Sawan 2020: शिव जी की पूजा में कभी भी इस्तेमाल कर सकते हैं ये चीज़ें, कभी नहीं होती बासी

punjabkesari.in Tuesday, Jul 07, 2020 - 05:58 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आप लोगों ने अक्सर लोगों को ये कहते सुना होगा कि हिंदू धर्म में पूजा पाठ का अधिक महत्व है। यही कारण है भगवान के पूजन-अर्चन में बहुत सी चीज़ों का ध्यान रखा जाता है। खासतौर पर इन बातों का ख्याल रखा जाता है कि कभी भी किसी भी प्रकार के धार्मिक आयोजन आदि में कोई बासी वस्तु का इस्तेमाल न किया जाए अन्यथा पूजा संपूर्ण नहीं मानी जाती। मगर आपको बता दें ऐसा नहीं है, जी हां बल्कि कुछ ऐसी चीज़ें होती हैं जिनके बारे में कहा जाता है ति चाहे वो कितनी भी पुरानी क्यों न हो जाए, वो कभी बासी मानी नहीं मानी जाती है। इतना नहीं इन चीज़ों का एक से ज्यादा बार उपयोग भी किया जा सकता है। तो चलिए आपको बताते हैं कि आख़िर हिंदू धर्म में वो कौन सी चीज़ों का जिक्र किया गया है जिनका खासा महत्व है, और जो कभी भी बासी नहीं मानी जाती। 
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धार्मिक शास्त्रों में कहा गया है कि पूजा में बासी जल का प्रयोग नहीं करना चाहिए। परंतु गंगाजल के बारे में सबको पता है, कि इसे हिंदू धर्म में कितना महत्वपूर्ण माना जाता है। तो बता दें ये वह जल है जिसके स्नान मात्र से व्यक्ति द्वारा किए गए पापों से हमेशा हमेशा के लिए मुक्त हो जाता है। यानि गंगााजल कभी बासी नहीं माना जाता है। इसका वर्णन स्कंद पुराण में मिलता है। साथ ही साथ वायपुराण में भी इस बात का उल्लेख मिलता है कि गंगाजल न तो कभी खराब होता है न ही खराब। 
 
इसके अलावा शिव जी को चढ़ने वाली बेलपत्र भी एक दो-दिन नहीं बल्कि कितने माह तक बासी नहीं होती। वास्तु के अनुसार इसे भी दोबारा पूजा में प्रयोग किया जा सकता है। तो वहीं धार्मिक शास्त्रों के अनुसार बेलपत्र को एक बार अर्पित करने के बाद दोबारा धोकर फिर से चढ़ाया जा सकता है। इस दौरान केवल एक ही बात का खास ध्यान रखना अनिवार्य माना जाता है कि जो बेलपत्र चढ़ाएं वो कहीं से कटा-फटा न होना चाहिए। 
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पूजा-पाठ में फूल चढ़ाना बहुत अनिवार्य माना जाता है परंतु बासी फूलों का प्रयोग पूजा में निषेध माना जाता है। तो वहीं सूखे और बासी फूलो को मंदिर में लाना तक अशुभ माना जाता है। परंतु अगर बात करें कमल के फूल कीतो वह कभी बासी नहीं होता। शास्त्रों के अनुसार इसकी बासी होने की अवधि केवल पांच दिनों की होती है। इसलिए अगर कोई व्यक्ति चाहे तो पांच दिन में दोबारा से इसे धोकर इसका प्रयोग किया जा सकता है।

तुलसी के पत्ते को हिंदू धर्म में बहुत खास माना जाता है, यही कारण है बहुत विधि विधान से इसकी पूजा की जाती है। मगर बहुत कम लोग होंगे जिन्हें ये पता होगा कि तुलसी के पत्तें भी उन चीज़ों में शामिल हैं जो कभी कभी बासी नहीं माने जाते हैं। इसलिए अगर व्यक्ति किसी कारण तुलसी के पत्ते किसी कारणवश न तोड़े न जा सकें तो पुराने पत्तों को दोबारा धोकर पूजा में शामिल किया जा सकता है। 

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Jyoti

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