुलाई को स्ट्रीम हो रही है। अभिषेक की ये फिल्म अपने रिश्तों में छुपी बनावटी परतों को खोलती है। मधुमिता सुंदररमण द्वारा निर्देशित यह फिल्म बड़ी ही सादगी से एक गहरा संदेश दे जाती है। फिल्म में अभिषेक बच्चन और दैविक बाघेला के अलावा जीशान अय्यूब अहम किरदार में नजर आ रहे हैं। आइए जानते हैं कैसी है फिल्म कालीधर लापता।
कहानी
फिल्म 'कालीधर लापता' की कहानी कालीधर (अभिषेक बच्चन) के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है। कालीधर जो काफी बीमार होता है और जब उसे पता चलता है कि उसका परिवार पैसों की वजह से उसका इलाज नहीं कराना चाहता बल्कि उसे छोड़ने की सोच रहा है, तो वह चुपचाप उन लोगों को छोड़कर बहुत दूर चला जाता है। जिसके बाद उसकी मुलाकात एक चंचल लड़के बल्लू से होती है। अब बल्लू और कालीधर मिलकर क्या-क्या करते हैं और क्या कालीधर वापस अपने घर जाता है कि नहीं ये जानने के लिए आपको पूरी फिल्म देखनी पड़ेगी।
अभिनय
अभिनय की बात करें तो फिल्म में अभिषेक बच्चन और दैविक बाघेला ही मुख्य किरादारों में है। अभिषेक बच्चन कालीधार के किरदार में बेहद जंच रहे हैं उनके अभिनय से साफ झलकता है कि उन्होंने इस किरदार को बेहद बारीकी से समझा है और फिर उसे अभिनय की सुई में पिरोया है। वहीं बात अगर दैविक बाघेला की करें तो मात्र 8 साल के बच्चे ने बल्लू के किरदार को बेहद खूबसूरती से निभाया है। इस फिल्म को आप केवल बल्लू के लिए भी देख सकते हैं। इसके अलावा निम्रत कौर का फिल्म में छोटा पर प्रभावी रोल है और बाकी अन्य कलाकार भी अपनी भूमिकाओं में अच्छे लग रहे हैं।
निर्देशन
कालीधर लापता के निर्देशन की बात करें तो इसे मधुमिता सुंदररमण ने बेहद सहज और खूबसूरत तरीके से किया है। फिल्म की सादगी ही इसका सबसे बड़ा प्लस प्वाइंट है। पूरे फिल्म में कोई बिना जरुरत का ड्रामा नहीं है फिल्म को फिजूल में खींचा नही गया है। फिल्म में कहानी पर अच्छा फोकस किया गया है। संक्षेप में कहें तो मधुमिता सुंदररमण ने निर्देशन की कमान बहुत सटीकता और सहजता से संभाली है।