दिवाली की रात इस कारण होता है मां काली का पूजन
punjabkesari.in Tuesday, Oct 15, 2019 - 03:33 PM (IST)
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दिवाली का पवित्र पर्व इस साल 27 अक्टूबर 2019 दिन रविवार को पड़ रहा है। पूरे देश में दीपावली बड़ी धूम-धाम से मनाई जाती है। इस त्योहार की तैयारियां महीना पहले से ही शुरू हो जाती हैं। इस रात माता लक्ष्मी की पूजा के साथ-साथ भगवान गणेश व कुबेर की पूजा का विधान भी होता है। इसके साथ ही माता काली की पूजा भी की जाती है और ये 2 बार होती है। एक नरक चतुर्दशी पर जिसे काली चौदस कहते हैं और दूसरी दिवाली की रात को। बता दें कि ये पूजा एक सामान्य तौर पर होती है और दूसरी तांत्रिक साधना के लिए होती है।
सामान्य पूजा
कहते हैं कि ये पूजा कोई भी व्यक्ति कर सकता है। माता काली की सामान्य पूजा में विशेष रूप से 108 गुड़हल के फूल, 108 बेलपत्र एवं माला, 108 मिट्टी के दीपक और 108 दुर्वा चढ़ाने की परंपरा है। साथ ही मौसमी फल, मिठाई, खिचड़ी, खीर, तली हुई सब्जी तथा अन्य व्यंजनों का भी भोग माता को चढ़ाया जाता है। पूजा की इस विधि में सुबह से उपवास रखकर रात्रि में भोग, होम-हवन व पुष्पांजलि आदि का समावेश होता है।
तंत्र पूजा
अधिकतर जगह पर तंत्र साधना के लिए मां काली की उपासना की जाती है। ये केवल तांत्रिक ही करते हैं।
मंत्र
ॐ नमो काली कंकाली महाकाली मुख सुन्दर जिह्वा वाली,
चार वीर भैरों चौरासी, चार बत्ती पूजूं पान ए मिठाई,
अब बोलो काली की दुहाई।
इस मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करने से आर्थिक लाभ मिलता है। इससे धन संबंधित परेशानी दूर हो जाती है। माता काली की कृपा से सब काम संभव हो जाते हैं। 15 दिन में एक बार किसी भी मंगलवार या शुक्रवार के दिन काली माता को मीठा पान व मिठाई का भोग लगाते रहें।
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