वृश्चिक राशि की असली पहचान | क्या कहते हैं ग्रह, नक्षत्र और भाग्य
punjabkesari.in Tuesday, Jun 17, 2025 - 03:00 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Vrishchik Rashi: यदि आपका नाम अंग्रेजी के शब्द जो है वो वृश्चिक राशि में N, R, I, से आता है और हिंदी के शब्द न, नी, से, नो, न, वाई से है, तो इस राशि के स्वामी भले ही मंगल है लेकिन यह जल तत्व की राशि होने के कारण इस राशि के जातक का स्वभाव से शांत होते हैं। यह फीमेल राशि है लिहाजा यह लोग ज्यादा डोमिनेट करने की कोशिश नहीं करते। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इनमें मानसिक या शारीरिक बल की कमी होती है। राशि का स्वामी मंगल होने के कारण यह इन्हें स्वाभाविक तौर पर मिलता है। ऐसे जातक कभी पहले किसी के साथ उलझने में विश्वास नहीं रखते। यदि इनके साथ कोई उलझ जाए तो यह उसका मुंह तोड़ जबाव देते हैं। काल पुरुष की कुंडली में यह राशि अष्टम भाव में आती है लिहाजा वृश्चिक राशि के जातक सीक्रेट होते हैं। यह बहुत ही सीक्रेटिव और रहस्यमई स्वभाव के होते हैं। ऐसे जातक अपने सारे सीक्रेट कभी किसी के साथ शेयर नहीं करते। मंगल का प्रभाव इन्हें आत्मनिर्भर बनाता है और जिंदगी में किसी भी काम के लिए किसी पर निर्भर रहना इन्हें पसंद नहीं होता। वृश्चिक राशि फिक्स राशि होने के कारण यह किसी भी विषय अथवा व्यक्ति को लेकर बनाई गई अपनी धारणा से जल्द नहीं पलटते यानी यह एक बार स्टैंड ले लें तो फिर अपने स्टैंड पर कायम रहते हैं। इस बात का इन्हें जिंदगी में कई बार बहुत नुकसान भी उठाना पड़ता है।
फिक्स साइन का होने के कारण इन्हें करियर में बहुत फायदा होता है। यह जल्दी नौकरी नहीं बदलते और एक ही जगह पर रहकर ऊंचे पदों पर पहुंचते हैं। इन्हें फाइनेंशियल सिक्योरिटी देता है। मंगल की राशि होने के कारण यह राजसिक राशि है यानी इनमें राजसिक गुण होते हैं। इनका लाइफस्टाइल ऐसा होता है कि इन्हें खाने में भी सबसे बेहतर स्वाद चाहिए और पहनने में भी उम्दा कपड़े चाहिे होते हैं। यह जातक हल्के स्तर का खाना खाने के बजाय भूखा रहना ज्यादा पसंद करते हैं। फिक्स साइन राशि होने के कारण इन्हें दुनियावी सुख सुविधाएं ज्यादा पसंद होती हैं और इनमें इच्छाओं की भरमार होती है। यह जातक अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए खूब मेहनत करते हैं। इस राशि की दिशा उत्तर होती है। इस राशि के जातकों को उत्तर दिशा का घर उत्तर दिशा की यात्रा खूब राशि रास आती है। वृश्चिक राशि चूंकि दिन में बड़ी राशि होती है लिहाजा आप इन्हें अक्सर दिन के समय ज्यादा एक्टिव देखा जा सकता है यानी कि सूर्य उदय के दौरान इनकी बॉडी और माइंड ज्यादा एक्टिव रहते हैं।
करियर- करियर और पैसे की वृश्चिक राशि के जो जातक हैं वह गुरु के विशाखा नक्षत्र के चौथे चरण शनि के अनुराधा नक्षत्र के चारों चरणों और बुध के ज्यष्ठा नक्षत्र के चारों चरणों में जन्म लेते हैं। मोटे तौर पर 90% से ज्यादा जातकों का जन्म जो है या तो शनि की महादशा में होता है या फिर बुध की महादशा में होता है। ऐसे में शुक्र इनके लिए करियर के लिहाज से बहुत अहम ग्रह हो जाते हैं। जीवन में करियर की ऊंचाई के समय इस राशि के जातकों शुक्र की ही दशा मिलती है और ये 20 साल की होती है। इस राशि के 30 से 50 साल के जितने भी जातक हैं। उनके ऊपर इस समय शुक्र की महादशा ही चल रही है। शुक्र राशि के लिए 12वें और सातवें भाव के स्वामी होते हैं और अपनी दिशाओं में शुक्र विदेश से संबंधित कार्य जरूर करवाते हैं। यदि शुक्र जन्म कुंडली के केंद्र अथवा त्रिकोण में हो तो यह अपनी दिशाओं में जीवन में खूब तरक्की करते हैं। इसके अलावा इनके लिए आय भाव के स्वामी बुध और धन भाव के स्वामी गुरु की भी बहुत अहमियत है। यह दोनों ग्रह यदि कुंडली में केंद्र त्रिकोण और लाभ स्थान में हो तो जातक को पैसे के लिहाज से कभी कोई कमी नहीं रहती और इन तीनों ग्रहों के शुभ होने से ऐसे जातकों को जल्द ही फाइनेंसियल सिक्योरिटी भी मिल जाती है। वृश्चिक राशि के जातकों की कुंडली में यदि इन तीनों में से कोई भी ग्रह कमजोर होता है, तो उसकी रेमेडी इन्हें जरूर करनी चाहिए।
रिलेशनशिप- वृश्चिक राशि के जातक की उन राशियों के साथ इनकी ज्यादा अंडरस्टैंडिंग होती है। जिनके स्वामी मंगल गुरु या चंद्रमा हैं यानी कि कर्क मीन, धनु, मेष और वृश्चिक राशि के जातकों के साथ इनकी अंडरस्टैंडिंग अच्छी होती है। वृश्चिक राशि के जातकों के सातवें भाव में यानी कि शादी के भाव में वृषभ राशि आ जाती है लिहाजा इनका पार्टनर शुक्र से प्रभावित होता है और पार्टनर का स्वभाव थोड़ा सा कूल होता है। इनके पार्टनर के जन्म स्थान से दक्षिण में मिलने की संभावना ज्यादा होती है।
हेल्थ- वृश्चिक राशि कालपुरुष की पत्रिका में आठवें भाव में आती है और आठवें भाव का स्वामी का संबंध ह्यूमन बॉडी में जेनेटिकल पार्ट से होता है। ऐसे में वृश्चिक राशि के जातकों को लीवर किडनी और आंतों की समस्या के अलावा यूरिन में इनफेक्शन यानी कि यौन समस्याएं भी हो सकती हैं। महिलाओं को मासिक धर्म की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। प्रोवाइडेड यदि मंगल की स्थिति अच्छी न हो इससे बचने के लिए इन्हें साफ- सफाई का ध्यान रखने के साथ-साथ भारी मात्रा में इन्हें पानी जरूर पीना चाहिए और संतुलित आहार लेना चाहिए। इन्हें साल में एक बार इस राशि में आकर चंद्रमा नीच हो जाते हैं। चंद्रमा हार्मोन बैलेंस के कारक ग्रह हैं लिहाजा इन्हें हार्मोन बैलेंस को लेकर भी समस्या हो सकती है। इस कारण इन्हें स्किन और बालों की समस्या पैदा हो जाती है। इनका स्वभाव सीक्रेटिव होने के कारण यह अक्सर किसी के साथ बात शेयर नहीं करते हैं। जिस वजह से यह चिंता का शिकार हो जाते है। इसे दूर करने के लिए इन्हें मेडिटेशन करना चाहिए।
उपाय- वृश्चिक राशि चूंकि मंगल की राशि है, तो पंचम भाव में आ जाती है। इनकी गुरु की राशि मीन, भाग्य स्थान पर चंद्रमा की राशि आ जाती है। ऐसे जातक जो हैं वह चंद्रमा का स्टोन धारण कर सकते हैं। यहां पर गुरु का पुखराज धारण किया जा सकता है। ये तीनों ही त्रिकोण के स्वामी होकर मित्र ग्रह हो जाते हैं। ये स्टोन तभी धारण करने चाहिए जब कुंडली में ये तीनों ग्रह यानी कि चंद्रमा, मंगल और गुरु आपकी केंद्र में है या त्रिकोण में है या ज्यादा से ज्यादा आपके 11वें भाव में पड़े हैं। इसके अलावा भाग्य स्थान की रेमेडी के तौर पर दूध, दही, चावल, चीनी और सफेद कपड़े का दान कर सकते हैं। यह चंद्रमा की रेमेडीज हैं जो आपके लिए भाग्य स्थान का स्वामी है। इसका बीज मंत्र ओम सोम समाए नमः का जाप किया जा सकता है और हल्के रंग के कपड़े पहनने चाहिए। वृश्चिक राशि के जातकों को तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। यह धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को प्रदान करने वाला रुद्राक्ष माना गया है। इसे धारण करने वाला जातक कई प्रकार की विधाओं और कलाओं में निपुण हो जाता है और यह रुद्राक्ष कमजोरी है, बीपी और पेट से संबंधित बीमारियां हैं इनके उपचार में भी मदद करता है।
नरेश कुमार
https://www.facebook.com/Astro-Naresh-115058279895728