किसी का बुरा सोचने वाले के साथ क्या होता है जान लें वरना पछताओगे

punjabkesari.in Friday, Jul 26, 2024 - 08:24 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Inspirational Story- पिछले दो घंटों से राजेश बिस्तर पर लेटा करवटें बदल रहा था। नींद उसकी आंखों से कोसों दूर थी। उसके जहन में रह-रह कर वही घटना घूम रही थी। तीसरे पहर कुछ लड़कों का कार्यक्रम बना कि आज हॉस्टल में क्रिकेट खेला जाए। देखते-देखते कॉरिडोर फील्ड बन गया। दो ईंटें, विकेट, गेंद बल्ला तो था ही। खेल शुरू हुआ तो हॉस्टल हल्ले से गूंजने लगा। जो लड़के कमरों में पढ़ रहे थे, उन्हें परेशानी होने लगी। सुधीर के कमरे के सामने विकेट बनी थी। गेंद बार-बार आकर दरवाजे पर लगती थी। सुधीर ने बाहर निकल कर खिलाड़ियों को समझाया कि मैदान में खेलो। जब केवल समझाने से काम न चला तो उसने धमकी दे डाली। ‘‘मैं वार्डन से शिकायत कर दूंगा।’’

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राजेश ने उसकी धमकी की खिल्ली उड़ाई। वार्डन साहब मैदान में पधारे और राजेश को रंगे हाथों पकड़ा। वह राजेश को डांटने लगे तो सबने उनकी हां में हां मिलानी शुरू कर दी, ‘‘सर यह हास्टल में हाकी भी खेलता है।’’ सर यह पढ़ने नहीं देता।’’

राजेश ने सोचा कि यह सब केवल सुधीर के ही कारण हो रहा है। 10 बजे राजेश बत्ती बुझा कर लेटा था और अब समय 12 से ऊपर हो चला था। लेटे-लेटे बदन दर्द करने लगा तो राजेश उठ खड़ा हुआ। कमरे से बाहर निकला। शायद हास्टल के सामने लान में बैठने से मन को कुछ सुकून मिले। राजेश बाहर बगीचे में आकर बैठ गया। उसकी नजर यकायक हास्टल के बाहर खड़ी साइकिलों पर पड़ी। सुधीर की नई साइकिल सबसे अलग ही चमक रही थी। राजेश के जहन में एक कुटिल विचार बिजली की तरह कौंध गया और उसके अधरों पर एक शरारती मुस्कान तैरने लगी। उसे उसकी साइकिल का टायर पिन चुभा कर पंक्चर कर दिया। राजेश ने खुद को हल्का महसूस किया और वह अपने बिस्तर पर जा लेटा। लेटते ही उसे नींद आ गई। सुबह हॉस्टल में शोरगुल के कारण जब उसकी नींद खुली। कमरे से बाहर आकर उसने एक छात्र से पूछा, ‘‘क्या बात हो गई ? इतनी अफरा-तफरी क्यों मची हुई है ?’’

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‘‘तुम्हें मालूम नहीं? रात को हॉस्टल में चोरी हो गई है। चोर बाहर पड़ी साइकिलों में से तीन-चार साइकिलें चुरा कर ले गए। वार्डन साहब ने फोन करके पुलिस को बुला दिया है।’’ छात्र ने जवाब दिया।

राजेश बुरी तरह चौंका और हॉस्टल के बाहर जहां साइकिलें रखी जाती हैं उस ओर चल दिया। वहां कई छात्र व वार्डन साहब मौजूद थे। राजेश ने देखा उसकी साइकिल भी वहां नहीं थी। इसके अलावा तीन और लड़कों की साइकिलें चोरी हो गई थी। राजेश धक-सा रह गया। सुधीर की नई साइकिल स्टैंड से कुछ ही दूर गिरी थी। उसे देखते ही राजेश समझ गया कि चोर सुधीर की साइकिल पंक्चर होने के कारण नहीं ले जा सके और उसे वहीं पटक गए। अब राजेश को अपने किए पर आत्म ग्लानि होने लगी। वह सोच रहा था कि उसने सुधीर का बुरा सोच कर उसकी साइकिल पंक्चर की। इतने में उसे सुधीर आता दिखाई दिया। राजेश से रहा न गया। वह तुरंत सुधीर के पास पहुंचा और रो पड़ा।

‘‘अरे क्या हुआ? तुम रो रहे हो ?’’ सुधीर ने पूछा।

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राजेश ने रात वाली सारी घटना बता दी। सुधीर ने कहा, ‘‘कोई बात नहीं। मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं। तुम्हारे कारण तो आज मेरी साइकिल चोरी होने से बच गई। मैं तुम्हारा आभारी हूं। तुम्हारे द्वारा किया पंक्चर मेरे लिए ‘लक्की’ साबित हुआ लेकिन वायदा करो कि आगे से किसी का बुरा नहीं सोचोगे।’’   

 


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Content Writer

Niyati Bhandari

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