Tula Sankranti: आज करें ये उपाय, सूर्य देव की कृपा से मिलेगा धन-सम्पति का वरदान
punjabkesari.in Wednesday, Oct 18, 2023 - 08:53 AM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Tula Sankranti: पंचांग के अनुसार आज 18 अक्टूबर को ग्रहों के राजा सूर्य देव गोचर करने जा रहे हैं। पहले ये कन्या राशि में थे अब ये तुला राशि में आ गए हैं। जिस दिन सूर्य देव गोचर करते हैं उस दिन को संक्रांति कहा जाता है। आज के दिन किया गया दान-कर्म हमेशा फलदायी होता है। कर्नाटक और ओडिशा में तो इस पर्व की बहुत धूम देखने को मिलती है। किसानों के लिए ये पर्व बहुत मायने रखता है क्योंकि इस दौरान धान के पौधों में दाने आना शुरू हो जाते हैं। वहीं शास्त्रों के अनुसार कुछ ऐसे खास उपाय हैं जिन्हें करने से जिंदगी भर परेशानियों का मुख नहीं देखना पड़ता। इसी के साथ बता दें कि संक्रांति के साथ आज विनायक चतुर्थी का व्रत भी रखा जा रहा है। तो चलिए सबसे पहले जानते हैं उपाय-
Holy bath पवित्र स्नान: आज के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है। सूर्य पूरे महीने तक एक ही राशि में रहते हैं। तो इस माह के दौरान आप किसी भी समय नदियों में आस्था की डुबकी लगा सकते हैं। अगर ऐसा नहीं कर सकते तो नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगा जल मिला लें।
Surya Puja सूर्य पूजा: संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करने का विधान है। आज के दिन सूर्य देव की पूजा बहुत ही मंगलकारी साबित होती है। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य की स्थिति खराब है तो वो इस मंत्र के साथ सूर्य देव को जल अर्पित करें।
Mantra मंत्र: एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते। अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर।।
Mahalakshmi Puja महालक्ष्मी पूजा: संक्रांति के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में धन का आगमन बना रहता है। बता दें कि खासतौर पर तुला राशि के जातकों को मां लक्ष्मी की पूजा जरुर करनी चाहिए।
Sandalwood garland चंदन की माला: कभी-कभी सूर्य नीच होकर बहुत ही समस्याएं पैदा कर देते हैं। ऐसे में लाल चंदन की माला का इस्तेमाल करें। लाल चंदन की माला गले में धारण करने से सूर्य देव और मां लक्ष्मी की कृपा आप पर बनी रहती है।
इसके अलावा सारा दिन ज्यादा से ज्यादा इन मंत्रों का जाप करें:
Mantra मंत्र: ॐ ॐ ॐ ॐ भूर् भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।।
'ऊँ खखोल्काय स्वाहा'
शांता कारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम।
विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।
लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म ।