Kundli Tv- क्यों नवरात्र में नहीं पहने जाते जूते-चप्पल
punjabkesari.in Friday, Oct 12, 2018 - 11:29 AM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (देखें VIDEO)
नवरात्रों को लेकर हर किसी के मन में अपनी अलग-अलग मन्नतें होती हैं। इसमें मां के व्रत रखने को लेकर कई मन्नतें आदि शामिल होती हैं। अक्सर देखने को मिलता है कुछ लोग नवरात्रों के पूरे नौ दिन नंगे पांव यानि बिना जूते-चप्पल के रहते हैं। आपको बता दें कि इसके पीछे लोगों की आस्था तो होती ही है। साथ ही इसके कई वैज्ञानिक फायदें भी होते हैं। तो आइए जानें इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
कहा जाता है कि नवरात्र से पहले वर्षा ऋतु यानि बारिश का मौसम खत्म हो जाता है और शरद ऋतु शुरू हो जाती है। ये मौसम न ज्यादा गर्मी का होता है और न सर्दी का। ये मौसम ज्यादा से ज्यादा विटामिन डी को सूर्य की किरणों से लेने का होता है। इसलिए इस दौरान नंगे पांव रहना लाभदायक माना जाता है।
माना जाता है कि इस दौरान धरती हल्की गर्म होती है, नंगे पैर चलने से इसकी गर्मी आसानी से शरीर को मिल सकती हैं। बारिश के मौसम में शरीर में शीत बैठने और कफ की समस्या होने की आशंका अधिक होती है। पैरों के जरिए ये गर्मी अच्छे से शरीर के तापमान को बैलेंस करती है और शरीर की ठंडक को कम कर ऊष्मा बढ़ाती है।
ये भी कहा जाता है कि नंगे पैर चलने से पैरों के जरिए एक्यूप्रेशर थैरेपी होती है। बिना जूते-चप्पल के चलने से पैरों के पंजों की नसों पर दबाव पड़ता है, जिससे उनमें खून का प्रवाह तेज़ होता है, ब्लाकेज खत्म होते हैं। शरीर के सारे अंग हमारे हाथ और पैरों के पंजों की नसों से जुड़े होते हैं। इन्हें एक्यूप्रेशर पाइंट्स कहा जाता है। इन पाइंट्स को एक्यूप्रेशर पाइंट्स कहा जाता है, जिन पर दबाव पड़ने से शरीर के सारे अंगों पर पॉजिटिव असर होता है, नौ दिन लगातार नंगे पैर रहने से कम्पलिट एक्यूप्रेशर थैरेपी शरीर को मिल जाती है, जिससे शरीर लंबे समय तक स्वस्थ्य रहता है।
ये रखें ध्यान
नवरात्र के दौरान डाइबिटीक, अर्थराइटिस, पेरिफेरल वसकुलर डिज़ीज के मरीज़ कभी भी नंगे पैर चलने की गलती न करें। क्योंकि इससे बीमारी के बढ़ने की खतरा रहता है। ऐसा करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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