आज रख रहे हैं एकादशी का व्रत, तो यहां जान लें पूजन और तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त
punjabkesari.in Monday, Nov 15, 2021 - 12:17 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
कुछ जगहों पर देवउठनी एकादशी बीते दिन यानि 14 नवंबर को मनाई गई तो वहीं आज यानि 15 नवंबर को भी मनाई जा रही है। तो वहीं इस दिन तुलसी विवाह भी संपन्न होता है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार तुलसी विवाह हिन्दू धर्म के अनुयायीयों द्वारा किया जाने वाला एक औपचारिक विवाह आयोजन है, जिसमें तुलसी नामक पौधे का विवाह शालीग्राम अथवा श्री हरि विष्णु अथवा या कहें उनके अवतार कृष्ण के साथ किया जाता है। बता दें सनानत या हिंदू धर्म में इसे मानसून का अंत और विवाह आदि के लिए उपयुक्त समय माना जाता है।
यहां जानें-15 नवम्बर के शुभ मुहूर्त-
एकादशी तिथि: कई अन्य पंचांगों के अनुसार एकादशी तिथि 14 नवंबर सुबह 5 बजकर 48 मिनट पर शुरू हो गई ती जो 15 नवंबर सुबह 6 बजकर 39 मिनट तक थी। हिंदू कैलेंडर के अनुसार एकादशी तिथि 15 नवंबर 2021 सोमवार को है। इस दिन कार्तिक शुक्ल की एकादशी तिथि सुबह 6:39 बजे शुरू होगी और अगले दिन 16 नवंबर दिन मंगलवार को 8 बजकर 01 मिनट पर समाप्त होगी।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन तुलसी पूजा का खास महत्व है। इस दिन तुलसी जी का विष्णु स्वरूप शालिग्रामजी से विवाह कराया जाता है।
यहां जानें विवाह के शुभ मुहूर्त-
15 नवंबर 2021 के शुभ मुहूर्त :
1.अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:21 से दोपहर 12:04 तक।
2.अमृत काल मुहूर्त- दोपहर 01:02 से दोपहर 02:44 तक।
3.विजय मुहूर्त- दोपहर 01:32 से दोपहर 02:15 तक।
4.गोधूलि मुहूर्त- शाम 04:59 से 05:23 तक।
पूजन विधि-
शाम के समय सारा परिवार विवाह समारोह के लिए तैयार हो जाएं।
तुलसी माता अथवा तुलसी का पौधा एक पटिये पर आंगन, छत या पूजा घर में बिलकुल बीच में रखें।
इसके ऊपर गन्ने का मंडप सजाएं।
इन पर समस्त सुहाग सामग्री के साथ लाल चुनरी चढ़ाएं।
गमले में शालिग्राम को विराजमान कर दें।
बता दें धार्मिक शास्त्रों के अनुसार शालिग्राम जी पर चावल नहीं चढ़ते हैं, उन पर तिल चढ़ाई जाती है।
दूध में भीगी हल्दी तुलसी और शालिग्राम जी पर लगाएं।
गन्ने के मंडप पर भी हल्दी का लेप करें और उसकी विधि वत पूजन करें।
बता दें इस दिन हिंदू धर्म में विवाह के समय बोला जाने वाला मंगलाष्टक पढ़ना चाहिए।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार देव प्रबोधिनी एकादशी से कुछ वस्तुएं खाना आरंभ किया जाता है। अत: भाजी, मूली़ बेर और आंवला जैसी सामग्री बाजार में पूजन में चढ़ानी चाहिए।
कपूर से आरती करें और प्रसाद चढ़ाएं। (नमो नमो तुलजा महारानी, नमो नमो हरि की पटरानी)
इस दिन 11 बार तुलसी जी की परिक्रमा करें।