इस भक्त के लिए नौकर बने बाबा भोलेनाथ

punjabkesari.in Sunday, May 06, 2018 - 12:40 PM (IST)

विश्व के हर कोने में जगतव्यापी शिव शंकर के कईं प्रसिद्ध मंदिर स्थापित हैं। जिनके साथ कईं रोचक कथाएं जुड़ी हुई हैं। एेसा ही एक मंदिर बिहार के मधुबनी ज़िले के भवानीपुर गांव में स्थित है, जो उगना महादेव व उग्रनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान शिव ने स्वयं महाकवि विद्यापति की नौकरी की थी। 

पौराणिक कथा
सन् 1352 में जन्मे महाकवि विद्यापति भारतीय साहित्य की भक्ति परंपरा के प्रमुख स्तंभों में से एक और मैथिली के सर्वोपरि कवि के रूप में जाने जाते हैं, भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त थे। उन्होंने शिवभक्ति पर अनेक गीतों की रचना की। पौराणिक कथाओं के अनुसार भोलेनाथ विद्यापति की भक्ति व रचनाओं से बेहद प्रसन्न थे। एक दिन भगवान शिव की उनके घर नौकर बनने की इच्छा हुई। जिसके बाद वे एक साधारण व्यक्ति के वेष में कवि विद्यापति के घर पहुंचे व नौकरी की इच्छा जाहिर की। कवि विद्यापति की आर्थिक स्थति ठीक न होने के कारण उन्होंने उगना अर्थात भगवान शिव को नौकरी पर रखने से मना कर दिया लेकिन शिव ने उन्हें सिर्फ दो वक्त के भोजन पर  रखने के लिए तैयार कर लिया। 

एक दिन विद्यापति राजा के दरबार में जा रहे थे, उगना भी उनके साथ चल दिया। तेज़ गर्मी और धुप के कारण विद्यापति का गला सूखने लगा। आस-पास जल का कोई स्रोत नहीं था। विद्यापति ने उगना से जल का प्रबंध करने को कहा। भगवान शिव ने थोड़ा दूर जा कर अपनी जटा खोली व एक लौटा जल ले आए। विद्यापति ने जब जल पिया तो उन्हें गंगाजल का स्वाद आया, उन्होंने सोचा कि इस वन में यह जल कहां से आया। विद्यापति को संदेह हो गया कि उगना स्वयं भगवान शिव हैं। जब विद्यापति उगना को शिव सम्बोधित कर उनके चरणों में पड़ गए, तो शिव को अपने वास्तविक स्वरूप में आना पड़ा।

शिव ने कवि विद्यापति के साथ रहने की इच्छा जताई लेकिन उन्होंने कहा के मैं तुम्हारे साथ उगना बनकर ही रहुंगा, मेरा वास्तविक परिचय किसी को पता नहीं लगना चाहिए। विद्यापति ने भगवान शिव की शर्त मान ली लेकिन एक दिन उगना द्वारा किसी गलती पर कवि की पत्नी उसे चूल्हे की जलती लकड़ी से पीटने लगी। उसी समय विद्यापति वहां आए और उनके मुंह से निकल गया के ये साक्षात भगवान शिव हैं, इन्हें तुम लकड़ी से मार रही हो। 

जैसे विद्यापति के मुख से ये बात निकली शिव अंर्तध्यान हो गए। अपनी भूल का पछतावा करता विद्यापति पागलों की तरह वनों में शिव को पुकारने लगे। अपने प्रिय भक्त की एेसी दशा देख कर भगवान उनके समक्ष प्रकट हो गए और उन्हें समझाया कि मैं अब तुम्हारे साथ नहीं रह सकता। परंतु उगना के रूप में जो तुम्हारे साथ रहा उसके प्रतीक चिन्ह के रूप में अब मैं शिवलिंग के रूप में तुम्हारे पास विराजमान रहूंगा। उसके बाद उस स्थान पर शिवलिंग प्रकट हो गया। उगना महादेव का प्रसिद्ध मंदिर वर्तमान में मधुबनी ज़िला में भवानीपुर गांव में स्थित है।

मंदिर परिसर
उगना महादेव मंदिर के गर्भगृह में जाने के लिए छह सीढि़यां उतरनी पड़ती हैं। ठीक वैसे, जैसे उज्जैन के महाकाल मंदिर में शिवलिंग तक पहुंचने के लिए छह सीढ़ियां उतरनी पड़ती हैं। उगना महादेव के बारे में कहा जाता है कि ये स्वयंभू शिवलिंग है। यहां शिवलिंग आधार तल से पांच फुट नीचे है। माघ कृष्ण पक्ष में आने वाला नर्क निवारण चतुर्दशी मंदिर का प्रमुख त्योहार है। वर्तमान उगना महादेव मंदिर 1932 में निर्मित बताया जाता है। कहा जाता है कि 1934 के भूकंप में मंदिर का बाल-बांका नहीं हुआ। अब मंदिर का परिसर काफी भव्य बन गया है। मुख्य मंदिर के अलावा परिसर में यज्ञशाला और संस्कारशाला बनाई गई है। मंदिर के सामने सुंदर सरोवर है। पास में ही एक कुआं है। इस कुएं के बारे में कहा जाता है कि शिवजी ने यहीं से पानी निकाला था। काफी श्रद्धालु इसका पानी पीने के लिए यहां आते हैं।


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Jyoti

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