तुलसी विवाह के इस शुभ अवसर पर जानें तुलसी माता से जुड़े खास तथ्य

punjabkesari.in Monday, Nov 15, 2021 - 04:29 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
कहा जाता है कार्तिक मास की हरि प्रबोधनी एकादशी के उपलक्ष्य में देवी तुलसी की पूजा कनरने से पुण्य की प्राप्ति होती है, परंतु कम लोग हैं जो इन्हें प्रसन्न करने की विधि जानते हैं अर्थात इनसे जुड़ी विधि से रूबरू है। तो आइए आपको बताते है इनसे जुड़ी खास बातें। 

सबसे पहले बता दें कि तुलसी विवाह कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में एकादशी के दिन किया जाता है, जिसे देवउठनी या देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। इस बार इस एकादशी को देश में 14-15 नवंबर को मनाया गया है। शास्त्रों में इसे एक श्रेष्ठ मांगलिक और आध्यात्मिक पर्व कहा गया है। हिन्दू मान्यता के अनुसार इस तिथि पर भगवान श्रीहरि विष्णु के साथ-तुलसी जी का विवाह होता है, क्योंकि इस दिन भगवान नारायण चार माह की निद्रा के बाद जागते हैं। भगवान विष्णु को तुलसी बेहद प्रिय हैं। तुलसी का एक नाम वृंदा भी है। नारायण जब जागते हैं, तो सबसे पहली प्रार्थना हरिवल्लभा तुलसी की सुनते हैं। इसीलिए तुलसी विवाह को देव जागरण का पवित्र मुहूर्त माना जाता है।

यहां जानें तुलसी से जुड़े कुछ नियम बताते हैं-
इस बात का ध्यान रखें कि तुलसी पत्र को बिना स्नान किए नहीं तोड़ना चाहिए। कभी भी शाम के समय में तुलसी के पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए। पूर्णिमा, अमावस्या, द्वादशी, रविवार व संक्रान्ति के दिन दोपहर दोनों संध्या कालों के बीच में तथा रात्रि में तुलसी नहीं तोड़ना चाहिए। किसी के जन्म के समय और मुत्यु के समय घर में सूतक लग जाते हैं, ऐसे में तुलसी को नहीं ग्रहण करें।  क्योंकि तुलसी श्री हरि के स्वरूप वाली ही हैं। इसके अलावा तुलसी को दांतों से चबाकर नहीं खाना चाहिए। चलिए अब आपको बताते हैं कि रविवार के दिन तुलसी को क्यों नहीं छूना चाहिए।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्रीहरि यानि भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय है। इसलिए इसके पूजन से विष्णु भगवान बहुत प्रसन्न होते हैं। वैसे तो विष्णु भगवान के पूजन के लिए बृहस्पतिवार यानि गुरूवार ही शुभ होता होता है, लेकिन कुछ मान्यताओं के मुताबिक रविवार को भी भगवान विष्णु को सर्वाधिक प्रिय माना जाता है। तो वहीं तुलसी भी विष्णु प्रिकय मानी जाती हैं। इसलिए रविवार के दिन तुलसी के पत्तेू नहीं तोड़े जाते हैं। कहते हैं जो कोई भी इस दिन तुलसी के पत्ते तोड़ता है उसे भगवान विष्णु उस पर क्रोधित हो जाते हैं।
 


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Content Writer

Jyoti

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