हकीकत या फसाना: वैशाख महीना न केवल मनुष्य बल्कि देवताओं के लिए भी है वरदान का महीना !
punjabkesari.in Tuesday, Apr 15, 2025 - 08:12 AM (IST)

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Vaisakha Month 2025: ब्रह्मवैवर्त पुराण में उल्लेख है कि जब युगों के अंत में कलियुग का अंधकार बढ़ा, तब देवताओं ने ब्रह्मा से निवेदन किया कि कोई ऐसा मार्ग बताएं जिससे कलियुग में भी मनुष्य धर्म पर टिक सके। तब ब्रह्मा ने कहा, "जो व्यक्ति वैशाख माह में प्रातः सूर्योदय से पूर्व स्नान करता है, वह एक हजार अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य अर्जित करता है।"
यह बात बहुत कम लोगों को पता है कि देवताओं ने स्वयं ब्रह्मा से यह माह "मनुष्य के कल्याण" हेतु याचना करके प्राप्त किया था। कुछ प्राचीन साधु-परंपराओं में वैशाख मास को मौन मास भी कहा गया है क्योंकि इस माह सूर्य की ऊर्जा चरम पर होती है, जिससे शब्द की शक्ति भी तीव्र हो जाती है। ऋषि चरक ने अपने ग्रंथों में लिखा है कि वैशाख में बोले गए शब्द "मन और प्रकृति दोनों पर स्थायी प्रभाव छोड़ते हैं"।
तभी तो तपस्वी इस मास में मौन धारण कर ध्यान करते हैं ताकि वाणी से किया गया कोई भी कर्म गलत दिशा में न चला जाए।
वैशाख और जल तत्त्व का महत्व
आपने ध्यान दिया होगा वैशाख में पानी की पूजा हर प्रकार से की जाती है, गंगा स्नान, तुलसी को जल, प्यासों को जल पिलाना, तालाब बनवाना इत्यादि।
शिव संहिता में एक बहुत ही सूक्ष्म बात कही गई है:
वैशाख में जो जल देता है, वह वास्तव में प्राण देता है क्योंकि इस काल में अग्नि देव जल से ही तृप्त होते हैं। यानी जलदान को 'प्राणदान' के तुल्य माना गया है, केवल सांस्कृतिक नहीं बल्कि सूक्ष्म-तत्त्वों की संतुलन दृष्टि से।
वैशाख पूर्णिमा और बुद्ध का है गहरा संबंध
बुद्ध पूर्णिमा वैशाख में आती है लेकिन एक कम ज्ञात तथ्य यह है की महायान बौद्ध परंपरा में माना गया है कि इसी दिन बुद्ध को ध्यान के माध्यम से ब्रह्मांडीय ध्वनि" (ॐ) की अनुभूति हुई थी। ये बात अधिकांश जगह नहीं लिखी गई है परंतु तिब्बती और कश्मीरी बौद्ध ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है कि बुद्ध ने इस दिन वाणी के पार जाकर ध्वनि के मूल स्रोत को अनुभव किया था।