मीन राशि की असली पहचान: क्या कहते हैं ग्रह, नक्षत्र और भाग्य
punjabkesari.in Saturday, Jun 21, 2025 - 12:12 PM (IST)
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Meen Rashi: यदि आपका नाम अंग्रेजी के शब्द अंग्रेजी के अक्षर C,D,T,Y,J से शुरू होता है और हिंदी में आपके नाम का पहला अक्षर दी, दू, दे, दो, च, झ, था से आता है। इस राशि का स्वामी गुरु है और यह जल तत्व की राशि होने के कारण इस राशि के जातक स्वभाव से काफी शांत होते हैं। यह फीमेल राशि है लिहाजा यह लोग ज्यादा डोमिनेट करने की कोशिश नहीं करते। लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि इनमें मानसिक या शारीरिक बल की कमी होती है। इस राशि का स्वामी गुरु होने के कारण इनमें ज्ञान की कमी नहीं होती। कालपुरुष की कुंडली में यह राशि 12वें भाव में आती है। मीन राशि के जातक थोड़े खर्चीले होते हैं। गुरु का प्रभाव इन्हें वित्तीय तौर पर आत्मनिर्भर बनाता है और यह किसी की मदद मांगने की बजाय खुद फाइनेंशियली मजबूत करने बनने के लिए ज्यादा काम करते हैं।
मीन राशि द्विसभाव राशि है लिहाजा इन लोगों की सोच बहुत तेजी के साथ बदलती है। इसी कारण कई बार यह जातक अपनी एक बात पर स्थिर नहीं रह पाते और लाइफ में अहम डिसीजन के समय भी कंफ्यूज हो जाते हैं। यही इनकी सबसे बड़ी कमजोरी भी साबित होती है क्योंकि इनके अपनी बात पर न टिकने के कारण कई बार इनके दोस्त इनसे नाराज हो जाते हैं। इनका रिलेशनशिप भी इसी कारण खतरे में पड़ जाता है। मीन राशि ब्राह्मण राशि है लिहाजा यह जातक नेचुरली गिवर होते हैं। इस राशि की दिशा उत्तर है। इस कारण ऐसे जातकों को उत्तर दिशा का घर या उत्तर दिशा की यात्रा खूब रास आती है। मीन राशि चूंकि दिन में बली राशि है लिहाजा यह दिन के समय ज्यादा एक्टिव होंगे यानी कि सूर्य उदय रहने के दौरान इनकी बॉडी और माइंड ज्यादा एक्टिव रहते हैं।
करियर- करियर और पैसे की मीन राशि के जातक गुरु के पूर्व भाद्रपद नक्षत्र के चौथे चरण शनि के उत्तर भाद्रपद नक्षत्र के चारों चरणों और बुध के रेवती नक्षत्र के चारों चरणों में जन्म लेते हैं। 90% से ज्यादा जातकों को जन्म के समय या तो शनि की महादशा मिलती है या फिर बुध की महादशा मिलती है। ऐसे जातकों में शुक्र इनके लिए करियर के लिहाज से बहुत अहम हो जाते हैं। जीवन में करियर की ऊंचाई के समय इस राशि के जातकों को शुक्र की ही महादशा मिलती है। इस राशि के जातक 30 से 50 ले तक जिनकी आयु है वह शुक्र की महादशा से गुजरते हैं। शुक्र इस राशि के लिए तीसरे और आठवें भाव के स्वामी होते हैं और अपनी दिशाओं में शुक्र विदेश से संबंधित कार्य जरूर करवाते हैं। यदि शुक्र जन्म कुंडली में केंद्र अथवा त्रिकोण में हो तो यह अपनी दिशाओं में जीवन में खूब तरक्की देते हैं। इसके अलावा इनके लिए आय भाव के स्वामी शनि और धन भाव के स्वामी मंगल की भी बहुत अहमियत है। यह दोनों ग्रह यदि कुंडली में केंद्र त्रिकोण और लाभ स्थान पर हो तो जातक को पैसे के लिहाज से कोई कमी नहीं रहती और इन तीनों ग्रहों के शुभ होने से जातक को जल्दी ही फाइनेंसियल सिक्योरिटी भी मिल जाती है। मीन राशि के जातकों की कुंडली में यदि इन तीनों में से कोई भी ग्रह कमजोर है तो उसकी रेमेडी जो है वह इन्हें जरूर करनी चाहिए।
रिलेशनशिप- इसकी उन राशियों के साथ ज्यादा बनती है मीन राशि के जातकों की जिनके स्वामी मंगल और चंद्रमा है क्योंकि चंद्रमा है। वह इनके लिए पंचम के स्वामी हो जाते हैं। मंगल की राशि इनके भाग्य स्थान में आ जाती है। कर्क राशि, मीन राशि धनु राशि, मेष राशि और वृश्चिक राशि के अलावा सिंह राशि के जातकों के साथ भी इनकी अच्छी अंडरस्टैंडिंग हो सकती है। मीन राशि के जातकों के सातवें भाव यानी कि शादी वाले भाव में कन्या राशि आती है। इनका पार्टनर बुध से प्रभावित होता है और स्वभाव से थोड़ा कूल होता है और दिखने में भी काफी यंग लगता है। इनके पार्टनर के जन्म स्थान से दक्षिण दिशा में मिलने की संभावना ज्यादा रहती है।
हेल्थ- मीन राशि का स्वामी गुरु होने के कारण ऐसे जातक भावुक होते हैं। कल्पनाशील होते हैं मानसिक रूप से संवेदनशील भी होते हैं क्योंकि यह स्वभाव से गिवर होते हैं। यदि कोई व्यक्ति इनसे लाभ लेने के बाद इनकी उम्मीद के अनुरूप व्यवहार नहीं करता। यह डिस्टर्ब हो जाते हैं और मानसिक तौर पर जल्दी थक जाते हैं। जल तत्व की राशि होने के कारण इन जातकों को फ्लूइड रिटेंशन हाथों में पैरों में सूजना भारीपन किडनी लिंफेटिक सिस्टम से जुड़ी हुई समस्याएं जल्दी हो जाती हैं। मीन राशि कारपोरेशन की पत्रिका में जो है वह 12वें भाव की राशि है और पैरों को रिप्रेजेंट करती है लिहाजा इन जातकों को पैरों में दर्द थकान या जलन की शिकायत हो सकती है। गुरु का संबंध लीवर मोटापा और शुगर नियंत्रण से भी होता है यदि गुरु पीड़ित हो जाए तो इन्हें इसके कारण मोटापा या टाइप टू डायबिटीज या फैटी लिवर जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। इन जातकों को मेडिटेशन करना चाहिए। बृहस्पति का जो बीज मंत्र है उसका जप करना चाहिए। भोजन वह हल्का और गर्म करना चाहिए और अध्यात्म से जुड़ना इनके लिए विशेष लाभकारी हो सकता है।
उपाय- मीन राशि के जातकों के लिए मंगल भाग्य स्थान के स्वामी बनते हैं। जबकि चंद्रमा पंचम भाव में स्वामी हो जाते हैं। अपने राशि स्वामी गुरु के स्टोन पुखराज के अलावा यह जातक चंद्रमा का मोती और मंगल का मुंगा भी धारण कर सकते हैं। यदि आप कोई भी स्टोन धारण कर रहे हैं, तो यह सुनिश्चित जरूर करिए कि जिस ग्रह का आप स्टोन धारण करेंगे वह कुंडली में छठे, आठवें या 12वें भाव में नहीं होना चाहिए। यदि ग्रह केंद्र त्रिकोण या लाभ स्थान में है तभी उसका स्टोन वह धारण करें। यदि आप स्वर्ण धारण नहीं कर सकते तो मंगल की रेमेडीज के तौर पर आप मंगलवार के दिन लाल कपड़ा, मसूर की संतरी रंग की दाल, लाल रंग के फूल और गुड़ आदि का दान कर सकते हैं। इनके अलावा बीज मंत्र जो होता है मंगल का ओम अंग अंगारकाय नमः का जप भी इन्हें खूब लाभ देगा। इन्हें जातक ऐसे जातक यदि रुद्राक्ष धारण करना चाहें तो इन्हें 10 मुखी रुद्राक्ष जो है वह धारण करना चाहिए। दशमुखी रुद्राक्ष वह भगवान विष्णु यानी कि जनार्दन का प्रतिनिधित्व करता है, जो पूरे ब्रह्मांड के संचालक हैं। दशमुखी रुद्राक्ष माला को धारण करने वाला व्यक्ति और उसका परिवार सदा भगवान विष्णु की छत्रछाया में रहता है और विष्णु जी एक संरक्षक के तौर पर उनकी रक्षा करते हैं। इस रुद्राक्ष पर यमराज की भी कृपा दृष्टि बनी हुई है। इसके कारण ऐसे व्यक्ति अकाल मृत्यु के भय से मुक्त हो जाते हैं। इससे मिर्गी, हकलाना, सूखा रोग जैसी बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है। 10 मुखी रुद्राक्ष जो है वह काला जादू, भूत प्रेत, अकेलापन आदि के भय से भी मुक्ति दिलाता है। तनाव और अनिद्रा के शिकार लोगों को भी ऐसा रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। विवाह में परेशानी और बृहस्पति ग्रह से संबंध रखने वाले को यह दशमुख रुद्राक्ष वह जरूर धारण करना चाहिए।
नरेश कुमार
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