क्या पूजा स्थान में सीढ़ियां होना ठीक है? जानें मंदिर वास्तु का रहस्य
punjabkesari.in Thursday, Nov 27, 2025 - 02:23 PM (IST)
Temple stairs Vastu Tips: घर का पूजा स्थान वह पवित्र केंद्र होता है, जहां से पूरे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसीलिए, इस स्थान के निर्माण और बनावट को लेकर वास्तु शास्त्र में विशेष ध्यान देने की बात कही गई है। अक्सर लोग जानना चाहते हैं कि क्या उनके पूजा घर में या उसके आस-पास सीढ़ियों का होना वास्तु के दृष्टिकोण से सही है। सीढ़ियां गति और आवाजाही का प्रतीक हैं, जबकि मंदिर शांति और स्थिरता का। इन दोनों तत्वों का सही तालमेल न बैठना घर की सुख-समृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। तो आइए जानते हैं मंदिर के वास्तु से जुड़े इस महत्वपूर्ण रहस्य को और समझते हैं कि सीढ़ियां कब शुभ हैं और कब गंभीर वास्तु दोष का कारण बन सकती हैं।

मंदिर में सीढ़ियां बनाना है
यदि आपका पूजा स्थल घर की पहली मंजिल या उससे ऊपर है, तो वहां तक जाने के लिए सीढ़ियां आवश्यक होंगी। वास्तु में ऊपरी मंजिल पर मंदिर बनाना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह शांत और पवित्र वातावरण प्रदान करता है।सीढ़ियां हमेशा दक्षिण-पश्चिम या दक्षिण दिशा में बनाई जानी चाहिए ताकि उन पर चढ़ते समय आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रहे। यदि मंदिर की वेदी काफी ऊंची है और उस पर चढ़ने के लिए दो या तीन छोटी सीढ़ियां बनी हैं, तो यह शुभ है। यह वेदी को एक विशेष ऊंचाई और सम्मान प्रदान करता है।

मंदिर में सीढ़ियां बनाना गलत क्यों है
वास्तु शास्त्र के अनुसार, सीढ़ियों के ठीक नीचे कभी भी मंदिर नहीं बनाना चाहिए। यह स्थान घर का सबसे अशुभ स्थान माना जाता है, क्योंकि सीढ़ियों से लगातार ऊर्जा का बहाव और अशुद्धि आती-जाती रहती है। इस स्थान पर पूजा करने से पूजा का सकारात्मक फल नहीं मिलता और घर में नकारात्मकता बढ़ती है।
मंदिर का मुख्य द्वार या मुख्यांश सीढ़ियों के ठीक सामने नहीं होना चाहिए। सीढ़ियों से आने-जाने वाले लोगों के पैरों का ध्यान भंग होता है और यह पूजा के दौरान एकाग्रता में बाधा डालता है। पूजा की मूर्तियां या देवताओं की तस्वीरें सीढ़ियों पर या सीढ़ियों के अगल-बगल की दीवारों पर लगाना अत्यंत अशुभ माना जाता है।

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