जगन्नाथ रथयात्रा 2019ः रथ खींचने से होती है पुण्य की प्राप्ति

punjabkesari.in Thursday, Jul 04, 2019 - 09:36 AM (IST)

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विश्वप्रसिद्ध जगन्नाथ जी की रथयात्रा आज यानि 04 जुलाई को निकाली जा रही है। कहते हैं कि इसमें भाग लेने के लिए भक्तगण देश-विदेश से आते हैं और जगन्नाथ जी के दर्शन करते हैं।जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलराम के रथ खींच कर भक्तगणों में पुण्य कमाने की होड़ देखने को मिलती है। शास्त्रों में भी ऐसा कहा गया है कि रथयात्रा में रथ को खींचने से जीवात्मा को मुक्ति मिल सकती है। 
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आज के दिन उड़ीसा की धार्मिक नगरी और सनातन धर्म के अनुसार तीसरे धाम पुरी में श्री जगदीश भगवान को सपरिवार विशाल रथ में बिठाकर भ्रमण करवाया जाता है। तीन विशाल रथों पर तीन मूर्तियां अलग-अलग रखी जाती हैं। राजा इंद्रद्युम्न की रानी गुंडिचा के महल तक रथ यात्रा होती है जोकि जगन्नाथ की मौसी के घर के रूप में भी जाना जाता है। वहां एक सप्ताह तक विश्राम करने के बाद वे तीनों वापस पुरी के मंदिर में लौटते हैं। जब रथ पुरी मंदिर की ओर लौटता है तो उसे उल्टी रथ-यात्रा कहा जाता है। आज के दिन भक्तगण उपवास रखकर इन रथों को खींचते हैं। दिलचस्प यह है कि इस मार्ग की सफाई सोने की बनी झाड़ू से की जाती है। 
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हर साल की तरह इस साल भी रथयात्रा की तैयारी काफी दिन पहले से शुरू हो गई थी। वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को रथ का विधिवत निर्माण प्रारम्भ होता है। इसमें 832 लकड़ी के टुकड़ों का प्रयोग किया जाता है। जगन्नाथ जी का रथ 16 मीटर, बलराम जी का 14 मीटर और सुभद्रा जी का रथ 13 मीटर ऊंचा तैयार किया जाता है। रथ निर्माण के बाद ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा के दिन 108 घड़ों के जल से मूर्तियों के स्नान से महोत्सव प्रारम्भ होता है। ‘हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे' और ‘जगन्नाथ स्वामी नयन पथ गामी, नयन पथ गामी भव त्वमेव' का उद्घोष भक्तों को अद्भुत आनंद प्रदान करता है। 
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रथ यात्रा के समय तीन विशाल रथ तैयार किए जाते हैं, सबसे पहले रथ पर बलभद्र, दूसरे पर बहन सुभद्रा तथा उसके पीछे वाले रथ पर भगवान जगन्नाथ सवार होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन तीनों के दर्शन मात्र से भक्तों के जीवन से सारे दुख दूर हो जाते हैं और रथ को खींचने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं व पुण्य की प्राप्ति होती है। 


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