क्यों जरूरी था समुद्र मंथन का होना ?
punjabkesari.in Sunday, Oct 20, 2019 - 03:50 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हमारे हिंदू धर्म में ऐसे कई शास्त्र शामिल हैं, जिनमें सृष्टि की रचना को लेकर कई बातें बताई गई हैं। ऐसा ही माना जाता है कि धरती बनाने के लिए समुद्र मंथन जरूरी था, क्योंकि उस वक्त धरती का छोटा सा हिस्सा ही जल से बाहर था और बाकी हर जगह पानी ही पानी था। इसके लिए केवल देवता ही काफी नहीं थे। देवताओं के साथ राक्षसों की शक्ति का भी प्रयोग होना था। शास्त्रों में इस मंथन को लेकर कई बातों के बारे में जानने को मिलता है।
समुद्र मंथन से जो अमृत मिलता, वह उन्हें अमर कर देता। मंथन से निकलने वाले अमृत को देवताओं को पिलाना था। मंदार पर्वत और वासुकि नाग की सहायता से समुद्र मंथन की तैयारी शुरू हुई। भगवान विष्णु ने कछुए का रूप लेकर मथनी बन मंदार पर्वत अपनी पीठ पर रखा और उसे समुद्र में नहीं डूबने दिया। सबसे पहले विष निकला जिसे देवताओं और राक्षसों दोनों ने लेने से मना कर दिया। इससे सृष्टि नष्ट हो सकती थी, इसलिए शिव जी ने इस विष का पान किया, लेकिन पार्वती के प्रयत्नों से विष शिव के गले में ही अटक गया और उनका गला नीला हो गया, इसलिए शिव नीलकंठ कहलाए।
समुद्र मंथन के वक्त कई और चीजें भी निकलीं जैसे कामधेनु गाय, उच्चैश्रवा नामक सफेद घोड़ा, ऐरावत हाथी, कौस्तुभ मणि, कल्पवृक्ष, धन की देवी, देवों के चिकित्सक धनवंतरि आदि। अंत में अमृत के लिए सभी इंतजार कर रहे थे। असुरों के हाथ न लगे, इसलिए विष्णु ने मोहिनी बनकर असुरों का ध्यान अमृत से हटाया और देवताओं को अमृत-पान कराया।
आध्यात्मिक रूप से देखा जाए तो समुद्र का अर्थ है शरीर, और मंथन से अमृत और विष दोनों निकलते हैं। इस कहानी के किरदार हमारे जीवन से मेल खाते हैं जैसे देवता सकारात्मक सोच और समझ को दर्शाते हैं वहीं असुर नकारात्मक सोच एवं बुराइयों के प्रतीक हैं।