Kurma Dwadashi: कूर्म द्वादशी पर इस विधि से करें पूजा, जीवन में होगा सुख-शांति का आगमन
punjabkesari.in Thursday, Jan 09, 2025 - 04:01 PM (IST)
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Kurma Dwadashi 2025: कूर्म द्वादशी एक हिंदू पर्व है, जो भगवान विष्णु के कूर्म अवतार को समर्पित है। यह पर्व विशेष रूप से पौष मास (हिंदू पंचांग के अनुसार) के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। कूर्म द्वादशी को धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह दिन विष्णु जी के कूर्म रूप की पूजा के लिए होता है।
Kurma dwadashi vrat katha: देवताओं की खातिर भगवान विष्णु बने कछुआ
Significance of Kurma Dwadashi कूर्म अवतार का महत्व
कूर्म अवतार भगवान विष्णु के दस अवतारों (दशावतार) में से दूसरा अवतार है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया था, तब मंदराचल पर्वत को समुद्र में स्थिर रखने के लिए भगवान विष्णु ने कछुए (कूर्म) का रूप धारण किया था। इस अवतार का उद्देश्य सृष्टि को संतुलन प्रदान करना और अमृत प्राप्त करने में देवताओं की सहायता करना था।
Kurma Dwadashi puja vidhi कूर्म द्वादशी की पूजा-विधि
स्नान और संकल्प: इस दिन प्रातःकाल गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करने का महत्व है। यदि नदी तक जाना संभव न हो, तो घर पर ही पवित्र जल से स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
भगवान कूर्म की पूजा: भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की मूर्ति या चित्र की पूजा करें। पीले फूल, तुलसी के पत्ते, चंदन, दीपक और नैवेद्य चढ़ाएं। विष्णु सहस्रनाम या विष्णु स्तोत्र का पाठ करें।
व्रत और उपवास: इस दिन व्रत रखने का महत्व है। भक्त फलाहार या केवल जल का सेवन करके उपवास करते हैं।
दान-पुण्य: इस दिन गरीबों को भोजन, वस्त्र और दक्षिणा देने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
Importance of Vishnu's Kurma Avatar कूर्म द्वादशी का फल
इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत पापों का नाश करने वाला और जीवन में शांति लाने वाला माना जाता है। भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति को सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
कूर्म द्वादशी के दिन जो व्यक्ति भगवान विष्णु की कथा सुनता है और उनकी पूजा करता है, उसे विशेष रूप से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। यह पर्व धार्मिक, आध्यात्मिक और पर्यावरणीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि कूर्म अवतार हमें जल और पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश देता है।