Varuthini Ekadashi 2024: पुण्यों में बढ़ोतरी के लिए इस दिन रखा जाएगा वरुथिनी एकादशी का व्रत, Note करें डेट
punjabkesari.in Sunday, Apr 28, 2024 - 07:21 AM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Varuthini Ekadashi: 24 अप्रैल से वैशाख माह की शुरुआत हो चुकी है। इस माह को सर्वोच्च महीनों में से एक माना गया है। इसे माधव मास के नाम भी जाना जाता है। इस माह में भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। वैशाख माह में पड़ने वाली एकादशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाता है। जो व्यक्ति अपने पुण्यों में बढ़ोतरी करना चाहता है तो ये व्रत अवश्य रखना चाहिए। तो चलिए जानते हैं वैशाख माह में कब रखा जाएगा ये व्रत।
Varuthini Ekadashi date वरुथिनी एकादशी डेट 2024
पंचांग के अनुसार इस साल 4 मई 2024 को वरुथिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। कहते हैं इस व्रत को करने से कन्यादान का फल प्राप्त होता है। इसके अलावा यदि आप व्रत न रखकर इस व्रत की महीना का गुणगान करते हैं तो आपको सहस्र गोदान का पुण्य प्राप्त होता है।
Varuthini Ekadashi Muhurat वरुथिनी एकादशी मुहूर्त
पंचांग के अनुसार वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 3 मई 2024 को रात 11 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 4 मई 2024 को रात 8 बजकर 38 मिनट पर इसका समापन होगा।
Tarot Card Rashifal (28th April): टैरो कार्ड्स से करें अपने भविष्य के दर्शन
आज का राशिफल 28 अप्रैल, 2024- सभी मूलांक वालों के लिए कैसा रहेगा
लव राशिफल 28 अप्रैल - चुपके से आकर इस दिल में उतर जाते हो, सांसों में मेरी खुशबु बनके बिखर जाते हो
Weekly Tarot Horoscope (28th April-4th May): जानें, कैसा रहेगा आने वाला सप्ताह
आज जिनका जन्मदिन है, जानें कैसा रहेगा आने वाला साल
Ravivar Ke Upay: आज करें सूर्य देव के ये खास उपाय, जीवन के हर क्षेत्र में मिलेगी अपार सफलता
पूजा का समय - सुबह 7.18 से सुबह 8.58 तक
Tripushkar Yoga will be formed on Varuthini Ekadashi वरुथिनी एकादशी पर बनेगा त्रिपुष्कर योग
इस एकादशी के दिन बहुत ही शुभ योग का निर्माण होने जा रहा है। त्रिपुष्कर योग रात में 08 बजकर 38 मिनट से बनेगा, जो 10 बजकर 07 मिनट तक रहेगा। इसके बाद इंद्र योग सुबह 11 बजकर 04 मिनट तक रहेगा। भाद्रपद नक्षत्र की शुरुआत सुबह होगी और रात 10 बजकर 07 मिनट पर इसका समापन होगा।
Varuthini Ekadashi importance वरुथिनी एकादशी महत्व
बता दें कि दस सहस्र वर्ष तपस्या करने के बाद जो फल प्राप्त होता है वो इस व्रत को करने के बाद मिल जाता है। ये व्रत सौभाग्य देने वाला है। जो व्यक्ति सच्चे मन से इस व्रत को करता है उसका जीवन सदा-सदा के लिए खुशहाल हो जाता है। धार्मिक कथाओं के अनुसार इस व्रत के प्रभाव से ही राजा मान्धाता को स्वर्ग की प्राप्ति हुई थी।