जीवन को सुखमय बनाने का मूल मंत्र

punjabkesari.in Saturday, Dec 14, 2019 - 09:02 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

जीवन में सफलता पाने के लिए रंग, आकार और कद महत्व नहीं रखता, अपितु मनुष्य का मनोबल, कार्य क्षमता व बुद्धि ही महत्वपूर्ण है। जीवन में कामयाब होने व सुखमय बनाने का सरल तरीका क्या है? आज के समय में ऐसा कौन है जो सुखी व सरल जीवन जीना नहीं चाहता, किंतु मात्र चाहने से कुछ नहीं होता। जीवन को जैसा जीना चाहते हैं उसके लिए वैसे ही प्रारंभिक कार्य प्रयत्न भी अवश्य करने होंगे। जैसे फल खाने की इच्छा मात्र से फल प्राप्त नहीं होता। फल से पहले वह बीज महत्वपूर्ण है जो धरती में दफन हुआ, फिर जल वायु, प्रकाश, मिट्टी के संसर्ग से अंकुरित हुआ। सही पोषण और ऋतुओं के अनेकों कष्ट सहते हुए एक वृक्ष के अस्तित्व में आया और उसके फलों, पत्तों, ईंधन, छाल से उसके अस्तित्व का आंकलन होता है।

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यूं ही जीवन में भी किसी को कुछ प्राप्त नहीं होता। सोने को भी कुंदन बनने से पहले आग में तपना पड़ता है। ध्यान रखिए जीवन में कुछ प्राप्त होने से अधिक महत्वपूर्ण होता है जो प्राप्त हुआ है उसके महत्व को समझना। यदि उसके महत्व को नहीं समझा तो वह व्यक्ति, वस्तु अथवा विषय प्राप्त होने वाले के पास स्थिर नहीं रहेगी। कोई काम शुरू करने से पहले स्वयं से प्रश्र करें कि मैं यह क्यों कर रहा हूं? इसके परिणाम क्या-क्या हो सकते हैं? क्या मैं सौ प्रतिशत इसमें सफल हो पाऊंगा अथवा सफलता हाथ लगेगी? यह धैर्यपूर्वक सोचें।

केवल वर्तमान में जीते हुए भविष्य का निर्माण करने में अपनी ऊर्जा को लगाइए। भूतकाल में की गई भूलों से सीख लें और उन गलतियों को दोहराने से बचना चाहिए। परिस्थितियां कितनी ही विकट क्यों न हों उनसे भागने का प्रयत्न कदापि न करें, अपितु उन पर हमला करते हुए डटकर परिस्थितियों का मुकाबला करें। एक जैसी समान सोच रखने वाले लोगों से ही मित्रता रखें अन्यथा विपरीत सोच के लोग मानसिक तनाव का कारण बनते हैं। समान सोच रखने वाले लोग तरक्की एवं शांतिपूर्ण जीवन में सीढ़ी का काम करते हैं।

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शिक्षा सबसे अच्छी और सच्ची मित्र होती है। जो कभी भी ग्रहण करने वाले का साथ नहीं छोड़ती। अच्छी शिक्षा से निर्णायक बुद्धि होती है जो शक्ति ऊर्जा के सहयोग से नव-वैचारिक प्रखरता को उत्पन्न कर नए कार्यों को प्रारूप प्रदान करती है। ईमानदार एवं सरल रहना चाहिए किंतु किसी की घटिया मानसिकता का शिकार होने से बचना चाहिए। कारण सीधे वृक्ष पहले काटे जाते हैं, यह सदा याद रखें। किसी भी कार्य को शुरू करें तो उसे अंजाम तक अवश्य पहुंचाएं। परिणाम भले ही शून्य क्यों न हो यह अनुभव भी एक दिन आपकी सफलता का कारण अवश्य बनेगा।  अर्थात किसी कार्य को असफलता के डर से बीच में न छोड़ें। किसी कार्य को करने से पहले एक रणनीति तैयार करें। कुशल ढंग से इस रणनीति पर कार्य करें। सही ढंग व समय पर किया गया कार्य सफलता अवश्य देता है।

मनुष्य का धर्म कोई भी हो किंतु उसे आध्यात्मिक अवश्य होना चाहिए। आध्यात्मिकता मनुष्य को ईश्वर से जोड़े रखती है और मनुष्य प्रत्येक कर्म को करने से पूर्व सही-गलत का विचार अवश्य करता है। अध्यात्म के मार्गी किसी न किसी प्रकार के जप, तप, व्रत, नियम, ध्यान से जुड़े होने के कारण निराकार ईश्वरीय शक्ति के सम्पर्क में रहते हैं  और सकारात्मक रहते हैं। ऐसे मनुष्य सेवा, दान करके उदारता व नम्रता जैसे कुछ गुणों के स्वामी बनते हैं जिससे उनका जीवन सहज सरल व सुकून में होता है। ऐसे लोगों को मूर्खों की संगत नहीं करनी  चाहिए अर्थात निंदा, चुगली, अर्थहीन वार्तालाप, नकारात्मक विचार रखने वालों का त्याग करना चाहिए।

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धर्म ग्रंथों का अध्ययन करना चाहिए इससे विचार शुद्ध होते हैं। व्यवहार नम्र होता है।  सुख-दुख, राग, द्वेष, जीवन मृत्यु, सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं। मनुष्य को विवेकी होना चाहिए। बुद्धि के रूप में समक्ष, शारीरिक सौंदर्य फीका पड़ जाता है। सामाजिक कटाक्ष का तत्काल उत्तर न दें, अपितु उन कटाक्ष, तानों की ज्वाला को अपने कार्य की प्रेरणा बनाएं ऊर्जा बनाएं। सफलता खामोशी में ही मिलती है और अज्ञानता का शत्रु होता है ज्ञान। अर्थात ज्ञान से मित्रता करके अज्ञानता को हराया जा सकता है।

अपने गुप्त भेदों को किसी से सांझा न करें।  जैसे सांप से सभी भय करते हैं, किंतु सांप तो स्वयं भयभीत होने के कारण ही किसी को डंसता है परन्तु वह अपने डर को अपनी शक्ति बनाकर स्वयं की रक्षा करता है और दूसरे उससे भय करते हैं। अर्थात अपना राज और कमजोरी किसी को नहीं बताना चाहिए।

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जो आज मित्र हैं, जरूरी नहीं कि वे कल भी आपके मित्र रहें किंतु अपना भेद किसी भी मित्र को न दें। सफलता के मार्ग में सबसे बड़ी चुनौती कुदरत से होती है। कुदरत मनुष्य की योग्यता को परखती है, परीक्षा लेती है। जैसे किसी नौकरी से पूर्व इंटरव्यू साक्षात्कार प्रणाली होती है। जितनी बड़ी चुनौती होगी उतनी बड़ी सफलता होगी। जितनी बड़ी परीक्षा होगी उतनी बड़ी सफलता होगी। मनोबल गिराने वाले, साथ छोड़कर जाने वाले, नकारात्मक परिणाम बताने वाले लाभ की अपेक्षा हानि बताने वाले लोग अधिक मिलेंगे किंतु मनुष्य को अपनी निर्णायक बुद्धि से ही अंतिम निर्णय लेना चाहिए। मेहनत और एकाग्रता ही आपकी सफलता की प्रथम पायदान होती है। पुन:पुन: प्राप्त होती असफलताओं के चलते केवल रणनीति बदलें, लक्ष्य कदापि न बदलें। इन गुणों को धारण करके जीवन पथ पर आगे बढऩे वाले मनुष्यों का जीवन सहज, सुखमयी होता है। हर क्षेत्र में कामयाबी उनके कदम चूमती है। 

(लेखिका वैष्णव परंपरा के रामानंदी संप्रदाय से संबंध रखती हैं)
—साध्वी कमल वैष्णव  

 


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Niyati Bhandari

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