Ujjain Mahakal Mandir: ज्योतिर्लिंग क्षति रोकने को महाकाल मंदिर ने उठाया अहम कदम, जानिए क्या है नया नियम

punjabkesari.in Tuesday, Sep 16, 2025 - 08:47 AM (IST)

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Ujjain Mahakal Mandir: मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित बाबा महाकाल का मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जहां देश-विदेश से भक्त दर्शन करने आते हैं। बाबा महाकाल की भस्म आरती और भव्य श्रृंगार भक्तों को बहुत आकर्षित करता है। लेकिन हाल ही में मंदिर प्रशासन ने बाबा महाकाल के शिवलिंग में हो रहे क्षरण की समस्या को गंभीरता से लेते हुए श्रृंगार के नियमों में बदलाव किए हैं।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार, शिवलिंग पर भस्म लगाने, उसे छूने और पूजा सामग्री के कण चिपकने के कारण धीरे-धीरे क्षरण हो रहा है। इस प्रक्रिया में छोटे-छोटे बैक्टीरिया भी विकसित हो रहे हैं, जो शिवलिंग की सतह पर छिद्र पैदा कर रहे हैं।

इस समस्या को देखते हुए, मंदिर प्रशासन ने महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के संरक्षण के लिए भांग की मात्रा कम करने का निर्णय लिया है। पहले जहां श्रृंगार में 5 से 7 किलो भांग का उपयोग होता था, अब इसे घटाकर केवल 3 किलो तक सीमित कर दिया गया है। इसके अलावा भांग की मात्रा मापने के लिए मंदिर में तोला-कांटा भी लगाया जाएगा, ताकि पुजारी 3 किलो से अधिक भांग का इस्तेमाल न कर सकें।

मंदिर के प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया कि अब भगवान महाकाल के श्रृंगार में अधिकतम तीन किलो भांग ही इस्तेमाल की जाएगी। इससे शिवलिंग की सुरक्षा और उसकी दीर्घायु सुनिश्चित होगी।

यह कदम वर्ष 2017 में सारिका गुरु द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के बाद उठाया गया था, जिसमें शिवलिंग के क्षरण को रोकने की मांग की गई थी। कोर्ट ने इसके बाद आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के विशेषज्ञों की एक समिति बनाई, जिन्होंने शिवलिंग की सुरक्षा के लिए कई उपाय सुझाए, जिनमें भांग की मात्रा सीमित करना भी शामिल था।

महाकाल मंदिर में दिन में पांच बार आरती होती है, जिसमें सुबह 4 बजे की भस्म आरती और शाम 7 बजे की संध्या आरती प्रमुख हैं। इन आरतियों में पुजारी और भक्त भांग अर्पित कर भगवान महाकाल का विशेष श्रृंगार करते हैं। अब यह श्रृंगार नए नियमों के अनुसार ही किया जाएगा, ताकि शिवलिंग की रक्षा हो सके।


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Content Editor

Prachi Sharma

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