Muni Shri Tarun Sagar: मरने वाला मर कर स्वर्ग गया है या नरक ? यह जानना चाहते हैं तो...
punjabkesari.in Saturday, Jun 28, 2025 - 01:15 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
दहाड़ और चिंघाड़
आजकल मैंने मीठा बोलना बंद कर दिया है कारण कि मैं मीठा बोलता हूं तो लोगों को लगता है कि जैसे मैं उन्हें सुलाने के लिए लोरी गा रहा हूं। आज समाज और देश, कुंभकर्ण की भांति गहरी नींद सोया हुआ है और सोते समाज व देश को जगाने के लिए लोरी काम नहीं आती, इसके लिए तो शेर, हाथी जैसी दहाड़ और चिंघाड़ चाहिए इसीलिए मैं दहाड़ता और चिंघाड़ता हूं। कड़वा बोलना मेरी प्रकृति नहीं ड्यूटी है।
अधमरा आदमी
अगर वैद्य, संत और सचिव मीठा बोलने लगें तो समझना सेहत, समाज और देश का सत्यानाश होने वाला है। मैंने जिंदगी में एक भी मुर्दे को नहीं फूंका। छोटा था, इस कारण श्मशान जाने का कभी काम नहीं पड़ा। शुरू-शुरू में मुझे इस बात का पश्चाताप रहता था फिर एक दिन मुझे लगा जैसे भगवान महावीर मुझसे कह रहे हैं : तरुणसागर, तुम्हारा जन्म मुर्दों को फूंकने के लिए नहीं, बल्कि मुर्दों में प्राण फूंकने के लिए हुआ है और बस मैं उसी दिन से मुर्दा हो चले व्यक्ति, समाज व देश में प्राण फूंकने के लिए प्राणपण से जुट गया। याद रखें : अधमरा आदमी और अधमरा समाज किसी काम का नहीं।
आलोचक बुरा नहीं है
सुनने की आदत डालो क्योंकि दुनिया में कहने वालों की कमी नहीं है। कड़वे घूंट पी-पीकर जीने और मुस्कुराने की आदत बना लो क्योंकि दुनिया में अब अमृत की मात्रा बहुत कम रह गई है। अपनी बुराई सुनने की खुद में हिम्मत पैदा करो क्योंकि लोग तुम्हारी बुराई करने से बाज नहीं आएंगे। आलोचक बुरा नहीं है। वह तो जिन्दगी के लिए साबुन-पानी का काम करता है। जिन्दगी की फिल्म में एक खलनायक भी तो जरूरी है। गली में दो-चार सूअर हों तो गली साफ रहती है।
स्वर्ग गया या नरक
मरने वाला मर कर स्वर्ग गया है या नरक? अगर कोई यह जानना चाहता है तो इसके लिए किसी संत या ज्योतिषी से मिलने की जरूरत नहीं है, बल्कि उसकी शव यात्रा में होने वाली बातों को गौर से सुनने की जरूरत है। यदि लोग कह रहे हों कि बहुत अच्छा आदमी था, अभी तो उसकी देश व समाज को बड़ी जरूरत थी, जल्दी चल बसा तो समझना कि वह स्वर्ग गया है और यदि लोग कह रहे हों कि अच्छा हुआ धरती का एक पाप तो कम हुआ तो समझना कि मरने वाला नरक गया है।