Varalakshmi Vratham: वरलक्ष्मी व्रत पर नहीं रख सकते व्रत तो इन Rules को Follow करने से भी मिलेगा मनचाहा वरदान

punjabkesari.in Friday, Aug 08, 2025 - 08:12 AM (IST)

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Varalakshmi Vratham 2025: वरलक्ष्मी व्रत का वर्णन स्कंद पुराण, भविष्य पुराण और पद्म पुराण में मिलता है। इसमें कहा गया है कि यह व्रत अष्टलक्ष्मी (धन लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, आदिलक्ष्मी, विजय लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, वीर लक्ष्मी, विद्यालक्ष्मी, और गज लक्ष्मी) को प्रसन्न करने वाला है। यह व्रत स्त्रियों द्वारा अपने पति की दीर्घायु, संतान सुख और घर में सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। देवी लक्ष्मी को 'वरलक्ष्मी' कहे जाने का कारण यह है कि वह भक्तों को "वर" (वरदान) प्रदान करती हैं। यदि आप किसी कारणवश व्रत नहीं रख सकते तो यहां बताएं गए नियमों को अपनाने से आप मां वरलक्ष्मी से मनचाहे वरदान को प्राप्त कर सकते हैं। केवल श्रद्धा और आस्था से करें ये काम, कुछ ही दिनों में पूरे हो जाएंगे सभी काम-

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According to the scriptures, special things about Varalakshmi Vrat शास्त्रों के अनुसार वरलक्ष्मी व्रत की खास बातें
भविष्य पुराण के अनुसार यह व्रत करने से 7 जन्मों तक सौभाग्य की प्राप्ति होती है। जिन दंपतियों के संतान नहीं होती, उन्हें यह व्रत करने से संतान योग बनता है।

देवी स्वयं कहती हैं: “या स्त्री मां वरलक्ष्मी रूपेण पूजयेत्, सा मम प्रियतमा भवेत्।”
(जो स्त्री मुझे वरलक्ष्मी रूप में पूजती है, वह मेरी प्रिय होती है।)

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What not to do on Varalakshmi Vrat day वरलक्ष्मी व्रत के दिन क्या न करें
व्रत के दिन तामसिक भोजन, झूठ, कटु वचन और अपवित्र आचरण से दूर रहें। बिना स्नान व बिना संकल्प के पूजा न करें।

Mythological Story of Varalakshmi Vrat वरलक्ष्मी व्रत की पौराणिक कथा (शास्त्रीय कथा)
पुराणों के अनुसार, एक बार मद्र देश (आज का मदुरै) में चरुमति नामक एक धर्मपरायण स्त्री रहती थी। वह अत्यंत भक्तिभाव से देवी लक्ष्मी की पूजा करती थी। एक दिन देवी लक्ष्मी ने उसे स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि वह श्रावण शुक्ल शुक्रवार को वरलक्ष्मी व्रत करे। चरुमति ने विधिपूर्वक व्रत किया और फलस्वरूप उसे अपार ऐश्वर्य और संतोष की प्राप्ति हुई। उसके बाद से यह व्रत स्त्रियों के बीच लोकप्रिय हो गया।

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Special Mantras for Varalakshmi Vrat वरलक्ष्मी व्रत के विशेष मंत्र
वरलक्ष्मी आवाहन मंत्र: ॐ वरलक्ष्म्यै च विद्महे। विष्णु पत्न्यै च धीमहि। तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात्॥

अष्टलक्ष्मी ध्यान: ॐ आदिलक्ष्म्यै नमः। धनलक्ष्म्यै नमः। धान्यलक्ष्म्यै नमः।
गजलक्ष्म्यै नमः। संतति लक्ष्म्यै नमः। विजयलक्ष्म्यै नमः।
विद्या लक्ष्म्यै नमः। धैर्य लक्ष्म्यै नमः।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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