मेष लगन के जातक जाने, Stock Market में करोड़पति बनाने वाले योग

punjabkesari.in Friday, Aug 01, 2025 - 09:26 AM (IST)

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Mesh Lagna Stock Market Yoga: बहुत से लोग सोचते हैं कि उनकी कुंडली में ट्रेडिंग के लिए कौन सी ग्रह स्थिति उपयुक्त है ? क्या वे शेयर बाजार में ट्रेडिंग कर सकते हैं ? उनकी कुंडली में किस तरह की प्लेट पोजीशन होनी चाहिए ? सबसे पहले ध्यान दें कि यह राशि के अनुसार नहीं है। यह लग्न के अनुसार है। तो शुरुआत करेंगे मेष लग्न से, मेष लग्न के लोगों की कुंडली कैसी होनी चाहिए जब हम बाज़ार में काम करते हैं, तो कई बार हमें ऐसे फ़ैसले लेने पड़ते हैं, जहाँ हमें थोड़ा लेवरेज दिखाना पड़ता है। इसलिए अगर आपका चंद्रमा कमज़ोर है, तो आप वह लेवरेज नहीं दिखा पाएंगे। मान लीजिए बाज़ार गिर रहा है और आप डर के मारे सौदा बंद कर देते हैं। बाज़ार वहां से पलट जाता है और आपकी खरीदारी की स्थिति से काफ़ी आगे निकल जाता है। तब आपको लगता है कि मुझे वह सौदा बंद नहीं करना चाहिए था।

चंद्रमा के कमजोर होने से ऐसी स्थिति बनती है या तो आप लालच के शिकार हो जाते हैं या फिर डर के। इन दोनों ही स्थितियों में आपका चंद्रमा जिम्मेदार होता है। इसलिए आपकी कुंडली में चंद्रमा की स्थिति आपके सूर्य से कम से कम 100 डिग्री या 120 डिग्री दूर होनी चाहिए। जब आपका चंद्रमा अच्छा हो और अगर आपकी कुंडली में चंद्रमा अच्छा है तो आप बाजार में काफी अच्छा काम करते हैं। दूसरी बात, यह एक पैरामीटर है। मान लीजिए आपकी मेष लग्न की कुंडली है और आपका चंद्रमा चौथे भाव में स्थित है तो आपका सूर्य कम से कम सातवें या आठवें भाव में होना चाहिए। आठवें भाव में सूर्य अच्छा नहीं होता है। मान लीजिए आपका सूर्य आठवें भाव में स्थित है। आपका चंद्रमा मेष राशि में है तो आपका सूर्य या तो पांचवें भाव में या चौथे भाव में अंतिम अंश पर या पांचवें भाव में होना चाहिए। तो अगर यह स्थिति भी है तो आपका चंद्रमा मजबूत हो जाएगा। तो एक शर्त यह है कि आपका चंद्रमा बहुत अच्छा होना चाहिए। दूसरी बात, आपका बारहवां भाव, अगर आप सट्टा लगाते हैं, खासकर अगर आप फ्यूचर इंडेक्स में काम करते हैं तो आपका बारहवां भाव अच्छा होना चाहिए। मान लीजिए आपके मेष लग्न के बारहवें भाव में बृहस्पति की राशि है। अगर केतु बृहस्पति की राशि में है।

यदि शनि बृहस्पति की राशि में है और आपका राहु चौथे भाव में है और शनि को देख रहा है, तो अंततः वह ग्रह, वह भाव दो पाप ग्रहों के प्रभाव में आ जाता है। अब, यदि यह पाप ग्रहों के प्रभाव में आता है, तो सट्टा लगाने के समय आपको थोड़ा नुकसान होता है क्योंकि यह व्यय भाव है, यह सट्टे का भाव है। यदि यह पीड़ित हो जाता है, तो आपको इससे संबंधित बुरे परिणाम मिलेंगे। यह पीड़ा 12वें भाव पर किसी भी ग्रह की दृष्टि के कारण हो सकती है। यह ग्रह की स्थिति के कारण हो सकता है। उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि राहु वहां नहीं है। मान लीजिए कि केवल मंगल वहां पड़ा है। मंगल वहां है और आपका शनि ऐसी स्थिति में है कि वह अपनी दसवीं दृष्टि से उसे देख रहा है। शनि तीसरे भाव में है और आपका मंगल 12वें भाव में है। तो शनि की दसवीं दृष्टि आपके मंगल पर आएगी ठीक है लेकिन अगर बारहवां भाव पीड़ित है तो यह सट्टे का भाव है। ऐसी स्थिति में पंचम भाव को अवश्य देखना चाहिए। पंचम भाव सुगम लाभ का भाव है। कुंडली में हम आय स्थान से ग्यारहवें भाव से धन का विचार करते हैं। दूसरे भाव से विचार करते हैं, यह धन भाव है। पंचम भाव से धन का भी विचार किया जाता है और नवम भाव आपका भाग्य भाव है। ये चारों भाव आपके लिए अच्छे होने चाहिए। अगर आपका पंचम भाव भी पीड़ित हो जाए, शनि तीसरे भाव में है और मंगल ग्यारहवें भाव में है, तो भी वे पंचम भाव को पीड़ित करेंगे। दोनों शनि की तीसरी दृष्टि पड़ेगी। मंगल की सातवीं दृष्टि पड़ेगी। मंगल अगर दसवें भाव में है तो भी पीड़ित होगा। तो आपका पंचम भाव पीड़ित होगा।

बुध व्यापार का कारक है। बुध आपकी कुंडली में अच्छी स्थिति में होना चाहिए। अगर आपका बुध अच्छी स्थिति में नहीं है। अगर वह खराब स्थिति में है। वह 12वें भाव में है, नीच का हो गया है। अगर वह बुध आठवें भाव में आ गया है, वह खराब हो गया है। राहु-केतु अक्ष में आ गए हैं। अगर उनकी स्थिति खराब हो गई है तो बाजार आपके लिए नहीं है। तो कुल मिलाकर अगर हम देखें तो चंद्रमा की स्थिति ठीक होनी चाहिए। आपका गुरु सही होना चाहिए। आपके 11वें भाव और आपके पांचवें भाव की स्थिति ठीक होनी चाहिए तभी आपको बाजार में आना चाहिए अन्यथा बाजार आपके लिए नहीं है। अगर आप निवेश करना चाहते हैं तो आपके गुरु की स्थिति ठीक होनी चाहिए। गुरु के अलावा धन भाव और आय भाव की स्थिति ठीक होनी चाहिए। यह निश्चित रूप से आपको लंबी अवधि में बाजार में स्थिति बनाने में बहुत मदद करेगा। लंबी अवधि में आप बाजार में पैसा कमाएंगे 

अगर चंद्रमा आपके चौथे भाव में आता है, तो वह अपनी ही राशि में होगा। आपका बृहस्पति भी उसके साथ आता है। वह उच्च का होगा और मान लीजिए शुक्र भी आपके साथ वहीं बैठ जाए, तो यह किसी भी निवेशक के लिए धन के लिए एक आदर्श स्थिति होगी। क्योंकि चंद्रमा और बृहस्पति मिलकर गजकेसरी योग बनाएंगे। पहली बात तो यह एक योग स्थिति है। दूसरी बात, चंद्रमा चौथे भाव का भारेश है। शुक्र यहाँ धन भाव का स्वामी है और बृहस्पति धन और आय दोनों का कारक है। यह बाज़ार के लिए एक आदर्श संयोग होगा।

लेकिन यहां भी अगर हम बात करें कि चंद्रमा तरल धन है। धन संबंधी धन आपका गुरु है और आपके पास आने वाला अपार धन शुक्र से आता है। तो अगर इन तीनों का संयोजन है और इन पर कोई बुरा प्रभाव नहीं है, तो निश्चित रूप से यह किसी भी निवेशक के लिए बाजार में काम करने के लिए एक आदर्श संयोजन होगा। निश्चित रूप से, आप यहां पैसा कमाएंगे। कारण यह है कि ये तीनों ग्रह आपके दशम भाव को भी सीधी दृष्टि से देखेंगे। जब आपका यह चंद्रमा अच्छा होगा। मान लीजिए सूर्य लग्न में है या सातवें भाव में है, तो सूर्य से दूरी कम हो जाएगी। चंद्रमा शुभ चंद्रमा बन जाएगा। बृहस्पति की दृष्टि सामने आएगी। शुक्र की दृष्टि सामने आएगी। तो आपका दशम भाव शुभ ग्रहों के प्रभाव में आ जाएगा। तो निश्चित रूप से आपको इससे बाजार में काफी लाभ मिल सकता है। तो सभी छात्र जो ज्योतिष सीख रहे हैं, अगर उन्हें किसी व्यापारी की कुंडली का विश्लेषण करना है, तो चंद्रमा को जरूर देखें। बृहस्पति को जरूर देखें। बुध को जरूर देखें। 12वें भाव, पाँचवें भाव,ग्यारहवें और दूसरे भाव को भी ज़रूर देखें।

 नरेश कुमार
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Content Editor

Prachi Sharma

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