क्यों देवी कात्यायनी को कहा जाता है ब्रज की अधिष्ठात्री देवी?
punjabkesari.in Thursday, Oct 22, 2020 - 11:05 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आज शारदीय नवरात्रि के उपलक्ष्य में माता कात्यायनी का पूजन सर्वश्रेष्ठ रहेगा। शास्त्रों में इनका स्वरूप बहुत चमकीला और भास्वर बताया गया है, चार भुजाओं वालों माता जी दाहिनी तरफ़ का ऊपरवाला हाथ अभयमुद्रा में तथा नीचे वाला वरमुद्रा है। बाईं तरफ़ के ऊपरवाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित हैं। इनका वाहन सिंह है। ज्योतिष मान्यताएं हैं कि इनकी उपासना करने वाले जातक को अर्थ, धर्म, काम तथा मोक्ष बहुत आसानी से प्राप्ति होती। है। बल्कि कहा जाता है जातक इस लोक में स्थित भी अलौकिक तेज़ प्रभाव से युक्त हो जाता है। कहा जाता है योगमाया कात्यायानी सभी देवियों में सर्वाधिक सुंदर हैं। तो वहीं इनकी सच्ची श्रद्धा-भाव से इनकी पूजा-अर्चना करने वाले जातक को जीवन के रोग, शोक, संताप, भय तथा सर्वथा विनष्ट हो जाते हैं। जन्म-जन्मांतर के पापों का भी नाश हो जाता है।
धार्मिक कथाओं की मानें तो शारदीय नवरात्रि के दौरान देवी भगवती के इस रूप का पूजन पष्ठी के दिन करना विशेष होता है। विशेष तौर पर इस दिन कुंवारियों कन्याओं के लिए करना अच्छा होता है। जिन लड़कियों के विवाह में किसी कारण वश देरी हो रही हो उन्हें इकस दिन प्रातः पूरे विधि विधान से इनका पूजन-अर्चन करना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन्हें प्रसन्न करने के लिए किसी विशेष अनुमति अथवा दान आदि का बंधन नहीं होता। केवल श्रृंगार सामग्री एवं पूजन सामग्री से माता का पूजन फलदायी होता है।
उपरोक्त जानकारी से इस बारे में बाखूबी इनके स्वरूप के बारे में पता चल चुका हैं। अब आपको जानकारी देते हैं कि मां कात्यायनी की लीलाधर श्री कृष्ण से क्या संबंध है। जी हां, आपको बता दें इस बारे में शास्त्र में एक शलोक या मंत्र में इस का स्पष्ट उदाहरण मिलता है।
चंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥
कात्यायनी, महामाया महायोगीन्यधीश्वरी
नंद गोप सुतं देवी पति में कुरुते नम:
उपरोक्त श्लोक में बताया गया है कि ब्रज की गोपियों ने श्रीकृष्ण जैसे वर पाने के लिए मां कात्यायनी की पूजा की थी। कथाओं के अनुसार इनकी पूजा करने के लिए ब्रज की गोपियां कालिंदी यमुना के तट पर गई थी। इसलिए वह ब्रजमंडल की अधिष्टात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। कहा जाता है गोपियों द्वारा जपा गया यह मंत्र विवाह के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
बता दें देवी दुर्गा के इस रूप को आयुर्वेद औषधि में कई नामों से जाना जाता है, अम्बा, अम्बालिका, अम्बिका माचिका आदि।
चूंकि इनका विवाह से संबंध होता है, इसलिए इनका संबंध बृहस्पति से भी माना जाता है।।
दाम्पत्य जीवन से संबंधित होने के कारण इनका शुक्र से भी आंशिक संबंध होता है।
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शुक्र और बृहस्पति, दोनों दैवीय और तेजस्वी ग्रह हैं, इसलिए माता का तेज भी अद्भुत और सम्पूर्ण हैं।
तो वहीं देवी कात्यायनी का कृष्ण और उनकी गोपिकाओं से रहा है, जिस कारण इन्हें ब्रज मंडल की अधिष्ठात्री देवी कहते हैं।