ये मंत्र दिला सकते हैं जीवन का हर ऐशो-आराम

punjabkesari.in Wednesday, Feb 20, 2019 - 12:01 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (Video)

भगवान शिव ने अपने पुत्र गणेश को वरदान दिया था, जिसके चलते किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य को करने से पहले गणपति का पूजन-अर्चन किया जाता है। सनामत धर्म की मानें तो कोई भी मांगलिक कार्य गणेश वंदना के बिना संपूर्ण नहीं माना जाता। लेकिन कई बार ऐसा होता है कुछ मांगिलक कामों को करने से पहले गणेश जी की आराधना करने के बाद भी कार्य में सफलता नहीं मिलती। तो बता दें कि इसका कारण जातक के द्वारा की गई कुछ गलतियां होती हैं जिस वजह से ऐसा होता है। तो अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है तो बता दें कि आपको कुछ ऐसे उपाय करने होंगे जो आपकी इन समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र में कुछ ऐसे रामबाण उपाय है, जिनको अपनाने वाले जातक को कई फायदे हो सकते हैं। यहां जानें इन उपायों के बारे में-

PunjabKesariजब कोई बहुत ज़रूरी काम हर संभव कोशिश करने के बाद भी पूरा न हो रहा हो तो बुधवार के दिन गणेश जी को चार नारियल माला में पिरो कर अर्पित करें। 

किसी इंटरव्यू या परीक्षा में सफलता पाने के लिए कच्चे सूत में 7  गांठ लगाकर “जय गणेश काटो कलेश” कहते हुए भगवान गणेश जी को अर्पित करें। इसके बाद उस धागे को परीक्षा के लिए जाते समय अपने पर्स में रख लें।

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किस्मत को चमकाने के लिए बुधवार के दिन शुद्ध पानी से गणपति जी का अभिषेक करें और गणपति अर्थशीर्ष का पाठ करके गजानन को मेवे के लड्डू का भोग लगाएं।

हर तरह की समस्या से छुटकारा पाने के लिए सप्ताह के जितने दिन हो सके हाथी को हरा चारा खिलाएं और गणेश मंदिर में जाकर अपनी समस्याओं से छुटकारे की प्रार्थना करें।

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अगर आप तुरंत धन लाभ प्राप्त करना चाहते हैं तो इसके लिए बुधवार के दिन स्नान करने के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहन कर भगवान गणेश जी की पूजा कीजिए और उनको शुद्ध घी तथा गुड़ का भोग अर्पित कीजिए। थोड़ी देर पश्चात घी तथा गुड़ को गाय को खिला दीजिए। इस उपाय को करने से धन संबंधित सभी परेशानियां दूर हो जाती है।

PunjabKesariइसके अलावा गणेश जो को प्रसन्न करने के लिए गणेश जी के विभिन्न मंत्रों का जाप करें-
ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरू गणेश। ग्लौम गणपति, ऋद्धि पति, सिद्धि पति। करों दूर क्लेश।।

ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।

ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात।।

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Jyoti

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