दिल्ली और जयपुर में स्थित ‘बिड़ला मंदिर’ प्रमुख मंदिरों में रखता है खास स्थान
punjabkesari.in Thursday, Aug 11, 2016 - 09:55 AM (IST)
दिल्ली स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर ‘बिड़ला मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित यह मंदिर दिल्ली के प्रमुख मंदिरों में से एक है। इसका निर्माण 1938 में हुआ था और इसका उद्घाटन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने किया था।
बिड़ला मंदिर अपने यहां मनाई जाने वाली जन्माष्टमी के लिए प्रसिद्ध है। इसके वास्तुशिल्प की बात की जाए तो यह मंदिर उडिय़ा शैली में निर्मित है। मंदिर का बाहरी हिस्सा सफेद संगमरमर और लाल बलुआ पत्थर से बना है जो मुगल शैली की याद दिलाता है। मंदिर में तीन और दो मंजिला बरामदे हैं और पिछले भाग में बगीचे तथा फव्वारे हैं।
यह मंदिर मूल रूप से 1622 में वीर सिंह देव ने बनवाया था। उसके बाद पृथ्वी सिंह ने 1793 में इसका जीर्णोद्धार कराया। सन 1938 में भारत के बड़े औद्योगिक परिवार, बिड़ला समूह ने इसका विस्तार और पुनरुद्धार कराया।
जयपुर का लक्ष्मी-नारायण मंदिर
भारत का प्रांत राजस्थान जिसकी राजधानी जयपुर जो अपने कई पर्यटन स्थलों के लिए जानी जाती है। यहां पर वैसे तो कई पर्यटन स्थल मौजूद है पर उनमें से ही एक है बिड़ला मंदिर जो अपनी खूबसूरती के कारण काफी प्रसिद्ध है और यहां पर पर्यटकों को आकर एक अलग शांति मिलती है।
पुरातन काल से ही राजस्थान अपनी चित्रकला के कारण काफी सुप्रसिद्ध है और यहां पर कई भव्य मंदिरों, मस्जिदों,मकबरे, समाधियों का निर्माण करवाया गया है। राजस्थान राज्य के जयपुर में स्थित बिड़ला मंदिर सबसे सुप्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। बिड़ला मंदिर को भगवान लक्ष्मी नारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
बिड़ला मंदिर की बनावट का कार्य गंगा प्रसाद बिड़ला ने करवाया था। इस मंदिर के इंदराज़ पर श्री गणेश जी की सुंदर मूर्ति बनी हुई है और यहां पर पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। यहां पर पर्यटक संगमरमर से बने इस मंदिर की खूबसूरती को देखकर हैरान रह जाते हैं। यह मंदिर अपनी चित्रकला का अद्भभुत नमूना पेश करता है।
मंदिर की बाहर वाली दीवारों पर भी बहुत सुंदर ढंग से चित्रकारी की गई है। बिड़ला मंदिर में कई देवी-देवताओं की मूर्तियों की खूबसूरती को देखकर भी पर्यटक हैरान रह जाते हैं। मंदिर में स्थापित मूर्तियों के दर्शन मंदिर के बाहर से भी कर सकते है और यहां पर लगा संगमरमर मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगाता है।
मंदिर की मूर्तियों पर चित्रकारी इतने सुंदर ढंग से की गई है कि पर्यटक इन मूर्तियों को ही देखते रह जाते है।मंदिर के बाहर जो सीढियां बनी है उसके दोनों ओर दो मूर्तियां बनी हुई हैं एक मूर्ति ब्रजमोहन बिड़ला और उनकी पत्नी की है। इन मूर्तियों को इस ढंग से बनाया गया है जैसे वो अपने हाथ जोड़कर भगवान को प्रणाम कर रहे हो।
यह मंदिर अपनी सुंदर चित्रकारी के कारण काफी सुप्रसिद्ध है। इस मंदिर में बने सुंदर बागान इसकी सुंदरता में चार चांद लगाते है।यहां पर बनी मूर्तियों को छूना सख्त मना है और प्रसाद की व्यवस्था भी मंदिर के अंदर ही होती है और बाहर से कोई भी वस्तु प्रसाद के रूप में स्वीकार नहीं की जाती। यहां पर आकर पर्यटकों को मन को शांति का अनुभव होता है।