जब यमराज ने स्वयं बताया मृत्यु पर विजय का तरीका
punjabkesari.in Friday, Jun 12, 2020 - 08:31 PM (IST)
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यमराज ने नचिकेता से तीन वर मांगने को कहा। नचिकेता ने अपने मृत माता-पिता को जीवित कर देने, सवामिभक्त नौकर को जीवन दान देने तथा नगरवासियों की क्षुधा निवृत्ति के लिए खाद्यान्न का अक्षुण्ण भंडार बना रहने के वर मांग लिए। नचिकेता की परोपकार की उच्च भावना से प्रभावित होकर यमराज ने कहा, ‘‘नचिकेता, अपने लिए भी तो कोई एक वरदान मांगो।’’
नचिकेता ने कहा, ‘‘यमराज, यदि आप मेरे प्रति इतने दयालु हैं तो मुझे यह बताइए कि मृत्यु से मुक्ति कैसे प्राप्त हो?’’
यमराज ने मुस्कराकर कहा, ‘‘मैं तुम्हें अमर किए देता हूं वत्स। अमर होकर तुम सदैव राज सुख भोग सकते हो। नचिकेता ने कहा, ‘‘महाराज मैं व्यक्तिगत अमरत्व प्राप्त कर क्या करूंगा, जबकि अन्य व्यक्ति काल के शिकार होते रहेंगे। मुझे तो ऐसा अमोघ मंत्र बताने की कृपा करें जिससे मानव मृत्यु के भय से मुक्त हो सके।’’
यमराज बालक नचिकेता के आदर्श विचारों को देख कर अभिभूत हो उठे। उन्होंने बताया, ‘‘वत्स, प्रत्येक मानव के शरीर में ईश्वर विद्यमान है। मुक्ति और नरक उसके कर्मों के आधार पर मिलते हैं। जो सदैव सत्कर्मों में लिप्त रहते हैं, सेवा-परोपकार व भक्ति में जीवन बिताते हैं उन्हें मृत्यु का भय किंचित भी नहीं होता। नचिकेता सत्कर्मों के महत्व को समझ कर मृत्यु पर विजय प्राप्त करने का मंत्र जान चुके थे।