यहां से हुआ था इस्कॉन सोसायटी का जन्म, जानें इसकी खास बातें
punjabkesari.in Thursday, Aug 22, 2019 - 12:25 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (Video)
आज के समय में इस्कॉन सोसाइटी के बारे में तो सब जानते ही हैं। जिसे अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ यानि International Society for Krishna Consciousness के नाम से भी जाना जाता है। यहां हर मंदिर में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव बेहद ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन दुनिया भर में मौजूद इस्कॉन मंदिरों में खास रौनक लगी रहती है। क्योंकि ये मंदिर भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी को समर्पित है। भारत ही नहीं दुनियाभर में कई इस्कॉन मंदिर देखने को मिलते हैं। यहां तक कि सबसे पहले इस्कॉन मंदिर की स्थापना भी विदेश में ही हुई थी। आज दुनिया भर में इस्कॉन के कई मंदिर स्थापित हैं। लेकिन दुनिया का सबसे बड़ा इस्कॉन बैंगलोर में स्थापित है।
वैसे इस्कॉन मंदिर की स्थापना श्रीमूर्ति श्री अभयचरणारविन्द भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपादजी ने 13 जुलाई सन 1966 में अमेरिका की न्यूयॉर्क सिटी में की थी। भगवान कृष्ण के संदेशों को पहुंचाने के लिए इस मंदिर की स्थापना की गई। इन मंदिरों का एक अलग ही ओरा है जो भक्तों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। यहां पहुंचने पर मन खुद ब खुद शांत हो जाता है।
वैसे तो पूरे विश्व में कई इस्कॉन मंदिर बने हुए हैं लेकिन बैंगलोर का इस्कान मंदिर सबसे बड़ा माना जाता है। सन 1997 में इस मंदिर की स्थापना हुई और जिस पहाड़ी पर ये मंदिर बना है उसे हरे कृष्णा हिल कहते हैं। इस्कॉन मंदिरों से जुड़े अनुयायी की एक अलग वेशभूषा होती है। जैसे आपने महिलाओं को साड़ी पहने चंदन की बिंदी लगाए तो पुरुषों को धोती कुर्ता और गले में तुलसी की माला पहने देखा होगा। ये लोग लगातार ‘हरे राम-हरे कृष्ण’ का कीर्तन भी करते रहते हैं। इस्कॉन ने पश्चिमी देशों में अनेक भव्य मन्दिरें और विद्यालय बनवाए हैं। यहां के लोग हमेशा ‘हरे राम-हरे कृष्ण’ महामंत्र का जाप करते रहते हैं।